नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली का नाम बदलने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। इस बार बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखकर दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रखने की मांग की है। साथ ही उन्होंने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम इंद्रप्रस्थ जंक्शन, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट और दिल्ली के प्रमुख स्थल पर पांडवों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित करने की मांग की है। जानते हैं दिल्ली कब और कैसे बनी भारत की राजधानी, साथ ही इंद्रप्रस्थ का इतिहास...
दिल्ली के बारे में इतिहासकारों ने विस्तार से वर्णन किया है। जिस प्रकार यहां सभी मौसम का प्रभाव देखने को मिलता है, वैसे ही दिल्ली बनती-बिगड़ती सभ्यता की पहचान है। यह अपने आप में विस्तृत इतिहास समेटे हुए विदेशी आक्रांताओं की लूट-खसोट, सड़कों पर कत्लेआम, सत्ता के लिए हत्याएं की साक्षी है। दिल्ली की जमीन में जितनी परतें भी नहीं होंगी यहां पर उससे कई गुना ज्यादा शासकों ने शासन किया। यहां पर सभी शासकों की अलग सभ्यता रही है। शासन खत्म होता गया और उनकी सभ्यता जमीन में दफ्न होती गई।
दिल्ली के 7 ऐतिहासिक नाम
यही कारण है इतिहासकार आज भी जब दिल्ली की जमीन खोदते हैं तो चौहद्दी में अलग-अलग राजधानी-सभ्यताओं के अवशेष मिलते हैं। इसकी 7 ऐतिहासिक राजधानियों के नाम थे- किला राय पिथौरा या लालकोट, सिरी, तुगलकाबाद, जहांपनाह, फिरोज़ाबाद, शेरगढ़ या दिल्ली शेरशाही और शाहजहांनाबाद।
दिल्ली का इतिहास महाभारत काल के जितना पुराना है। इंद्रप्रस्थ को दिल्ली का प्राचीन रूप माना जाता है। महाभारत महाकाव्य में वर्णित है कि इस ऐतिहासिक महत्व वाली नगर की स्थापना पांडवों ने की थी। जिन्होंने खांडवप्रस्थ नाम के एक जंगल को साफ करके बसाया था। इस शहर की स्थापना करीब 1400 ईसा पूर्व मानी जाती है। इसे इंद्रप्रस्थ नाम दिया गया और यह युधिष्ठिर के शासन का केंद्र रही।
यमुना किनारे स्थित था इंद्रप्रस्थ
आज के समय में दिल्ली के पुराने किले के एरिया को इंद्रप्रस्थ से जोड़कर देखा जाता है। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि यह यमुना नदी के किनारे स्थित था और दिल्ली का प्राचीन नाम भी इंद्रप्रस्थ ही माना जाता है। हालांकि इंद्रप्रस्थ कैसे उजड़ा इसका इतिहास में कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व): चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक के समय दिल्ली कुरु महाजनपद का हिस्सा बनी। अशोक के शिलालेखों में इसका उल्लेख है। यह व्यापारिक केंद्र था।
शुंग, कुषाण और गुप्त काल (185 ईसा पूर्व - 550 ई.): शुंग काल में दिल्ली में बौद्ध प्रभाव बढ़ा। कहा जाता है कुषाण सम्राट कनिष्क ने यहां सिक्के ढाले। गुप्त काल में इसे 'योगिनीपुर' कहा गया, और यह सांस्कृतिक केंद्र बना। जैन ग्रंथों में धिल्ली' का प्रारंभिक उल्लेख है। इस युग में मंदिरों और मूर्तियों के अवशेष मिले हैं। कहा जाता है इस काल में दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ से धिल्ली हुआ।
मध्यकाल: राजपूत वंश से दिल्ली सल्तनत (600-1526 ई) मध्यकाल में दिल्ली राजपूतों के अधीन रही, फिर मुस्लिम शासकों ने इसे सल्तनत की राजधानी बनाया।
