पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण की वोटिंग से पहले सियासत गर्मा गई है। रविवार को प्रचार थमने से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक बड़ा बयान दिया। लालू यादव ने कहा कि इस बार बिहार चुनाव का मुख्य मुद्दा बेरोजगारी है। अगर राजद की सरकार बनती है तो राज्य से बेरोजगारी खत्म करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।
अब हम नीतीश के संपर्क में नहीं: लालू यादवपटना स्थित राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर लालू यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को खास इंटरव्यू दिया। स्वास्थ्य कारणों से प्रचार से दूर रहने के बावजूद लालू यादव ने दावा किया कि उनकी पार्टी इस बार नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करेगी। जब लालू यादव से सवाल किया गया कि क्या वो नीतीश कुमार के साथ दोबारा गठबंधन करेंगे? इस पर लालू यादव ने साफ कहा कि 'अब हम नीतीश कुमार के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।' इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि, 'अब हम नीतीश के संपर्क में नहीं हैं।'
लालू-नीतीश की 35 साल पुरानी सियासी कहानी
बिहार की राजनीति में लालू यादव और नीतीश कुमार ने पिछले तीन दशकों में कई करवटें ली हैं- कभी विरोधी, कभी सहयोगी। 2015 और 2022 में नीतीश ने आरजेडी से हाथ मिलाकर लालू परिवार को फिर से सियासी केंद्र में लाया। दोनों बार तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, नीतीश की रणनीति ने भाजपा के बढ़ते प्रभाव को सीमित रखा और यादव परिवार को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनाए रखा। वहीं, नीतीश ने 2005 में लालू से अलग होकर कुर्मी-कोइरी, महादलित और पिछड़ी जातियों का नया समीकरण बनाया, जिससे बिहार की राजनीति का नया दौर शुरू हुआ।
अब हम नीतीश के संपर्क में नहीं: लालू यादवपटना स्थित राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर लालू यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को खास इंटरव्यू दिया। स्वास्थ्य कारणों से प्रचार से दूर रहने के बावजूद लालू यादव ने दावा किया कि उनकी पार्टी इस बार नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करेगी। जब लालू यादव से सवाल किया गया कि क्या वो नीतीश कुमार के साथ दोबारा गठबंधन करेंगे? इस पर लालू यादव ने साफ कहा कि 'अब हम नीतीश कुमार के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।' इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि, 'अब हम नीतीश के संपर्क में नहीं हैं।'
लालू-नीतीश की 35 साल पुरानी सियासी कहानी
बिहार की राजनीति में लालू यादव और नीतीश कुमार ने पिछले तीन दशकों में कई करवटें ली हैं- कभी विरोधी, कभी सहयोगी। 2015 और 2022 में नीतीश ने आरजेडी से हाथ मिलाकर लालू परिवार को फिर से सियासी केंद्र में लाया। दोनों बार तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, नीतीश की रणनीति ने भाजपा के बढ़ते प्रभाव को सीमित रखा और यादव परिवार को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनाए रखा। वहीं, नीतीश ने 2005 में लालू से अलग होकर कुर्मी-कोइरी, महादलित और पिछड़ी जातियों का नया समीकरण बनाया, जिससे बिहार की राजनीति का नया दौर शुरू हुआ।
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