सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ यह जांचने को राजी हो गई है कि क्या अदालतें राष्ट्रपति और राज्यपालों को राज्य विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए समय-सीमा निर्धारित कर सकती हैं।
संविधान पीठ ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी, जिसमें समय-सीमा तय करने पर विचार होगा। इस मामले में बहस अगस्त के मध्य से शुरू होगी। बता दें कि एक दुर्लभ कदम के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 मई को सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी और अदालत से 14 सवाल पूछे थे।
यह पूरी बहस इस बात को लेकर है कि क्या विधानसभा से पारित विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए डेडलाइन होनी चाहिए? यानी राष्ट्रपति और राज्यपाल को एक तय समय-सीमा में इन विधेयकों पर निर्णय लेना होगा।
सुप्रीम कोर्ट की जो संविधान पीठ इस मामले को सुन रही है, उसकी अध्यक्षता सीजेआई बीआर गवई कर रहे हैं। इस बेंच में सीजेआई सहित 5 जज जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर शामिल हैं।
संविधान पीठ ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी, जिसमें समय-सीमा तय करने पर विचार होगा। इस मामले में बहस अगस्त के मध्य से शुरू होगी। बता दें कि एक दुर्लभ कदम के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 मई को सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी और अदालत से 14 सवाल पूछे थे।
यह पूरी बहस इस बात को लेकर है कि क्या विधानसभा से पारित विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए डेडलाइन होनी चाहिए? यानी राष्ट्रपति और राज्यपाल को एक तय समय-सीमा में इन विधेयकों पर निर्णय लेना होगा।
सुप्रीम कोर्ट की जो संविधान पीठ इस मामले को सुन रही है, उसकी अध्यक्षता सीजेआई बीआर गवई कर रहे हैं। इस बेंच में सीजेआई सहित 5 जज जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर शामिल हैं।
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