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Guru Nanak Jayanti 2025 Date : गुरु नानक जयंती कब है? जानें सही तिथि और गुरु पर्व का महत्व

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कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है, जिसे प्रकाश पर्व और गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग गुरुद्वारे जाते हैं और कीर्तन का आयोजन भी करते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। गुरु नानक जयंती से कुछ दिन पहले ही सुबह के समय फेरियां भी निकलनी शुरू हो जाती हैं। इस दौरान श्रद्धालु कीर्तन गाते हुए पूरे नगर में घूमते हैं। गुरु नानक जयंती की शाम भी बेहद खास होती है और इस दिन विशेष दीपक जलाए जाते हैं। तो आइए जानते हैं कि इस बार गुरु नानक जयंती कब है और गुरु पर्व का क्या महत्व है।

गुरु नानक जयंती 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि आज रात यानी 4 नवंबर, मंगलवार को रात के समय 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 5 नवंबर, बुधवार को शाम के 6 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में गुरु नानक जयंती 5 नवंबर को मनाई जाएगी।

गुरु नानकजी की जयंती है बेहद खास, जानें महत्व
सिख धर्म में गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस खास अवसर पर सिख समुदाय के सभी लोग 'वाहे गुरु' जपते हुए सुबह-सुबह फेरी निकालते हैं। साथ ही, कीर्तन भी करते हैं। गुरुद्वारों में भी सुबह के वक्त से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो जाता है और यह रात तक चलता रहता है। वहीं, इस दिन शाम के समय लंगर का आयोजन किया जाता है। जिसमें सिख समुदाय के लोग अपने क्षमता अनुसार सेवा करते हैं। दीवाली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी ने सभी को सिखाया की ईश्वर एक ही है और हम लोगों को सभी के साथ प्रेम और भाईचारे के साथ रहना चाहिए। ज्ञान का प्रकाश फैलाने के चलते ही इसे प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शाम को विशेष रूप से दीपक जलाए जाते हैं।

गुरु नानक जयंती पर कीर्तन का महत्व
गुरु पर्व शुरू होने से कुछ दिन पहले से ही सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं। जिसका बहुत खास महत्व होता है। वहीं, गुरु नानक जयंती वाले दिन एक विशाल नगर कीर्तन निकलता है और इसकी अगुवाई पंज प्यारे करते हैं। फूलों से सजी पालकी पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर पूरे नगर में घुमाया जाता है। इसके बाद, वापस गुरुद्वारे लेकर जाया जाता है। प्रभात फेरी में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए जाते हैं और जगह-जगह पर उनका स्वागत भी किया जाता है।
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