नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के काशीबुग्गा स्थित वेंकटेश्वर मंदिर में शनिवार को भगदड़ मच गई, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई है। हादसे पर पीएम मोदी, सीएम चंद्रबाबू नायडू समेत कई लोगों ने दुख व्यक्त किया है। जानते हैं इस वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का इतिहास और इसके क्यों पूर्व का तिरुपति कहा जाता है...
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के पलासा मंडल में काशीबुग्गा कस्बे में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर (बालाजी) को समर्पित है और स्थानीय स्तर पर इसे पूर्व का तिरुपति भी कहा जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर नागावली नदी के किनारे बसा हुआ है, जहां भक्त नदी स्नान के बाद दर्शन करते हैं। इस मंदिर में एकादशी और कार्तिक मास में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है।
कैसे बना मंदिर?
प्राचीन मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर स्वयंभू रूप में यहां पर प्रकट हुए थे, जहां उन्होंने अपना भक्तों को दिव्य रूप दिखाया। वहीं एक अन्य दूसरी कथा है कि इस मंदिर का निर्माण करीब 600 वर्ष पूर्व विजयनगर साम्राज्य के काल में नारायणदासु नाम के एक भक्त को भगवान ने दर्शन किए और पहाड़ी पर भव्य मंदिर निर्माण का आदेश दिया। नारायणदासु ने ही इस मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर की दीवारों पर प्राचीन शिलालेख और नक्काशियां मौजूद हैं, जो इसके गौरवशाली इतिहास की गवाही देते हैं। कुछ स्रोत इसे आधुनिक प्रतिरूप बताते हैं, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण विजयनगर काल से जोड़ते हैं।
माना जाता है मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी के आसपास विजयनगर साम्राज्य के दौरान हुआ माना जाता है, जब दक्षिण भारत में वैष्णव भक्ति का प्रसार हो रहा था। समय के साथ, चोल, पांड्य और विजयनगर शासकों के संरक्षण में इसका विस्तार हुआ। आधुनिक काल में, मंदिर को तिरुपति बालाजी मंदिर की पूजा पद्धति के अनुरूप विकसित किया गया, जिसमें दर्शन, आरती और उत्सव समान हैं।
क्यों कहा जाता है पूर्व का तिरुपति?
इस मंदिर में तिरुपति बालाजी मंदिर के समान कई प्रकार की समानताएं है। यह मंदिर तिरुपति मंदिर की पूजा पद्धति और परंपराओं का पालन करता है। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी पद्मवती और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वहीं भक्तों का मानना है कि यहां पर दर्शन करने से तिरुपति बालाजी मंदिर के समान पुण्य मिलता है यही कारण है कि इस पूर्व का तिरुपति कहा जाता है।
वेंकटेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व
यह मंदिर भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। यहां दर्शन से पाप नाश, मोक्ष प्राप्ति और तिरुपति जैसा पुण्य मिलता है। विशेष रूप से वैकुंठ एकादशी, ब्रह्मोत्सव और दीपोत्सव पर उत्सव होते हैं, जहां भक्ति संगीत, आरती और प्रसाद वितरण की परंपरा है। मंदिर में देवी पद्मावती और अन्य विष्णु रूपों की भी पूजा की जाती है।
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के पलासा मंडल में काशीबुग्गा कस्बे में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर (बालाजी) को समर्पित है और स्थानीय स्तर पर इसे पूर्व का तिरुपति भी कहा जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर नागावली नदी के किनारे बसा हुआ है, जहां भक्त नदी स्नान के बाद दर्शन करते हैं। इस मंदिर में एकादशी और कार्तिक मास में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है।
कैसे बना मंदिर?
प्राचीन मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर स्वयंभू रूप में यहां पर प्रकट हुए थे, जहां उन्होंने अपना भक्तों को दिव्य रूप दिखाया। वहीं एक अन्य दूसरी कथा है कि इस मंदिर का निर्माण करीब 600 वर्ष पूर्व विजयनगर साम्राज्य के काल में नारायणदासु नाम के एक भक्त को भगवान ने दर्शन किए और पहाड़ी पर भव्य मंदिर निर्माण का आदेश दिया। नारायणदासु ने ही इस मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर की दीवारों पर प्राचीन शिलालेख और नक्काशियां मौजूद हैं, जो इसके गौरवशाली इतिहास की गवाही देते हैं। कुछ स्रोत इसे आधुनिक प्रतिरूप बताते हैं, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण विजयनगर काल से जोड़ते हैं।
माना जाता है मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी के आसपास विजयनगर साम्राज्य के दौरान हुआ माना जाता है, जब दक्षिण भारत में वैष्णव भक्ति का प्रसार हो रहा था। समय के साथ, चोल, पांड्य और विजयनगर शासकों के संरक्षण में इसका विस्तार हुआ। आधुनिक काल में, मंदिर को तिरुपति बालाजी मंदिर की पूजा पद्धति के अनुरूप विकसित किया गया, जिसमें दर्शन, आरती और उत्सव समान हैं।
क्यों कहा जाता है पूर्व का तिरुपति?
इस मंदिर में तिरुपति बालाजी मंदिर के समान कई प्रकार की समानताएं है। यह मंदिर तिरुपति मंदिर की पूजा पद्धति और परंपराओं का पालन करता है। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी पद्मवती और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वहीं भक्तों का मानना है कि यहां पर दर्शन करने से तिरुपति बालाजी मंदिर के समान पुण्य मिलता है यही कारण है कि इस पूर्व का तिरुपति कहा जाता है।
वेंकटेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व
यह मंदिर भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। यहां दर्शन से पाप नाश, मोक्ष प्राप्ति और तिरुपति जैसा पुण्य मिलता है। विशेष रूप से वैकुंठ एकादशी, ब्रह्मोत्सव और दीपोत्सव पर उत्सव होते हैं, जहां भक्ति संगीत, आरती और प्रसाद वितरण की परंपरा है। मंदिर में देवी पद्मावती और अन्य विष्णु रूपों की भी पूजा की जाती है।
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