नई दिल्ली: भारत ने अमेरिका के उस दावे को लगभग खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि भारत-पाक के बीच संघर्ष को रोकने के लिए उसने व्यापार का प्रस्ताव दिया था। भारत का कहना है कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य झड़पें हो रही थीं, तब भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच बातचीत में व्यापार का मुद्दा बिल्कुल नहीं उठा था। इस तरह भारत ने अमेरिका के बार-बार किए जा रहे उस दावे को नकार दिया कि उसके व्यापार प्रस्ताव से टकराव रुक गया।
अमेरिका के वाणिज्य सचिव हावर्ड लुट्निक ने न्यूयॉर्क की एक अदालत को बताया कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण पैमाने पर युद्ध को टालने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दोनों देशों को अमेरिका के साथ व्यापारिक पहुंच की पेशकश करने के बाद ही अस्थायी युद्धविराम पर पहुंचे। पिछले कुछ हफ्तों में, ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को धमकी दी थी कि अगर वे संघर्ष नहीं रोकते हैं तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार बंद कर देगा।
भारत का क्या रहा रुख?भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ शत्रुता को समाप्त करने पर सहमति दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने तक, भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच सैन्य स्थिति को लेकर बातचीत हुई।
नहीं उठा व्यापार या टैरिफ का मुद्दाजायसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि उन चर्चाओं में व्यापार या टैरिफ का मुद्दा नहीं उठा। जायसवाल न्यूयॉर्क की अदालत में ट्रंप प्रशासन द्वारा दिए गए जवाब पर सवालों का जवाब दे रहे थे। जायसवाल ने कहा कि विदेश मंत्री ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि गोलीबारी रोकने का फैसला भारत और पाकिस्तान के DGMOs के बीच सीधे संपर्क में हुआ था।
भारत ने लगाया व्यापार पर बैनपहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार बंद हो गया था। वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से लेकर जनवरी तक भारत ने पाकिस्तान को करीब 448 मिलियन डॉलर का निर्यात किया। वहीं इस दौरान पाकिस्तान से आयात मात्र 0.42 मिलियन डॉलर रहा। वहीं साल 2023-24 में भारत ने पाकिस्तान से 3 मिलियन डॉलर का आयात किया था। जबकि 1.2 अरब डॉलर का निर्यात किया था।
अमेरिका के वाणिज्य सचिव हावर्ड लुट्निक ने न्यूयॉर्क की एक अदालत को बताया कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण पैमाने पर युद्ध को टालने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दोनों देशों को अमेरिका के साथ व्यापारिक पहुंच की पेशकश करने के बाद ही अस्थायी युद्धविराम पर पहुंचे। पिछले कुछ हफ्तों में, ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को धमकी दी थी कि अगर वे संघर्ष नहीं रोकते हैं तो अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार बंद कर देगा।
भारत का क्या रहा रुख?भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ शत्रुता को समाप्त करने पर सहमति दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने तक, भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच सैन्य स्थिति को लेकर बातचीत हुई।
नहीं उठा व्यापार या टैरिफ का मुद्दाजायसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि उन चर्चाओं में व्यापार या टैरिफ का मुद्दा नहीं उठा। जायसवाल न्यूयॉर्क की अदालत में ट्रंप प्रशासन द्वारा दिए गए जवाब पर सवालों का जवाब दे रहे थे। जायसवाल ने कहा कि विदेश मंत्री ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि गोलीबारी रोकने का फैसला भारत और पाकिस्तान के DGMOs के बीच सीधे संपर्क में हुआ था।
भारत ने लगाया व्यापार पर बैनपहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार बंद हो गया था। वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल से लेकर जनवरी तक भारत ने पाकिस्तान को करीब 448 मिलियन डॉलर का निर्यात किया। वहीं इस दौरान पाकिस्तान से आयात मात्र 0.42 मिलियन डॉलर रहा। वहीं साल 2023-24 में भारत ने पाकिस्तान से 3 मिलियन डॉलर का आयात किया था। जबकि 1.2 अरब डॉलर का निर्यात किया था।
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