पटना: लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव बिहार चुनाव के बीच अपनी अलग राजनीतिक राह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे मीडिया में बने रहने के साथ-साथ अपनी महत्वाकांक्षाओं को भी पंख लगा रहे हैं। हाल ही में बीजेपी सांसद रवि किशन से उनकी मुलाकात ने अटकलों को हवा दे दी है। तेज प्रताप ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को 'जननायक' कहे जाने पर भी आपत्ति जताई थी और खुद को जनता का नेता बताया था। हालांकि एक स्वतंत्र नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाने के लिए उन्हें अभी लंबा सफर तय करना है।
तेज प्रताप यादव, जो कभी अपने पिता लालू यादव के प्रभाव के कारण पहचाने जाते थे, अब अपनी अलग पहचान बनाने में जुटे हैं। उन्होंने एक नए राजनीतिक दल 'जनशक्ति जनता दल' (जेजेडी) का गठन किया है और खुद को एक नया गठबंधन बनाने वाले नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं। वे खुद को 'वंचित उत्तराधिकारी' के रूप में पेश करते हैं, जो अपनी पहचान के लिए लड़ रहा है। चुनाव के बाद की संभावनाओं के बारे में उन्होंने कहा, सभी विकल्प खुले हैं। इसका मतलब है कि यदि चुनावी गणित उनके पक्ष में रहा तो वे गठबंधन करने के लिए तैयार हैं। हालांकि उनके इस रवैये को अवसरवादी लचीलापन माना जा रहा है, न कि वैचारिक स्पष्टता, क्योंकि उन्होंने पहले बीजेपी के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी।
तेज प्रताप की रणनीतियांतेज प्रताप की राजनीतिक चालें तीन मुख्य रणनीतियों पर टिकी हैं। पहली- वे महुआ से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां से उन्होंने पहली बार अपनी पहचान बनाई थी। इससे उन्हें स्थानीय समर्थन का दावा करने का मौका मिलेगा, जबकि वे अपनी अलग राह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी- उन्होंने छोटे क्षेत्रीय दलों को अपने 'जनशक्ति जनता दल' के बैनर तले एकजुट करने का प्रयास किया है। इससे वे एक वैकल्पिक गठबंधन और एक ऐसा मोलभाव करने वाला राजनीतिक गुट बनाना चाहते हैं, जो त्रिशंकू विधानसभा की स्थिति में महत्वपूर्ण हो सकता है। तीसरी- वे अपने लोकलुभावन और कभी-कभी सनकी अंदाज का सहारा लेते हैं। वे भावनात्मक अपील और उत्तेजक संदेशों का मिश्रण करते हैं ताकि मीडिया का ध्यान बना रहे और जमीनी स्तर पर उनका समर्थन कायम रहे।
तेज प्रताप के राजनीतिक भविष्य का दारोमदार महुआ विधानसभा सीट के चुनावी नतीजों पर टिका है। यहां उनका मुकाबला तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले आरजेडी के मुकेश कुमार रौशन से हुआ है। आरजेडी महागठबंधन का हिस्सा हैं। वहीं सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संजय कुमार सिंह भी मैदान में हैं।
महुआ के नतीजों में छुपा भविष्य
सन 2015 में तेज प्रताप ने महुआ में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 28,000 से अधिक वोटों से हराया था। उन्होंने कुल वैध वोटों का 43.34 प्रतिशत हासिल किया था। लेकिन 2020 में उन्होंने हसनपुर सीट से चुनाव लड़ा और वहां भी जीत हासिल की। इस बार उन्होंने जेडीयू के उम्मीदवार को 21,000 से अधिक वोटों से हराया और 47.27 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे।
महुआ से हसनपुर सीट पर उनका यह बदलाव तब हुआ था जब ऐसी अटकलें थीं कि उनकी अलग हो चुकी पत्नी ऐश्वर्या राय को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। ऐसा इसलिए था क्योंकि ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय, जो कभी लालू के करीबी माने जाते थे, आरजेडी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए थे। तेज प्रताप ने 2018 में ऐश्वर्या से शादी की थी, लेकिन एक विवाद के बाद वे अलग हो गए थे, जिससे चंद्रिका राय नाराज थे। फिलहाल महुआ में उनका वर्तमान प्रदर्शन उनके भविष्य की राजनीतिक किस्मत तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। महुआ में पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान हुआ था।
