नई दिल्ली: सांप के काटने को लेकर हमारे समाज में कई तरह की धारणाएं हैं, जो अक्सर सही इलाज के रास्ते में रुकावट बन जाती हैं। एक आम गलतफहमी यह भी है कि सांप के काटने पर कटे हुए स्थान को चीर कर खून निकालने से फायदा होता है, जो बहुत ही खतरनाक है, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। दूसरी आम धारणा है कि सांप के काटे हुए अंग पर कसकर पट्टी बांधने से जहर नहीं फैलेगा। जबकि, इससे खून का बहाव रुक सकता है और टिश्यूज को नुकसान पहुंचने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
इसलिए, हमेशा याद रखिए कि सांप के काटने पर मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना ही सबसे सुरक्षित और कारगर उपाय है, जहां एंटीवेनम इंजेक्शन देकर मरीज की जान बचाई जाती है। लेकिन, अब सांप के काटने पर इलाज को लेकर एक और बड़ी खबर है। एक नई रिसर्च के मुताबिक, भारत में सांप काटने के इलाज में जल्द ही एक नया बदलाव आ सकता है। दरअसल, अब सांप काटने की दवा गोली के रूप में मिल सकती है। यह दवा मौजूदा दवाओं से ज्यादा असरदार, सस्ती और आसानी से मिलने वाली हो सकती है।
Mongabay की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक अहम रिसर्च की है। उन्होंने दो SMIs (small-molecule inhibitors)- वारेस्प्लाडिब और मारिमास्टैट की टेस्टिंग की है। ये दवाएं दबोइया रसेलि (रसेल वाइपर सांप) के जहर को बेअसर कर सकती हैं। SMIs दवाओं का एक वर्ग है, जो खास अणुओं को निशाना बनाती हैं और उन्हें रोकती हैं। ये दवाएं पहले कैंसर और दिल की बीमारियों के इलाज के लिए बनाई गई थीं। इसलिए, इंसानों पर इनका परीक्षण पहले ही हो चुका है।
रसेल वाइपर पर किया गया परीक्षणवैज्ञानिक और प्रोफेसर कार्तिक सुनगर ने बताया कि एंटीवेनम का कभी भी औपचारिक क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है। लेकिन, इन दवाओं का सुरक्षा और किसी जहर पर असर का आकलन पहले ही हो चुका है। सुनगर ने बताया कि इसीलिए हमारी टीम को केवल सांप काटने के इलाज में इनकी प्रभावशीलता का परीक्षण करने की जरूरत थी।
उन्होंने बताया कि भारत में पाए जाने वाले चार सबसे खतरनाक सांपों में से एक, रसेल वाइपर पर किया गया परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है। इस सांप के जहर में तीन मुख्य जहरीले तत्व होते हैं- SVMP, PLA₂ और SVSP। ये जहर अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग मात्रा में पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने वारेस्प्लाडिब और मारिमास्टैट नाम की दो SMIs की क्षमता का परिक्षण किया। उन्होंने देखा कि ये दवाएं अलग-अलग क्षेत्रों से लिए गए रसेल वाइपर के जहर के जहरीले प्रभावों को कैसे रोकती हैं।
10 अलग-अलग राज्यों में की गई रिसर्चप्रोफेसर कार्तिक सुनगर बताते हैं कि हमने दिखाया है कि इन दोनों दवाओं का एक खास मिश्रण भारत के लगभग हर कोने में रसेल वाइपर से पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करता है। उनकी टीम ने 10 अलग-अलग राज्यों में 10 अलग-अलग जगहों पर इनका परीक्षण किया है। रिसर्च में पाया गया कि ज्यादातर रसेल वाइपर सांपों में, एक SMI जहर के जानलेवा प्रभावों को बेअसर कर सकता है।
इस रिसर्च से इलाज के कई फायदे हो सकते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये दवाएं मुंह से ली जा सकती हैं। सुनगर बताते हैं, 'ग्रामीण इलाके में सांप के काटने पर कोई भी व्यक्ति तुरंत गोली ले सकता है। इससे उसे समय मिल जाएगा या शायद एंटीवेनम की जरूरत ही न पड़े। ये दवाएं बनाने में भी सस्ती हैं। ये लैब में बनी रासायनिक दवाएं हैं। इन्हें बनाने के लिए जानवरों की जरूरत नहीं होती है। इसलिए, ये पारंपरिक एंटीवेनम का एक बेहतर विकल्प हैं।'
