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झारखंड में टिकट बंटवारे के बाद सियासी उठापटक तेज, बागियों ने दूसरे दल से टिकट लेकर दिया अपनी पार्टी को झटका

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दिल्ली : झारखंड में टिकट बंटवारे के बाद इंडिया गठबंधन में थोड़ा असंतोष दिख रहा है। हालांकि तमाम राजनीतिक दल इस विरोध को कम करने के लिए काम कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे रोचक रहा, कांग्रेस के मौजूदा विधायक उमाशंकर अकेला का मामला। उनका टिकट कटने का ऐलान होने के महज 5-6 घंटे बाद ही वो एसपी में शामिल हो गए और टिकट भी हासिल कर लिया। गौरतलब है कि गुरुवार की देर रात झारखंड कांग्रेस की दूसरी लिस्ट सामने आई, जिसमें पार्टी ने बरही के विधायक उमाशंकर अकेला का टिकट काट कर उनकी जगह अरुण साहू को टिकट दे दिया। उमाशंकर अकेला ने 'हाथ' छोड़ थामी 'साइकिल'हालांकि अकेला का टिकट लगभग तय माना जा रहा था। कांग्रेस ने अपने 17 विधायकों में से 15 के टिकट पहली सूची में ही घोषित कर दिए थे। बरही और पाकुड़ का टिकट बचा था, जिसे दूसरी सूची में घोषित किया गया। उमाशंकर अकेला ने अपना टिकट कटने के बाद एसपी में जाने का फैसला किया। रातोंरात वह 170 किमी गाड़ी चलाकर डाल्टनगंज पहुंचे, जहां सुबह चार बजे वह हाथ छोड़कर एसपी की 'साइकिल' पर सवार हो गए। एसपी ने उन्हें बरही से टिकट दे दिया। शुक्रवार की दोपहर तक उन्होंने नामांकन भर दिया। कांग्रेस या बीजेपी? अकेला किसका करेंगे नुकसानहालांकि टिकट कटने के बाद उमाशंकर अकेला ने टिकट बंटवारे के लिए शामिल पदाधिकारियों पर टिकट बेचने का आरोप भी लगाया। अकेला की बगावत से माना जा रहा है कि कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। उल्लेखनीय है कि अकेला यादव समुदाय से आते हैं। बरही इलाके में यादवों की तादाद ठीक-ठाक है। वहां बीजेपी ने भी यादव को उतारा है। ऐसे में स्थानीय राजनीति के जानकार मानते हैं कि अकेला कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी के वोट काटेंगे। इसलिए कांग्रेस ने काटा अकेला का टिकटचर्चा है कि अकेला का टिकट कटने की एक वजह यह भी रही। दूसरी ओर अरुण साहु तेली समाज से आते हैं, जिनकी तादाद वहां खासी है। यूं तो तेली समुदाय आमतौर पर बीजेपी के साथ जाता है, लेकिन अरुण साहू के उतरने से अब माना जा रहा है कि साहू बीजेपी के उस वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हो सकते हैं। दूसरी ओर बीजेपी ने जहां जेएमएम के घर में सेंध लगाकर उसके दो बड़े चेहरे चंपई सोरेन और सीता सोरेन को अपने खेमे में लाने का काम किया तो वहीं हेमंत सोरेन ने चुनाव से ऐन पहले बीजेपी सरकार में मंत्री रही कद्दावर महिला नेता लुइस मरांडी को अपनी तरफ खींच लिया। लुइस मरांडी क्या बीजेपी का बिगाड़ेंगी गेम?दरअसल, लुइस मरांडी दुमका से अपना टिकट कटने से नाराज थीं। वह अपने लिए मौका तलाश रही थीं, हेमंत सोरेन ने हाथ बढ़ा दिया। महज दो दिन पहले जेएमएम में शामिल होने वाली लुइस को पार्टी ने जामा से चुनावी मैदान में उतारा है। उल्लेखनीय है कि जामा वो सीट है, जहां से सीता सोरेन लड़ा करती थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीता इस आदिवासी सुरक्षित सीट से नहीं लड़ सकती थीं, इसलिए उन्हें इस बार सामान्य सीट पर जाना पड़ा। बीजेपी ने उन्हें जामताड़ा से उतारा है। यहां कांग्रेस-आरजेडी दोनों कर रहे दावेदारीऐसे में हेमंत सोरेन ने एक झटके में जामा सीट से लुइस मरांडी को उतारकर बीजेपी और अपनी भाभी को सीधा संदेश दिया। इसी तरह से विश्रामपुर सीट भले ही कांग्रेस के खाते से निकलकर आरजेडी को चली गई हो, लेकिन कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार उतारकर दोस्ताना मुकाबला किया है। कांग्रेस ने यहां से सुधीर कुमार चंद्रवंशी को उतारा है। बीजेपी का उम्मीदवार भी चंद्रवंशी है, जबकि आरजेडी ने नरेश सिंह को टिकट दिया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस यहां चंद्रवंशी वोट बैंक में सेंध लगाएगी। 'इंडिया' के लिए आप और केजरीवाल करेंगे प्रचारमौजूदा महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' अपनी एकजुटता और शक्ति का भी प्रदर्शन करेगा। इसके तहत इन दोनों राज्यों में चुनाव लड़ रहे इंडिया के घटक दल ही प्रचार नहीं करेंगे, बल्कि ऐसे दल भी प्रचार करेंगे, जो यहां चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इनमें आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल का नाम प्रमुख है। हरियाणा में कुछ खास कमाल न दिखाने के बाद आप घटक दलों के साथ तालमेल कर आगे बढ़ने की रणनीति पर काम करती दिख रही है।इसी के मद्देनजर केजरीवाल झारखंड में जेएमएम के लिए तो वहीं महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के दलों के लिए प्रचार करेंगे। हालांकि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि वह इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे या नहीं। चर्चा है कि कुछ महीनों बाद दिल्ली में होने वाले चुनावों के मद्देनजर वह इससे बचना चाहेंगे। दरअसल दिल्ली में कांग्रेस भी अपनी पूरी ताकत से उतरने की योजना बना रही है।
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