गुवाहाटी : असम में हिमंत बिस्वा सरमा की ने सरकार पूरे राज्य में वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने का अभियान छेड़ रखा है। इस कार्रवाई खिलाफ एक तरफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है, दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हमले शुरू किए हैं। असम कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि हिमंत सरकार बंगाली मुसलमानों को निशाना बना रही है। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि असम में बंगाली बोलने वालों को परेशान किया जा रहा है। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर अतिक्रमण नहीं रोका गया तो असम की संस्कृति और पहचान खतरे में पड़ सकती है।
हिमंत बिस्वा सरमा बोले, असमिया संस्कृति को बचाना जरूरी
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि राज्य में सिंगापुर जैसे देशों के बराबर लगभग 63 लाख एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है, जिसे पूरी तरह मुक्त कराने में 20 साल लगेंगे। अब तक लगभग 1,19,548 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। उनका कहना है कि अगर अतिक्रमण हटाने के प्रयास रोके गए तो और ज्यादा जमीन पर कब्जा हो सकता है। अतिक्रमण के कारण डेमोग्राफिक बदलाव हो सकते हैं और असमिया संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी समुदायों के अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार असम की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना की रक्षा के लिए अतिक्रमण हटाने की नीति को सख्ती से लागू कर रही है।
ममता बनर्जी का आरोप, बंगालियों को कर रहे हैं टारगेट
असम सरकार जिन इलाकों में वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया है, उसमें बंगाली बोलने वाले मुसलमानों का कब्जा था। हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया था कि कब्जा करने वाले बांग्लादेशी हैं। धुबरी और ग्वालपाड़ा में अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस के साथ संघर्ष के बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ा था। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाषा के आधार पर लोगों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बंगाली है। यह असम की भी दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। नागरिकों को उनकी मातृभाषा के लिए सताया जाना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है। बता दें कि ममता बनर्जी अन्य राज्यों में बंगाली बोलने वाले लोगों के उत्पीड़न के मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने वाली हैं।
'अपनी जमीन पर अल्पसंख्यक हो जाएगा हिंदू समाज'
हिमंत बिस्वा सरमा ने ममता बनर्जी के आरोपों का जवाब सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर दिया। सरमा ने दावा किया कि असम के लोग खासकर हिंदू अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। पिछले 60 वर्षों में इस कारण हमने अपनी संस्कृति, अपनी जमीन, अपने मंदिर खो दिए हैं। कानून हमें कोई उपाय नहीं देता इसलिए हम बेताब हैं मगर बदला लेने के लिए नहीं, बल्कि जीवित रहने के लिए। हम गरिमा के साथ, कानून के भीतर और अपने असम की आत्मा के लिए लड़ते हुए मरेंगे। बस हमें वह लड़ने से मत रोको जो हमारा है। यह हमारे अस्तित्व के लिए हमारी आखिरी लड़ाई है।
सरमा ने हाल ही में कहा कि सरकार ने अतिक्रमण से मुक्त कराई गई जमीन को लोगों के कल्याण के लिए समर्पित किया है। ओरंग में वापस ली गई जमीन एक सींग वाले गैंडों और बाघों का घर बन गई है। बोरसोला में एक सोलर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। मानव-हाथी संघर्ष काफी कम हो गया है। सागौन के पेड़ के लिए मशहूर पैकान जल्द ही फिर से हरा-भरा हो जाएगा।
हिमंत बिस्वा सरमा बोले, असमिया संस्कृति को बचाना जरूरी
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि राज्य में सिंगापुर जैसे देशों के बराबर लगभग 63 लाख एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है, जिसे पूरी तरह मुक्त कराने में 20 साल लगेंगे। अब तक लगभग 1,19,548 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। उनका कहना है कि अगर अतिक्रमण हटाने के प्रयास रोके गए तो और ज्यादा जमीन पर कब्जा हो सकता है। अतिक्रमण के कारण डेमोग्राफिक बदलाव हो सकते हैं और असमिया संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी समुदायों के अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार असम की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना की रक्षा के लिए अतिक्रमण हटाने की नीति को सख्ती से लागू कर रही है।
The second most spoken language in the country, Bangla, is also the second most spoken language of Assam.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 19, 2025
To threaten citizens, who want to coexist peacefully respecting all languages and religions, with persecution for upholding their own mother tongue is discriminatory and…
ममता बनर्जी का आरोप, बंगालियों को कर रहे हैं टारगेट
असम सरकार जिन इलाकों में वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया है, उसमें बंगाली बोलने वाले मुसलमानों का कब्जा था। हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया था कि कब्जा करने वाले बांग्लादेशी हैं। धुबरी और ग्वालपाड़ा में अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस के साथ संघर्ष के बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ा था। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाषा के आधार पर लोगों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बंगाली है। यह असम की भी दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। नागरिकों को उनकी मातृभाषा के लिए सताया जाना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है। बता दें कि ममता बनर्जी अन्य राज्यों में बंगाली बोलने वाले लोगों के उत्पीड़न के मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने वाली हैं।
Didi, let me remind you—
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 19, 2025
In Assam, we are not fighting our own people. We are fearlessly resisting the ongoing, unchecked Muslim infiltration from across the border, which has already caused an alarming demographic shift. In several districts, Hindus are now on the verge of… https://t.co/mwqs398RKE
'अपनी जमीन पर अल्पसंख्यक हो जाएगा हिंदू समाज'
हिमंत बिस्वा सरमा ने ममता बनर्जी के आरोपों का जवाब सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर दिया। सरमा ने दावा किया कि असम के लोग खासकर हिंदू अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। पिछले 60 वर्षों में इस कारण हमने अपनी संस्कृति, अपनी जमीन, अपने मंदिर खो दिए हैं। कानून हमें कोई उपाय नहीं देता इसलिए हम बेताब हैं मगर बदला लेने के लिए नहीं, बल्कि जीवित रहने के लिए। हम गरिमा के साथ, कानून के भीतर और अपने असम की आत्मा के लिए लड़ते हुए मरेंगे। बस हमें वह लड़ने से मत रोको जो हमारा है। यह हमारे अस्तित्व के लिए हमारी आखिरी लड़ाई है।
सरमा ने हाल ही में कहा कि सरकार ने अतिक्रमण से मुक्त कराई गई जमीन को लोगों के कल्याण के लिए समर्पित किया है। ओरंग में वापस ली गई जमीन एक सींग वाले गैंडों और बाघों का घर बन गई है। बोरसोला में एक सोलर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। मानव-हाथी संघर्ष काफी कम हो गया है। सागौन के पेड़ के लिए मशहूर पैकान जल्द ही फिर से हरा-भरा हो जाएगा।
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