इसलिए, हमेशा याद रखिए कि सांप के काटने पर मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना ही सबसे सुरक्षित और कारगर उपाय है, जहां एंटीवेनम इंजेक्शन देकर मरीज की जान बचाई जाती है। लेकिन, अब सांप के काटने पर इलाज को लेकर एक और बड़ी खबर है। एक नई रिसर्च के मुताबिक, भारत में सांप काटने के इलाज में जल्द ही एक नया बदलाव आ सकता है। दरअसल, अब सांप काटने की दवा गोली के रूप में मिल सकती है। यह दवा मौजूदा दवाओं से ज्यादा असरदार, सस्ती और आसानी से मिलने वाली हो सकती है।
Mongabay की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक अहम रिसर्च की है। उन्होंने दो SMIs (small-molecule inhibitors)- वारेस्प्लाडिब और मारिमास्टैट की टेस्टिंग की है। ये दवाएं दबोइया रसेलि (रसेल वाइपर सांप) के जहर को बेअसर कर सकती हैं। SMIs दवाओं का एक वर्ग है, जो खास अणुओं को निशाना बनाती हैं और उन्हें रोकती हैं। ये दवाएं पहले कैंसर और दिल की बीमारियों के इलाज के लिए बनाई गई थीं। इसलिए, इंसानों पर इनका परीक्षण पहले ही हो चुका है।
रसेल वाइपर पर किया गया परीक्षणवैज्ञानिक और प्रोफेसर कार्तिक सुनगर ने बताया कि एंटीवेनम का कभी भी औपचारिक क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुआ है। लेकिन, इन दवाओं का सुरक्षा और किसी जहर पर असर का आकलन पहले ही हो चुका है। सुनगर ने बताया कि इसीलिए हमारी टीम को केवल सांप काटने के इलाज में इनकी प्रभावशीलता का परीक्षण करने की जरूरत थी।
उन्होंने बताया कि भारत में पाए जाने वाले चार सबसे खतरनाक सांपों में से एक, रसेल वाइपर पर किया गया परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है। इस सांप के जहर में तीन मुख्य जहरीले तत्व होते हैं- SVMP, PLA₂ और SVSP। ये जहर अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग मात्रा में पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने वारेस्प्लाडिब और मारिमास्टैट नाम की दो SMIs की क्षमता का परिक्षण किया। उन्होंने देखा कि ये दवाएं अलग-अलग क्षेत्रों से लिए गए रसेल वाइपर के जहर के जहरीले प्रभावों को कैसे रोकती हैं।
10 अलग-अलग राज्यों में की गई रिसर्चप्रोफेसर कार्तिक सुनगर बताते हैं कि हमने दिखाया है कि इन दोनों दवाओं का एक खास मिश्रण भारत के लगभग हर कोने में रसेल वाइपर से पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करता है। उनकी टीम ने 10 अलग-अलग राज्यों में 10 अलग-अलग जगहों पर इनका परीक्षण किया है। रिसर्च में पाया गया कि ज्यादातर रसेल वाइपर सांपों में, एक SMI जहर के जानलेवा प्रभावों को बेअसर कर सकता है।
इस रिसर्च से इलाज के कई फायदे हो सकते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये दवाएं मुंह से ली जा सकती हैं। सुनगर बताते हैं, 'ग्रामीण इलाके में सांप के काटने पर कोई भी व्यक्ति तुरंत गोली ले सकता है। इससे उसे समय मिल जाएगा या शायद एंटीवेनम की जरूरत ही न पड़े। ये दवाएं बनाने में भी सस्ती हैं। ये लैब में बनी रासायनिक दवाएं हैं। इन्हें बनाने के लिए जानवरों की जरूरत नहीं होती है। इसलिए, ये पारंपरिक एंटीवेनम का एक बेहतर विकल्प हैं।'
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