नई दिल्ली: लाल किले के पास हुए धमाके ने पूरे देश में बेचैनी बढ़ा दी है। यह इलाका सिर्फ दिल्ली के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए इकोनॉमिक पावरहाउस है। यूपी, पंजाब, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के छोटे व्यापारी भी इसी बाजार पर निर्भर हैं। इस धमाके से न सिर्फ जान-माल का नुकसान हुआ है। अलबत्ता, इसके कारण पूरे व्यापारिक नेटवर्क पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। यह इलाका एशिया के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक है, जहां रोजाना करोड़ों का कारोबार होता है। लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।
दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए एक धमाके ने पूरे शहर को दहला दिया। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई और तमाम घायल हो गए। धमाका एक चलती कार में हुआ। इससे कई और गाड़ियां भी जल गईं। यह सिर्फ कानून-व्यवस्था का मामला नहीं है। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की आशंका है।
अर्थव्यवस्था के लिए खास जगह रखता है इलाका
यह इलाका अपनी थोक क्षमता के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में एक खास जगह रखता है। इसमें चांदनी चौक, खारी बावली, सदर बाजार और भागीरथ पैलेस जैसे बाजार शामिल हैं। ये बाजार सिर्फ दिल्ली के लिए ही अहम नहीं है। पूरे उत्तर भारत के लिए यह एक बहुत बड़ा सप्लाई हब हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश के छोटे और मध्यम स्तर के खुदरा व्यापारी अपनी जरूरत का सामान यहीं से खरीदते हैं।
यहां रोजाना लगभग 4 से 6 लाख लोग आते हैं। इनमें दूर-दराज के राज्यों से आए थोक खरीदार भी शामिल हैं। इन बाजारों में रोजाना करीब 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है। यह इलाका किसी एक चीज के लिए नहीं, बल्कि चार-पांच अलग-अलग क्षेत्रों में एशिया का सबसे बड़ा बाजार है। खारी बावली मसालों के लिए, भागीरथ पैलेस इलेक्ट्रॉनिक्स और लाइटों के लिए, सदर बाजार घरेलू सामानों के लिए और गांधी नगर रेडीमेड कपड़ों के लिए मशहूर है।
दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले बाजारों में एक
इस बाजार में हजारों दुकानें, गोदाम और ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं हैं। यहां पल्लेदार, मुनीम और छोटे व्यापारियों जैसे लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। बाजार का इतना बड़ा और व्यस्त होना ही इसे किसी भी तरह की रुकावट के प्रति बहुत संवेदनशील बनाता है। यहां आने वाली कोई भी रुकावट सैकड़ों किलोमीटर दूर छोटे कस्बों के खुदरा व्यापार को भी प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए अगर यहां लाइटों की सप्लाई रुक जाती है तो उत्तर प्रदेश या बिहार के छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरों में भी माल खत्म हो जाएगा।
यह बाजार दुनिया के सबसे भीड़-भाड़ वाले बाजारों में से एक है। यहां की भीड़ तेज व्यापार सुनिश्चित करती है। लेकिन, सुरक्षा में कोई चूक होने पर पूरे सिस्टम को तुरंत बंद करना पड़ सकता है। जैसा कि हाई अलर्ट के कारण बाजार बंद होने से हुआ। यहां ज्यादातर थोक व्यापार दिन के तय समय में होता है। माल की लोडिंग और अनलोडिंग अक्सर रात या सुबह जल्दी होती है। सुरक्षा घेराबंदी से यह पूरा काम रुक जाता है।
क्यों बढ़ गई है टेंशन?
