आशीष शर्मा, यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर जिले के कोट बसावा की माजरी गांव से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 75 वर्षीय बुज़ुर्ग को डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद जब अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी, तभी वह अचानक जीवित हो उठे। इस घटना ने गांव और सोशल मीडिया पर कौतूहल फैला दिया।
डॉक्टरों ने घोषित किया मृत
जानकारी के अनुसार, कोट बसावा की माजरी निवासी 75 वर्षीय शेर सिंह को मंगलवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर यमुनानगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें हार्ट अटैक आया है और हालत गंभीर होने के कारण उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया। अगले दिन यानी बुधवार को दोपहर करीब 12 बजे, डॉक्टरों ने परिजनों को सूचित किया कि शेर सिंह का दिहांत हो चुका है। परिजन गहरे शोक में उन्हें गांव लेकर लौटे, रिश्तेदारों को सूचना दी गई और अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गईं।
खुशी में बदला मातम
जैसे ही शेर सिंह को नहलाने के लिए ले जाया गया और मुंह में लगी मेडिकल पाइप निकालने की कोशिश की गई, तभी उन्होंने अचानक सांस लेना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने पानी भी पिया और शरीर में हरकत दिखाई। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए। कुछ को यह ईश्वर का चमत्कार लगा, तो कुछ ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए। परिजन तत्काल उन्हें दोबारा यमुनानगर के एक अन्य निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां अब उनका इलाज चल रहा है।
डॉक्टरों ने घोषित किया मृत
जानकारी के अनुसार, कोट बसावा की माजरी निवासी 75 वर्षीय शेर सिंह को मंगलवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर यमुनानगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें हार्ट अटैक आया है और हालत गंभीर होने के कारण उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया। अगले दिन यानी बुधवार को दोपहर करीब 12 बजे, डॉक्टरों ने परिजनों को सूचित किया कि शेर सिंह का दिहांत हो चुका है। परिजन गहरे शोक में उन्हें गांव लेकर लौटे, रिश्तेदारों को सूचना दी गई और अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गईं।
खुशी में बदला मातम
जैसे ही शेर सिंह को नहलाने के लिए ले जाया गया और मुंह में लगी मेडिकल पाइप निकालने की कोशिश की गई, तभी उन्होंने अचानक सांस लेना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने पानी भी पिया और शरीर में हरकत दिखाई। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए। कुछ को यह ईश्वर का चमत्कार लगा, तो कुछ ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए। परिजन तत्काल उन्हें दोबारा यमुनानगर के एक अन्य निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां अब उनका इलाज चल रहा है।
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