नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हायर लेवल पर बातचीत मौजूदा गतिरोध को तोड़ सकती है और लंबे समय से चल रही भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को अंतिम रूप देने के लिए जरूरी गति प्रदान कर सकती है। इंडियन एक्सप्रेस से एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह वाशिंगटन डीसी से नई दिल्ली को मिले नए संकेतों में से एक है। हालांकि, ट्रंप की तेजतर्रार और अप्रत्याशित कूटनीतिक शैली को देखते हुए इस तरह की बातचीत के लिए मंच तैयार करना आसान नहीं है। भारत के अधिकारियों को उम्मीद है कि अमेरिका के मनोनीत राजदूत सर्जियो गोर इस संपर्क को सुगम बनाने में भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, व्हाइट हाउस को दिए गए एक कड़े संदेश में अमेरिकी कांग्रेस के 21 सदस्यों के एक समूह ने ट्रंप से आग्रह किया कि वे भारत के साथ अमेरिका के तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाएं और अपने प्रशासन द्वारा की गई टैरिफ बढ़ोतरी को वापस लें।
बिना समझौते के मोदी-ट्रंप में मुलाकात संभव नहीं
इंडियन एक्सप्रेस पर छपी स्टोरी के मुताबिक, अधिकारी ने कहा-राष्ट्रपति ट्रंप और उनका कार्यालय संभवतः किसी समझौते की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन भारतीय व्यवस्था पारंपरिक रूप से इस तरह काम नहीं करती है। आदर्श रूप से, दोनों नेता समझौता होने के बाद ही बातचीत करेंगे। हालांकि, कई बार परिस्थितियां मामलों को बदल देती हैं और यह एक नया वाशिंगटन है, जहां ट्रंप ने प्रोटोकॉल के लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांतों को उलट दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में हाल ही में अमेरिका यात्रा के दौरान एक प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर और बाद में गोर से मुलाकात की। इन बैठकों से वार्ता को आगे बढ़ाने में मदद मिली।
लेटर में अमेरिकी सांसदों ने क्या-क्या कहा, यह जानिए
इंडिया टुडे पर छपी एक खबर के अनुसार, 8 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में कांग्रेस सदस्य डेबोरा रॉस और रो खन्ना की अगुवाई वाले अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों ने कहा कि हाल ही में भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ बढ़ोतरी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है, जिसके दोनों देशों के लिए नकारात्मक परिणाम हो रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से इस महत्वपूर्ण साझेदारी को फिर से स्थापित करने और फौरन सुधारने की अपील की।
तो भारत रूस और चीन के करीब जा सकता है
पत्र में आगे चेतावनी दी गई है कि ट्रंप प्रशासन के इन कदमों से भारत के चीन और रूस के करीब आने का खतरा है। सांसदों ने कहा-क्वाड में अपनी भागीदारी के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर शक्ति के रूप में भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए यह घटनाक्रम विशेष रूप से चिंताजनक है। उन्होंने आगे कहा कि चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने में भारत एक अपरिहार्य भागीदार बन गया है।
टैरिफ लगाने से अमेरिका को ही नुकसान
अमेरिकी सांसदों ने लिखा कि अगस्त 2025 के अंत में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था, जिसमें शुरुआती 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ के साथ-साथ रूस से भारत की ऊर्जा खरीद के जवाब में 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल था। उन्होंने कहा कि ये दंडात्मक उपाय भारतीय निर्माताओं और अमेरिकी उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उन सप्लाई-चेन को नुकसान पहुंचा रहे हैं जिन पर अमेरिकी कंपनियां प्रोडक्ट्स को बाजार में लाने के लिए निर्भर हैं।
भारतीय निवेश से अमेरिका में पैदा हुईं नौकरियां
