नई दिल्ली: हर नौकरीपेशा को उस तारीख कर बड़ी बेसब्री से इंतजार होता है जब उसकी सैलरी बैंक अकाउंट में आती है। लेकिन सोचिए कि सैलरी आने के कुछ ही देर बाद बैंक अकाउंट खाली या बहुत कम हो जाए तो क्या होगा? ऐसा आज के समय एक के साथ नहीं, बल्कि काफी लोगों के साथ हो रहा है। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति मिडिल क्लास वालों के साथ है। लोगों का खर्चा बढ़ रहा है और बचत कम हो रही है। एक ऐसा क्रेडिट सिस्टम बन गया है जो लोगों को कर्ज के जाल में फंसा रहा है।
एक रेडिट यूजर ने ऐसी ही अपनी कहानी बताई है। उसने बताया है कि उसके बैंक अकाउंट से सिर्फ 5 मिनट में 43,000 रुपये घटकर 7 रुपये रह गए। उसने बताया कि उसका रेंट, ईएमआई, क्रेडिट कार्ड पेमेंट और दूसरी चीजों के बिल भरने में ही सैलरी का सारा पैसा चला गया। यह कहानी आज के मिडिल क्लास की परेशानी दिखाती है। बहुत से लोग ईएमआई और सैलरी पर निर्भर हैं। इस वजह से वे कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
कहां-कहां खर्च हुई सैलरी?रेडिट यूजर ने बताया कि उसकी सैलरी आते ही खत्म हो गई। 19,000 रुपये कमरे का रेंट था। 15,000 रुपये क्रेडिट कार्ड का मिनिमम पेमेंट (जबकि पूरा बिल 60,000 रुपये का था) और कुछ रकम ईएमआई भरने में कट गई। इसके अलावा कुछ रकम इंटरनेट और मोबाइल का बिल चुकाने में खर्च हुई। अंत में उसके पास सिर्फ 7 रुपये बचे।
ईएमआई में खर्च हो रही ज्यादा रकमइस शख्स कर यह कहानी इंटरनेट पर काफी वायरल है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि यह कोई अनोखी बात नहीं है। रिजर्व बैंक के अनुसार पर्सनल लोन पिछले तीन सालों में 75% बढ़ गए हैं। लगभग एक-तिहाई सैलरीड लोग अपनी कमाई का 33% से ज्यादा ईएमआई में खर्च करते हैं। इसमें रेंट, खाना और बचत शामिल नहीं है। कई लोगों के लिए यह आंकड़ा 45% तक पहुंच जाता है।
जरूरत के लिए लिया जा रहा कर्जकई एक्सपर्ट ने इस तरह के खर्च को लेकर चेतावनी दी है। जानकारों के मुताबिक 5 से 10 फीसदी मिडिल क्लास परिवार कर्ज के जाल में फंस चुके हैं। काफी लोग जीने के लिए, सिर्फ जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन ले रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक आज के समय लोन मिलना काफी आसान हो गया है। खासतौर से डिजिटल तरीके से लोन। एक तरफ जहां लोगों की सैलरी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ रही है, वहीं वे दिखावे के लिए ज्यादा खर्च करते हैं।
एक रेडिट यूजर ने ऐसी ही अपनी कहानी बताई है। उसने बताया है कि उसके बैंक अकाउंट से सिर्फ 5 मिनट में 43,000 रुपये घटकर 7 रुपये रह गए। उसने बताया कि उसका रेंट, ईएमआई, क्रेडिट कार्ड पेमेंट और दूसरी चीजों के बिल भरने में ही सैलरी का सारा पैसा चला गया। यह कहानी आज के मिडिल क्लास की परेशानी दिखाती है। बहुत से लोग ईएमआई और सैलरी पर निर्भर हैं। इस वजह से वे कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
कहां-कहां खर्च हुई सैलरी?रेडिट यूजर ने बताया कि उसकी सैलरी आते ही खत्म हो गई। 19,000 रुपये कमरे का रेंट था। 15,000 रुपये क्रेडिट कार्ड का मिनिमम पेमेंट (जबकि पूरा बिल 60,000 रुपये का था) और कुछ रकम ईएमआई भरने में कट गई। इसके अलावा कुछ रकम इंटरनेट और मोबाइल का बिल चुकाने में खर्च हुई। अंत में उसके पास सिर्फ 7 रुपये बचे।
ईएमआई में खर्च हो रही ज्यादा रकमइस शख्स कर यह कहानी इंटरनेट पर काफी वायरल है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट का कहना है कि यह कोई अनोखी बात नहीं है। रिजर्व बैंक के अनुसार पर्सनल लोन पिछले तीन सालों में 75% बढ़ गए हैं। लगभग एक-तिहाई सैलरीड लोग अपनी कमाई का 33% से ज्यादा ईएमआई में खर्च करते हैं। इसमें रेंट, खाना और बचत शामिल नहीं है। कई लोगों के लिए यह आंकड़ा 45% तक पहुंच जाता है।
जरूरत के लिए लिया जा रहा कर्जकई एक्सपर्ट ने इस तरह के खर्च को लेकर चेतावनी दी है। जानकारों के मुताबिक 5 से 10 फीसदी मिडिल क्लास परिवार कर्ज के जाल में फंस चुके हैं। काफी लोग जीने के लिए, सिर्फ जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन ले रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक आज के समय लोन मिलना काफी आसान हो गया है। खासतौर से डिजिटल तरीके से लोन। एक तरफ जहां लोगों की सैलरी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ रही है, वहीं वे दिखावे के लिए ज्यादा खर्च करते हैं।
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