धमाके के बाद का व्यावसायिक परिदृश्य चिंताजनक है। थोक व्यापार में अक्सर उधार पर सामान दिया जाता है। बाजार में व्यधान होने पर पैसों का लेन-देन प्रभावित होगा। इससे पूरे व्यापार नेटवर्क में पैसों की कमी (लिक्विडिटी का संकट) आ सकती है। खारी बावली जैसे बाजार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जाने जाते हैं। इस तरह की घटनाएं भारत की व्यापारिक सुरक्षा और विश्वसनीयता पर बुरा असर डालती हैं। यह क्षेत्र भारत के इतिहास, संस्कृति और व्यावसायिक ताकत का प्रतीक है। इसलिए यहां होने वाली कोई भी दुर्घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर आर्थिक झटका है।
दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए एक धमाके ने पूरे शहर को दहला दिया। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई और तमाम घायल हो गए। धमाका एक चलती कार में हुआ। इससे कई और गाड़ियां भी जल गईं। यह सिर्फ कानून-व्यवस्था का मामला नहीं है। इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की आशंका है।
अर्थव्यवस्था के लिए खास जगह रखता है इलाका
यह इलाका अपनी थोक क्षमता के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में एक खास जगह रखता है। इसमें चांदनी चौक, खारी बावली, सदर बाजार और भागीरथ पैलेस जैसे बाजार शामिल हैं। ये बाजार सिर्फ दिल्ली के लिए ही अहम नहीं है। पूरे उत्तर भारत के लिए यह एक बहुत बड़ा सप्लाई हब हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश के छोटे और मध्यम स्तर के खुदरा व्यापारी अपनी जरूरत का सामान यहीं से खरीदते हैं।
यहां रोजाना लगभग 4 से 6 लाख लोग आते हैं। इनमें दूर-दराज के राज्यों से आए थोक खरीदार भी शामिल हैं। इन बाजारों में रोजाना करीब 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है। यह इलाका किसी एक चीज के लिए नहीं, बल्कि चार-पांच अलग-अलग क्षेत्रों में एशिया का सबसे बड़ा बाजार है। खारी बावली मसालों के लिए, भागीरथ पैलेस इलेक्ट्रॉनिक्स और लाइटों के लिए, सदर बाजार घरेलू सामानों के लिए और गांधी नगर रेडीमेड कपड़ों के लिए मशहूर है।
दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले बाजारों में एक
इस बाजार में हजारों दुकानें, गोदाम और ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं हैं। यहां पल्लेदार, मुनीम और छोटे व्यापारियों जैसे लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है। बाजार का इतना बड़ा और व्यस्त होना ही इसे किसी भी तरह की रुकावट के प्रति बहुत संवेदनशील बनाता है। यहां आने वाली कोई भी रुकावट सैकड़ों किलोमीटर दूर छोटे कस्बों के खुदरा व्यापार को भी प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए अगर यहां लाइटों की सप्लाई रुक जाती है तो उत्तर प्रदेश या बिहार के छोटे इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरों में भी माल खत्म हो जाएगा।
यह बाजार दुनिया के सबसे भीड़-भाड़ वाले बाजारों में से एक है। यहां की भीड़ तेज व्यापार सुनिश्चित करती है। लेकिन, सुरक्षा में कोई चूक होने पर पूरे सिस्टम को तुरंत बंद करना पड़ सकता है। जैसा कि हाई अलर्ट के कारण बाजार बंद होने से हुआ। यहां ज्यादातर थोक व्यापार दिन के तय समय में होता है। माल की लोडिंग और अनलोडिंग अक्सर रात या सुबह जल्दी होती है। सुरक्षा घेराबंदी से यह पूरा काम रुक जाता है।
क्यों बढ़ गई है टेंशन?
धमाके के बाद का व्यावसायिक परिदृश्य चिंताजनक है। थोक व्यापार में अक्सर उधार पर सामान दिया जाता है। बाजार में व्यधान होने पर पैसों का लेन-देन प्रभावित होगा। इससे पूरे व्यापार नेटवर्क में पैसों की कमी (लिक्विडिटी का संकट) आ सकती है। खारी बावली जैसे बाजार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जाने जाते हैं। इस तरह की घटनाएं भारत की व्यापारिक सुरक्षा और विश्वसनीयता पर बुरा असर डालती हैं। यह क्षेत्र भारत के इतिहास, संस्कृति और व्यावसायिक ताकत का प्रतीक है। इसलिए यहां होने वाली कोई भी दुर्घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर आर्थिक झटका है।
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