झुंझुनूं: ऑपरेशन सिंदूर में देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले अमर वीर शहीद सुरेंद्र कुमार मोगा को आज उनके पैतृक गांव मेहरादासी में अंतिम विदाई दी गई। यहां हजारों लोगों की मौजूदगी में नम आंखों से शहीद को अंतिम अलविदा कहा गया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान जम्मू-कश्मीर के उधमपुर एयर बेस पर पाकिस्तान के कायराना हमले में शहीद हुए सुरेंद्र सिंह को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।शहीद की अंतिम यात्रा जनसैलाब में बदल गई। हर ओर भारत माता की जय और ‘सुरेंद्र कुमार अमर रहें’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। आमजन से लेकर प्रदेश के वरिष्ठ नेता, जनप्रतिनिधि और सैन्य अधिकारी तक शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाबरविवार सुबह जैसे ही शहीद की पार्थिव देह सेना के ट्रक से झुंझुनूं के मंडावा पहुंची, हजारों लोग फूलों की वर्षा करते हुए साथ चल पड़े। देशभक्ति गीतों की गूंज के बीच जब यह तिरंगा यात्रा डेढ़ घंटे में मेहरादासी गांव पहुंची, तो हर आंख नम थी। गांव की गलियों में छतों से लेकर रास्तों तक लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। बेटे ने दी मुखाग्नि, बेटी ने लिया संकल्पशहीद की सात वर्षीय संतान दक्ष ने अपने पिता को मुखाग्नि दी, तो 11 साल की बेटी वर्तिका ने तिरंगा थामते हुए फौलादी हौसले के साथ कहा कि 'बड़ी होकर सेना में भर्ती होकर पापा की शहादत का बदला लूंगी'। इस दृश्य ने उपस्थित हर व्यक्ति को भीतर तक झकझोर दिया। भावुक कर गई वीरांगना सीमा की पीड़ाशहीद की पत्नी सीमा देवी की पीड़ा शब्दों से परे थी। वायुसेना की ओर से जब उन्हें सुरेंद्र कुमार की वर्दी सौंपी गई, तो उन्होंने पहले उसे माथे से लगाया, फिर हृदय से लगाकर आंसुओं में डूब गईं। बार-बार वह अपने शहीद पति से कहती रहीं – एक बार तो उठ जा। उनका बार-बार बेहोश होना, हर दिल को तोड़ गया। अंतिम विदाई के वक्त उन्होंने पार्थिव शरीर को सलाम करते हुए ‘आई लव यू’ कहा और अश्रुपूरित विदाई दी। वायुसेना का गार्ड ऑफ ऑनरवायुसेना के ग्रुप कैप्टन विनय भारद्वाज के नेतृत्व में सेना और पुलिस की टुकडिय़ों ने शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी। शहीद की पार्थिव देह को सैन्य सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन किया गया।
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