कांग्रेस के सदस्यों ने एक व्यापारिक साझेदार के रूप में भारत की अहमियत बताते हुए कहा कि अमेरिकी निर्माता सेमीकंडक्टर से लेकर स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा तक सभी क्षेत्रों में प्रमुख इनपुट के लिए भारत पर निर्भर हैं। भारत में निवेश करने वाली अमेरिकी कंपनियों को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजारों में से एक तक पहुंच मिलती है। अमेरिका में भारतीय निवेश ने स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और आर्थिक अवसर पैदा किए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि टैरिफ में लगातार बढ़ोतरी से ये संबंध खतरे में पड़ सकते हैं। अमेरिकी परिवारों के लिए लागत बढ़ सकती है और अमेरिकी कंपनियों की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता कम हो सकती है।
बिना समझौते के मोदी-ट्रंप में मुलाकात संभव नहीं
इंडियन एक्सप्रेस पर छपी स्टोरी के मुताबिक, अधिकारी ने कहा-राष्ट्रपति ट्रंप और उनका कार्यालय संभवतः किसी समझौते की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन भारतीय व्यवस्था पारंपरिक रूप से इस तरह काम नहीं करती है। आदर्श रूप से, दोनों नेता समझौता होने के बाद ही बातचीत करेंगे। हालांकि, कई बार परिस्थितियां मामलों को बदल देती हैं और यह एक नया वाशिंगटन है, जहां ट्रंप ने प्रोटोकॉल के लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांतों को उलट दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में हाल ही में अमेरिका यात्रा के दौरान एक प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर और बाद में गोर से मुलाकात की। इन बैठकों से वार्ता को आगे बढ़ाने में मदद मिली।
लेटर में अमेरिकी सांसदों ने क्या-क्या कहा, यह जानिए
इंडिया टुडे पर छपी एक खबर के अनुसार, 8 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में कांग्रेस सदस्य डेबोरा रॉस और रो खन्ना की अगुवाई वाले अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों ने कहा कि हाल ही में भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ बढ़ोतरी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है, जिसके दोनों देशों के लिए नकारात्मक परिणाम हो रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से इस महत्वपूर्ण साझेदारी को फिर से स्थापित करने और फौरन सुधारने की अपील की।
तो भारत रूस और चीन के करीब जा सकता है
पत्र में आगे चेतावनी दी गई है कि ट्रंप प्रशासन के इन कदमों से भारत के चीन और रूस के करीब आने का खतरा है। सांसदों ने कहा-क्वाड में अपनी भागीदारी के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर शक्ति के रूप में भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए यह घटनाक्रम विशेष रूप से चिंताजनक है। उन्होंने आगे कहा कि चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने में भारत एक अपरिहार्य भागीदार बन गया है।
टैरिफ लगाने से अमेरिका को ही नुकसान
अमेरिकी सांसदों ने लिखा कि अगस्त 2025 के अंत में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था, जिसमें शुरुआती 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ के साथ-साथ रूस से भारत की ऊर्जा खरीद के जवाब में 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल था। उन्होंने कहा कि ये दंडात्मक उपाय भारतीय निर्माताओं और अमेरिकी उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और उन सप्लाई-चेन को नुकसान पहुंचा रहे हैं जिन पर अमेरिकी कंपनियां प्रोडक्ट्स को बाजार में लाने के लिए निर्भर हैं।
भारतीय निवेश से अमेरिका में पैदा हुईं नौकरियां
कांग्रेस के सदस्यों ने एक व्यापारिक साझेदार के रूप में भारत की अहमियत बताते हुए कहा कि अमेरिकी निर्माता सेमीकंडक्टर से लेकर स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा तक सभी क्षेत्रों में प्रमुख इनपुट के लिए भारत पर निर्भर हैं। भारत में निवेश करने वाली अमेरिकी कंपनियों को दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजारों में से एक तक पहुंच मिलती है। अमेरिका में भारतीय निवेश ने स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और आर्थिक अवसर पैदा किए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि टैरिफ में लगातार बढ़ोतरी से ये संबंध खतरे में पड़ सकते हैं। अमेरिकी परिवारों के लिए लागत बढ़ सकती है और अमेरिकी कंपनियों की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता कम हो सकती है।
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