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भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर जल्द मुहर! फाइनल स्टेज पर पहुंचे दोनों देश, अभी से तय हो गया 2030 का टारगेट

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नई दिल्ली: भारत और अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार समझौता अपने अंतिम चरण के काफी करीब है। दोनों देश ज्यादातर मुद्दों पर सहमत हो गए हैं, साथ ही समझौते की भाषा पर भी काफी तेजी से काम चल रहा है। मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने दावा किया है कि दोनों देशों के बीच ज्यादा मतभेद नहीं हैं और अच्छी बातचीत चल रही है।

मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि द्विपक्षीय समझौते पर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है और कोई भी नया मुद्दा बातचीत में बाधा नहीं बन रहा है। उन्होंने आगे कहा कि दोनों पक्ष समझौते की डेडलाइन को लेकर काफी गंभीर हैं। गुरुवार को दोनों देशों के वार्ताकारों ने वर्चुअल चर्चा की। द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण के लिए मार्च से अब तक पांच दौर की वार्ता पूरी हो चुकी है, जिस पर शुरुआत में 2025 की शुरूआत में हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया था।

2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार 500 अरब पहुंचाना लक्ष्य
यह समझौता मार्च से शुरू हुई पांचवें दौर की बातचीत का हिस्सा है। दोनों देशों के नेताओं के निर्देश पर फरवरी में इस समझौते का प्रस्ताव रखा गया था। इसका लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है।


पिछले महीने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका गए थे और उन्होंने वहां उच्च-स्तरीय व्यापार वार्ता का नेतृत्व किया था। उनके साथ विशेष सचिव और भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल भी थे। सितंबर के मध्य में, अमेरिका के अधिकारियों की एक टीम ने भारतीय वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की थी।

अमेरिका की भारत से डेयरी उद्योग खोलने की डिमांड
भारत और अमेरिका पिछले कुछ महीनों से एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, अमेरिका की कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने की मांग पर भारत को कुछ चिंताएं थीं। ये क्षेत्र भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनसे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। भारत सरकार डेयरी उद्योग में अमेरिका के किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से साफ इनकार कर दिया है।

वहीं इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों के आयात पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था, कुछ दिनों बाद भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर अतिरिक्त 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था। जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों को लेकर दुनियाभर में चर्चा होने लगी थी।
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