नई दिल्ली: पाकिस्तान के झूठ को दुनिया के सामने बेनकाब करने के लिए बनी संसदीय समिति को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को ब्रीफ किया। इस दौरान उन्होंने सांसदों को बताया कि न ही कोई न्यूक्लियर थ्रेट था और न ही संघर्ष विराम को लेकर की गई मध्यस्थता में कोई तीसरा देश शामिल था।न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष हमेशा न में रहा है। पड़ोसी देश की ओर से कोई परमाणु संकेत नहीं दिया गया है। ट्रंप के दावों को लेकर स्पष्ट की सरकार की नीतिसूत्रों के मुताबिक मिस्री ने सरकार के रुख को दोहराया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया था। यानी इसमें कोई भी तीसरा देश शामिल नहीं था। विक्रम मिस्री ने यह बात इसलिए भी कही क्योंकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने संघर्ष को रोकने में अपने प्रशासन की भूमिका के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार के दावों पर सवाल उठाए थे। सांसदों के अलावा इन्हें भी भेजने की उठी मांगबैठक के बाद टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने क्या कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है कि वे ‘देश का प्रतिनिधित्व’ कर रहे हैं। मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूं। इसलिए अगर देश का प्रतिनिधित्व करने की बात है, तो हमें सर्वसम्मति से सहमत होना चाहिए और आम सहमति बनानी चाहिए। केवल सांसदों को भेजने के बजाय, हमें शहीदों, बचे हुए लोगों या ऑपरेशन सिंदूर का नेतृत्व करने वाले बहादुर अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को भेजने पर विचार करना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर भारत को चैन की नींद सोने के लिए सतर्क रखा। देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए उनसे बेहतर कौन हो सकता है। ओवैसी, राजीव शुक्ला और हुड्डा सब एक मंच परबताया जा रहा है कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में बनी समिति की बैठक में तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अपराजिता सारंगी के साथ अरुण गोविल सहित कई सांसदों ने भाग लिया।
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