नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंदू मैरिज एक्ट के तहत विवाह की रस्में पूरी न होने के आधार पर शादी को अवैध ठहराने की मांग को ठुकरा दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि केवल सप्तपदी (अग्नि के सामने सात फेरे) के प्रत्यक्ष प्रमाण न होने से शादी को अमान्य नहीं माना जा सकता।
क्या था मामला
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने 9 सितंबर को दिए फैसले में कहा कि अगर विवाह होने के कुछ भी प्रमाण मौजूद है, तो विवाह को वैध माना जाएगा। कोर्ट एक दंपती की अपील पर विचार कर रहा था, जिसमें उन्होंने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी शादी को खत्म करने की मांग खारिज कर दी गई थी।
इस उद्देश्य से की थी शादी
उनका तर्क था कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 7 के तहत जरूरी रस्में पूरी नहीं हुई थीं, इसलिए शादी वैध नहीं है। कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से विवाह किया था और समय की कमी तथा वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से विवाह जल्दी में संपन्न किया गया। पति लंदन में रहता है, इसलिए रस्मों को सीमित रखा गया।
एक पवित्र संस्कार है विवाह
कोर्ट ने कहा कि विवाह केवल कानूनी अनुबंध नहीं, बल्कि एक पवित्र संस्कार है, जिसे भारतीय समाज में गंभीरता से लिया जाता है। हाई कोर्ट ने अपील को 'मेरिट की कमी' के आधार पर खारिज करते हुए कहा कि यह केवल सुविधा के लिए किया गया श्नकली विवाहर प्रतीत होता है, जिसकी आलोचना सुप्रीम कोर्ट भी कर चुकी है। साथ ही, कोर्ट ने मैरिज रजिस्ट्रेशन और आर्य समाज विवाह प्रमाणपत्र को अमान्य घोषित करने की मांग भी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना पूरे विवाह पंजीकरण तंत्र को संदेह के घेरे में डाल देगा।
क्या था मामला
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने 9 सितंबर को दिए फैसले में कहा कि अगर विवाह होने के कुछ भी प्रमाण मौजूद है, तो विवाह को वैध माना जाएगा। कोर्ट एक दंपती की अपील पर विचार कर रहा था, जिसमें उन्होंने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी शादी को खत्म करने की मांग खारिज कर दी गई थी।
इस उद्देश्य से की थी शादी
उनका तर्क था कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 7 के तहत जरूरी रस्में पूरी नहीं हुई थीं, इसलिए शादी वैध नहीं है। कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से विवाह किया था और समय की कमी तथा वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से विवाह जल्दी में संपन्न किया गया। पति लंदन में रहता है, इसलिए रस्मों को सीमित रखा गया।
एक पवित्र संस्कार है विवाह
कोर्ट ने कहा कि विवाह केवल कानूनी अनुबंध नहीं, बल्कि एक पवित्र संस्कार है, जिसे भारतीय समाज में गंभीरता से लिया जाता है। हाई कोर्ट ने अपील को 'मेरिट की कमी' के आधार पर खारिज करते हुए कहा कि यह केवल सुविधा के लिए किया गया श्नकली विवाहर प्रतीत होता है, जिसकी आलोचना सुप्रीम कोर्ट भी कर चुकी है। साथ ही, कोर्ट ने मैरिज रजिस्ट्रेशन और आर्य समाज विवाह प्रमाणपत्र को अमान्य घोषित करने की मांग भी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना पूरे विवाह पंजीकरण तंत्र को संदेह के घेरे में डाल देगा।
You may also like
बुरी नजर से परेशान है घर? जानिए इसके` 5 संकेत और इसके तुरन्त असरदार समाधान
भाजपा फैला रही महागठबंधन में गतिरोध की अफवाह, हम हैं एकजुट: सुरेंद्र राजपूत
स्वदेशी नेविगेशन ऐप 'मैपल्स' की सराहना के लिए मैपमाईइंडिया ने अश्विनी वैष्णव को धन्यवाद दिया
राजीव रंजन का तेजस्वी पर तंज, बेरोजगारी की संभावना दिखने पर नेता बन जाते हैं 'भविष्यवक्ता'
ट्रेन में पटाखे ले जाने से पहले जान लें रेलवे का ये नियम, गलती करने पर हो सकती है जेल भी, जानें डिटेल्स