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मीट एट आगरा ट्रेड फेयर: पेड़-पौधों की छाल से बन रहे जूते-चप्पल, फुटवियर में बढ़ा 'इको फ्रेंडली' ट्रेंड

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आगरा: पारंपरिक चमड़े के जूतों के लिए प्रसिद्ध आगरा अब पर्यावरण के अनुकूल फुटवियर निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। शहर में चल रहे तीन दिवसीय मीट एट आगरा ट्रेड फेयर में इस बार सबसे ज्यादा चर्चा उन जूतों और चप्पलों की रही, जो पेड़-पौधों की छाल और प्राकृतिक फाइबर से बनाए जा रहे हैं।

ये न सिर्फ इको-फ्रेंडली हैं, बल्कि टिकाऊ और स्टाइलिश भी हैं। इन फुटवियर को बनाने में नारियल के रेशे, केले के तने की फाइबर, बांस और पेड़ों की छाल जैसे प्राकृतिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उद्यमी सुनील गुप्ता ने बताया कि इनका उपयोग चमड़े के स्थान पर किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता। साथ ही हर मौसम में आरामदायक होने के साथ-साथ पैरों के दर्द समेत अन्य परेशानियों से भी बचाता है।

मजबूती देने के लिए कपड़े का उपयोग
उद्यमी सुनील गुप्ता का कहना है कि हमारा उद्देश्य ऐसे जूते बनाना है, जो फैशनेबल होने के साथ प्रकृति के प्रति जिम्मेदार भी हों। उन्होंने बताया कि इन जूता चप्पलों को हेम फैब्रिक से बनाया जाता है। जिसे पेड़-पौधों की छाल से तैयार किया जाता है। मजबूती के लिए कपड़े का उपयोग किया जाता है। इनके सॉल्स कॉर्क के बनाए जाते हैं, जो टिकाऊ और हल्के होते हैं। ये भी पेड़ से बनाए जाते हैं।


तेजी से बढ़ रहा है चलन
फेयर में भाग ले रहे युवा डिजाइनरों ने बताया कि इन फुटवियर की डिमांड यूरोप और दक्षिण एशिया के बाजारों में तेजी से बढ़ रही है। ग्राहक अब सस्टेनेबल फैशन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इको फ्रेंडली जूता-चप्पल लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं। आगरा का फुटवियर उद्योग अब चमड़े से निकलकर हरियाली की राह पर कदम रख चुका है। फैशन और पर्यावरण दोनों साथ चल रहे
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