राजपूत काल (8वीं-12वीं शताब्दी): दिल्ली के आसपासतोमर वंश (736-1151 ईस्वी) ने 'ढिल्लिका' नाम से शहर बसाया। अनंगपाल तोमर ने लाल कोट (दिल्ली का पहला किला) बनवाया। इतिहास में वर्णित है कि दिल्ली के विकास के लिए पृथ्वीराज चौहान ने काफी काम किया, साथ ही इन्होंने राज्य की सीमा विस्तार भी किया।पृथ्वीराज रासो में इसका वर्णन है। पृथ्वीराज चौहान ने कई बार विदेशी आक्रांताओं को हराया।
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ईस्वी): मुहम्मद गोरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 में दिल्ली पर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया। जिससे दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई। इस दौरान कई शासकों ने दिल्ली पर शासन किया, जिसमें शहर का कई बार नाम बदला गया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने लाल कोट, अलाउद्दीन खिलजी ने सिरि, गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद, मुहम्मद बिन तुगलक ने जहांपनाह, फिरोजशाह कोटला ने फिरोजशाह कोटला नाम रखा।
मुगल काल (1526–1857 ई.): 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की। इसके बाद मुगलों ने आगरा को अपनी प्रारंभिक राजधानी बनाया, जबकि उन्होंने दूसरी राजधानी के रूप में दिल्ली को चुना।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद और आधुनिक काल (1803-1947 ईस्वी)
ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1803 में दिल्ली पर कब्जा किया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बहादुर शाह जफर को दिल्ली के तख्त से निर्वासित कर दिया गया। अंग्रेजों ने कलकत्ता (पूर्व में कोलकाता) को अपनी राजधानी बनाया। दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने का निर्णय ब्रिटिश शासनकाल में 1911 में लिया गया था, जब दिल्ली दरबार के दौरान राजा जॉर्ज पंचम इसकी घोषणा की। हालांकि, नई दिल्ली का निर्माण कार्य लंबा चला और अंततः 13 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा इसे औपचारिक रूप से मान्यता दे दी गई। यह निर्णय दिल्ली के ऐतिहासिक महत्व और केंद्रीय स्थान को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। स्वतंत्र भारत में भी नई दिल्ली को 1947 से राजधानी के रूप में जारी रखा गया।
दिल्ली के बारे में इतिहासकारों ने विस्तार से वर्णन किया है। जिस प्रकार यहां सभी मौसम का प्रभाव देखने को मिलता है, वैसे ही दिल्ली बनती-बिगड़ती सभ्यता की पहचान है। यह अपने आप में विस्तृत इतिहास समेटे हुए विदेशी आक्रांताओं की लूट-खसोट, सड़कों पर कत्लेआम, सत्ता के लिए हत्याएं की साक्षी है। दिल्ली की जमीन में जितनी परतें भी नहीं होंगी यहां पर उससे कई गुना ज्यादा शासकों ने शासन किया। यहां पर सभी शासकों की अलग सभ्यता रही है। शासन खत्म होता गया और उनकी सभ्यता जमीन में दफ्न होती गई।
दिल्ली के 7 ऐतिहासिक नाम
यही कारण है इतिहासकार आज भी जब दिल्ली की जमीन खोदते हैं तो चौहद्दी में अलग-अलग राजधानी-सभ्यताओं के अवशेष मिलते हैं। इसकी 7 ऐतिहासिक राजधानियों के नाम थे- किला राय पिथौरा या लालकोट, सिरी, तुगलकाबाद, जहांपनाह, फिरोज़ाबाद, शेरगढ़ या दिल्ली शेरशाही और शाहजहांनाबाद।
दिल्ली का इतिहास महाभारत काल के जितना पुराना है। इंद्रप्रस्थ को दिल्ली का प्राचीन रूप माना जाता है। महाभारत महाकाव्य में वर्णित है कि इस ऐतिहासिक महत्व वाली नगर की स्थापना पांडवों ने की थी। जिन्होंने खांडवप्रस्थ नाम के एक जंगल को साफ करके बसाया था। इस शहर की स्थापना करीब 1400 ईसा पूर्व मानी जाती है। इसे इंद्रप्रस्थ नाम दिया गया और यह युधिष्ठिर के शासन का केंद्र रही।
यमुना किनारे स्थित था इंद्रप्रस्थ