(इनपुट आईएएनएस से भी)
तेज प्रताप यादव, जो कभी अपने पिता लालू यादव के प्रभाव के कारण पहचाने जाते थे, अब अपनी अलग पहचान बनाने में जुटे हैं। उन्होंने एक नए राजनीतिक दल 'जनशक्ति जनता दल' (जेजेडी) का गठन किया है और खुद को एक नया गठबंधन बनाने वाले नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं। वे खुद को 'वंचित उत्तराधिकारी' के रूप में पेश करते हैं, जो अपनी पहचान के लिए लड़ रहा है। चुनाव के बाद की संभावनाओं के बारे में उन्होंने कहा, सभी विकल्प खुले हैं। इसका मतलब है कि यदि चुनावी गणित उनके पक्ष में रहा तो वे गठबंधन करने के लिए तैयार हैं। हालांकि उनके इस रवैये को अवसरवादी लचीलापन माना जा रहा है, न कि वैचारिक स्पष्टता, क्योंकि उन्होंने पहले बीजेपी के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी।
तेज प्रताप की रणनीतियांतेज प्रताप की राजनीतिक चालें तीन मुख्य रणनीतियों पर टिकी हैं। पहली- वे महुआ से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां से उन्होंने पहली बार अपनी पहचान बनाई थी। इससे उन्हें स्थानीय समर्थन का दावा करने का मौका मिलेगा, जबकि वे अपनी अलग राह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी- उन्होंने छोटे क्षेत्रीय दलों को अपने 'जनशक्ति जनता दल' के बैनर तले एकजुट करने का प्रयास किया है। इससे वे एक वैकल्पिक गठबंधन और एक ऐसा मोलभाव करने वाला राजनीतिक गुट बनाना चाहते हैं, जो त्रिशंकू विधानसभा की स्थिति में महत्वपूर्ण हो सकता है। तीसरी- वे अपने लोकलुभावन और कभी-कभी सनकी अंदाज का सहारा लेते हैं। वे भावनात्मक अपील और उत्तेजक संदेशों का मिश्रण करते हैं ताकि मीडिया का ध्यान बना रहे और जमीनी स्तर पर उनका समर्थन कायम रहे।
तेज प्रताप के राजनीतिक भविष्य का दारोमदार महुआ विधानसभा सीट के चुनावी नतीजों पर टिका है। यहां उनका मुकाबला तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले आरजेडी के मुकेश कुमार रौशन से हुआ है। आरजेडी महागठबंधन का हिस्सा हैं। वहीं सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संजय कुमार सिंह भी मैदान में हैं।
महुआ के नतीजों में छुपा भविष्य
सन 2015 में तेज प्रताप ने महुआ में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 28,000 से अधिक वोटों से हराया था। उन्होंने कुल वैध वोटों का 43.34 प्रतिशत हासिल किया था। लेकिन 2020 में उन्होंने हसनपुर सीट से चुनाव लड़ा और वहां भी जीत हासिल की। इस बार उन्होंने जेडीयू के उम्मीदवार को 21,000 से अधिक वोटों से हराया और 47.27 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे।
महुआ से हसनपुर सीट पर उनका यह बदलाव तब हुआ था जब ऐसी अटकलें थीं कि उनकी अलग हो चुकी पत्नी ऐश्वर्या राय को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। ऐसा इसलिए था क्योंकि ऐश्वर्या के पिता चंद्रिका राय, जो कभी लालू के करीबी माने जाते थे, आरजेडी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए थे। तेज प्रताप ने 2018 में ऐश्वर्या से शादी की थी, लेकिन एक विवाद के बाद वे अलग हो गए थे, जिससे चंद्रिका राय नाराज थे। फिलहाल महुआ में उनका वर्तमान प्रदर्शन उनके भविष्य की राजनीतिक किस्मत तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। महुआ में पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान हुआ था।
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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