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सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री की जमानत रद्द करने के मामले में उन्हें दस्तावेज देने के लिए एक दिन का वक्त दिया

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज कर्नाटक के विधायक और पूर्व मंत्री विनय कुलकर्णी को भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौड़ा की हत्या के मामले में गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों के तहत उनकी जमानत रद्द करने की राज्य सरकार की याचिका के सिलसिले में, दस्तावेज़ दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय देने से इनकार कर दिया।



सुप्रीम कोर्ट में कुलकर्णी की वकील ने दी ये दलील

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए सुनवाई को शुक्रवार के लिए टालते हुए कुलकर्णी के वकीलों को सिर्फ एक दिन का समय देते हुए कहा कि प्रतिवादी चाहे तो दिन के दौरान या कल की सुनवाई के दौरान कोई भी दस्तावेज़ रिकॉर्ड में ला सकते हैं। सीनियर वकील मनिंदर सिंह सुप्रीम कोर्ट में कुलकर्णी की ओर से पेश हुए और कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें एक सप्ताह का समय दिया जाए, क्योंकि यह मामला अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार) से जुड़ा है और राज्य सरकार ने कुछ जरूरी दस्तावेज़ दाखिल नहीं किए हैं जो ट्रायल कोर्ट के समक्ष पहले पेश किए गए थे। उन्होंने कहा कि हमें इस मामले में कोई समय नहीं मिला। अन्य आरोपी जिनकी जमानत रद्द करने की याचिका लंबित है, उनका मामला हाई कोर्ट में रिजर्व है। वह 4-6 हफ्तों की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि एक उचित समय चाहते हैं।कर्नाटक सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने इस अनुरोध का विरोध किया और कुलकर्णी के पहले के आचरण का हवाला दिया। अदालत ने याची से कहा कि हम आप पर बहुत सख्त हो जाएंगे। हम मामला सिर्फ एक दिन के लिए स्थगित कर रहे हैं।



बेंच ने लगाई फटकार

बेंच ने उस वकील को भी फटकार लगाई जो बीते दिन कुलकर्णी की ओर से पेश हुए थे और छुट्टी पर होने का बहाना बनाकर स्थगन मांगा था, जबकि वह वास्तव में काले कोट में थे। वकील ने क्षमा मांगी और स्पष्ट किया कि उन्होंने काला कोट उधार लिया था, वह झूठ नहीं बोल रहे थे। अदालत ने कहा कि आपने एक वरिष्ठ अधिवक्ता को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा किया। आप तीन बार लॉग-इन हुए और यह केवल आपके बारे में नहीं, बल्कि पूरे पेशे के बारे में बहुत कुछ कहता है।



क्या है मामला



विनय कुलकर्णी को 2020 में भाजपा कार्यकर्ता योगेश गौड़ा की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 2021 में जमानत दी गई थी। अब कर्नाटक सरकार ने गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों के आधार पर उनकी जमानत रद्द करने की मांग की है।

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