लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने राजधानी लखनऊ में कथित अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की मौजूदगी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लखनऊ नगर निगम ने इन लोगों को सफाईकर्मी के रूप में काम का लाइसेंस दे रखा है, जो राज्य की सुरक्षा और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। बृजलाल ने लखनऊ में मॉर्निंग वॉक के दौरान कथित बांग्लादेशी सफाईकर्मियों का वीडियो बनाकर नगर निगम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने योगी सरकार से पूरे प्रदेश में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाने की मांग की है।
मॉर्निंग वॉक के दौरान का वीडियोबृजलाल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वे लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में मॉर्निंग वॉक के दौरान कुछ सफाईकर्मियों से बातचीत करते दिखे। वीडियो में सफाईकर्मी खुद को असम का निवासी बताते हैं, लेकिन बृजलाल का दावा है कि ये लोग वास्तव में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक हैं।
सांसद ने कहा कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी असम में घुसे थे। अब यह बेहद दुखद है कि लखनऊ नगर निगम ने ऐसे लोगों को सफाई का लाइसेंस दे रखा है। इस तरह की लापरवाही आईएसआई जैसी एजेंसियों को घुसपैठ का मौका देती है।
गोमतीनगर बसी झुग्गियांबृजलाल ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि गोमतीनगर विस्तार की खाली जमीनों, गोमती नदी की तलहटी और नालों के किनारे इनकी झुग्गियां बड़ी संख्या में देखी जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि ये लोग अपने को असम के बोंगाई गांव, नलबाड़ी, बरपेटा और नौगांव जिलों का निवासी बताते हैं, लेकिन वास्तव में इनकी पहचान संदिग्ध है। पूर्व डीजीपी ने आरोप लगाया कि यह वही क्षेत्र हैं, जहां कांग्रेसी सरकारों ने वोट बैंक के लिए बांग्लादेशियों को बसाया था।
सांसद ने कहा कि 1983 में इंदिरा गांधी इन्हीं बांग्लादेशियों के सहारे असम चुनाव जीतना चाहती थीं। उस समय इनकी संख्या करीब 40 लाख थी। लेकिन यही वजह बनी 1983 के नेल्ली दंगे की, जिसमें 3,000 से 4,000 लोग मारे गए थे।
नगर निगम पर भी उठाए सवालभाजपा सांसद ने लखनऊ नगर निगम पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन इन कथित बांग्लादेशियों को काम देकर अवैध रूप से संरक्षण दे रहा है, जबकि पुलिस ने अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। बृजलाल ने कहा कि नगर निगम ने ऐसे लोगों को सफाई कर्मी के रूप में पंजीकृत कर रखा है। यह प्रदेश की सुरक्षा और प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल उठाता है।
महापौर ने दी सफाईइस मामले में लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि नगर निगम सीधे तौर पर सफाई कर्मियों की भर्ती नहीं करता, बल्कि ठेका एजेंसियां यह काम करती हैं। उन्होंने कहा कि एजेंसियां आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज़ देखकर ही लोगों को काम पर रखती हैं। फिर भी अगर किसी की पहचान संदिग्ध है, तो जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर ऐसे लोगों की जांच कराने और असम या बांग्लादेश से आए संदिग्धों को वापस भेजने की मांग की थी।
योगी सरकार से की मांगबृजलाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि इनकी झुग्गी-झोपड़ियों को हटाया जाए और सभी संदिग्धों की पहचान कर उन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जाए। सांसद ने कहा कि जब से बांग्लादेश में कट्टरपंथी और पाकिस्तान समर्थक ताकतें हावी हुई हैं, तब से वहां से आने वाले लोग भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। उत्तर प्रदेश में कई आतंकी घटनाओं में भी इनकी भूमिका रही है।
मॉर्निंग वॉक के दौरान का वीडियोबृजलाल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वे लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में मॉर्निंग वॉक के दौरान कुछ सफाईकर्मियों से बातचीत करते दिखे। वीडियो में सफाईकर्मी खुद को असम का निवासी बताते हैं, लेकिन बृजलाल का दावा है कि ये लोग वास्तव में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक हैं।
सांसद ने कहा कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी असम में घुसे थे। अब यह बेहद दुखद है कि लखनऊ नगर निगम ने ऐसे लोगों को सफाई का लाइसेंस दे रखा है। इस तरह की लापरवाही आईएसआई जैसी एजेंसियों को घुसपैठ का मौका देती है।
गोमतीनगर बसी झुग्गियांबृजलाल ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि गोमतीनगर विस्तार की खाली जमीनों, गोमती नदी की तलहटी और नालों के किनारे इनकी झुग्गियां बड़ी संख्या में देखी जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि ये लोग अपने को असम के बोंगाई गांव, नलबाड़ी, बरपेटा और नौगांव जिलों का निवासी बताते हैं, लेकिन वास्तव में इनकी पहचान संदिग्ध है। पूर्व डीजीपी ने आरोप लगाया कि यह वही क्षेत्र हैं, जहां कांग्रेसी सरकारों ने वोट बैंक के लिए बांग्लादेशियों को बसाया था।
सांसद ने कहा कि 1983 में इंदिरा गांधी इन्हीं बांग्लादेशियों के सहारे असम चुनाव जीतना चाहती थीं। उस समय इनकी संख्या करीब 40 लाख थी। लेकिन यही वजह बनी 1983 के नेल्ली दंगे की, जिसमें 3,000 से 4,000 लोग मारे गए थे।
नगर निगम पर भी उठाए सवालभाजपा सांसद ने लखनऊ नगर निगम पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन इन कथित बांग्लादेशियों को काम देकर अवैध रूप से संरक्षण दे रहा है, जबकि पुलिस ने अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। बृजलाल ने कहा कि नगर निगम ने ऐसे लोगों को सफाई कर्मी के रूप में पंजीकृत कर रखा है। यह प्रदेश की सुरक्षा और प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल उठाता है।
महापौर ने दी सफाईइस मामले में लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि नगर निगम सीधे तौर पर सफाई कर्मियों की भर्ती नहीं करता, बल्कि ठेका एजेंसियां यह काम करती हैं। उन्होंने कहा कि एजेंसियां आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज़ देखकर ही लोगों को काम पर रखती हैं। फिर भी अगर किसी की पहचान संदिग्ध है, तो जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर ऐसे लोगों की जांच कराने और असम या बांग्लादेश से आए संदिग्धों को वापस भेजने की मांग की थी।
योगी सरकार से की मांगबृजलाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि इनकी झुग्गी-झोपड़ियों को हटाया जाए और सभी संदिग्धों की पहचान कर उन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जाए। सांसद ने कहा कि जब से बांग्लादेश में कट्टरपंथी और पाकिस्तान समर्थक ताकतें हावी हुई हैं, तब से वहां से आने वाले लोग भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। उत्तर प्रदेश में कई आतंकी घटनाओं में भी इनकी भूमिका रही है।
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