आज के समय में दिल्ली के पुराने किले के एरिया को इंद्रप्रस्थ से जोड़कर देखा जाता है। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि यह यमुना नदी के किनारे स्थित था और दिल्ली का प्राचीन नाम भी इंद्रप्रस्थ ही माना जाता है। हालांकि इंद्रप्रस्थ कैसे उजड़ा इसका इतिहास में कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व): चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक के समय दिल्ली कुरु महाजनपद का हिस्सा बनी। अशोक के शिलालेखों में इसका उल्लेख है। यह व्यापारिक केंद्र था।
शुंग, कुषाण और गुप्त काल (185 ईसा पूर्व - 550 ई.): शुंग काल में दिल्ली में बौद्ध प्रभाव बढ़ा। कहा जाता है कुषाण सम्राट कनिष्क ने यहां सिक्के ढाले। गुप्त काल में इसे 'योगिनीपुर' कहा गया, और यह सांस्कृतिक केंद्र बना। जैन ग्रंथों में धिल्ली' का प्रारंभिक उल्लेख है। इस युग में मंदिरों और मूर्तियों के अवशेष मिले हैं। कहा जाता है इस काल में दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ से धिल्ली हुआ।
मध्यकाल: राजपूत वंश से दिल्ली सल्तनत (600-1526 ई) मध्यकाल में दिल्ली राजपूतों के अधीन रही, फिर मुस्लिम शासकों ने इसे सल्तनत की राजधानी बनाया।
राजपूत काल (8वीं-12वीं शताब्दी): दिल्ली के आसपासतोमर वंश (736-1151 ईस्वी) ने 'ढिल्लिका' नाम से शहर बसाया। अनंगपाल तोमर ने लाल कोट (दिल्ली का पहला किला) बनवाया। इतिहास में वर्णित है कि दिल्ली के विकास के लिए पृथ्वीराज चौहान ने काफी काम किया, साथ ही इन्होंने राज्य की सीमा विस्तार भी किया।पृथ्वीराज रासो में इसका वर्णन है। पृथ्वीराज चौहान ने कई बार विदेशी आक्रांताओं को हराया।
दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ईस्वी): मुहम्मद गोरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 में दिल्ली पर हमला कर उस पर कब्जा कर लिया। जिससे दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई। इस दौरान कई शासकों ने दिल्ली पर शासन किया, जिसमें शहर का कई बार नाम बदला गया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने लाल कोट, अलाउद्दीन खिलजी ने सिरि, गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद, मुहम्मद बिन तुगलक ने जहांपनाह, फिरोजशाह कोटला ने फिरोजशाह कोटला नाम रखा।
मुगल काल (1526–1857 ई.): 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की। इसके बाद मुगलों ने आगरा को अपनी प्रारंभिक राजधानी बनाया, जबकि उन्होंने दूसरी राजधानी के रूप में दिल्ली को चुना।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद और आधुनिक काल (1803-1947 ईस्वी)
ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1803 में दिल्ली पर कब्जा किया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बहादुर शाह जफर को दिल्ली के तख्त से निर्वासित कर दिया गया। अंग्रेजों ने कलकत्ता (पूर्व में कोलकाता) को अपनी राजधानी बनाया। दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने का निर्णय ब्रिटिश शासनकाल में 1911 में लिया गया था, जब दिल्ली दरबार के दौरान राजा जॉर्ज पंचम इसकी घोषणा की। हालांकि, नई दिल्ली का निर्माण कार्य लंबा चला और अंततः 13 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा इसे औपचारिक रूप से मान्यता दे दी गई। यह निर्णय दिल्ली के ऐतिहासिक महत्व और केंद्रीय स्थान को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। स्वतंत्र भारत में भी नई दिल्ली को 1947 से राजधानी के रूप में जारी रखा गया।
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