पेशावर/इस्लामाबाद: अफगान तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकवादियों के मुद्दे पर पाकिस्तान को कसकर तमाचा मारा है। उसने पाकिस्तान के उस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें टीटीपी आतंकवादियों पर सख्ती बरतने को कहा गया था। हालांकि, पाकिस्तान का दावा है कि उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार की सप्ताहांत की काबुल यात्रा द्विपक्षीय व्यापार और अन्य राजनीतिक मुद्दों पर एक बड़ी सफलता साबित हुई है। हालांकि, टीटीपी पर तालिबान के रुख ने पाकिस्तान की चिंता को बढ़ा दिया है। टीटीपी के हमलों से परेशान है पाकिस्तानपाकिस्तान पिछले कई वर्षों से टीटीपी के बढ़ते हमलों से परेशान है। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी आतंकवादी अफगानिस्तान में शरण लिए हुए हैं और उन्हें अफगान तालिबान का समर्थन प्राप्त है। उसने तालिबान से कई बार टीटीपी पर लगाम लगाने की गुजारिश भी की है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर अफगानिस्तान पर कई बार हवाई हमले भी किए हैं, जिनमें आम अफगान नागरिकों की मौते हुई हैं। इस कारण तालिबान और पाकिस्तान के संबंध हाल के दिनों में काफी खराब हुए हैं। तालिबान से किन मुद्दों पर हुई बातचीतद एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इशाक डार की अफगानिस्तान यात्रा में कई मुद्दों को संबोधित करने की कोशिश की गई। इसमें राजनयिक तनाव कम करना, व्यापार में वृद्धि, शरणार्थियों का पुनर्वास और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की सीमा पार आवाजाही को रोकना शामिल था। पाक-अफगान संबंधों से जुड़े एक सूत्र ने कहा, "विदेश मंत्री डार ने खुद स्वीकार किया कि दोनों भाईचारे वाले देशों के बीच संबंधों में खटास है।" सूत्र ने कहा, "अविश्वास, व्यापार घाटा, अफगान शरणार्थियों का स्वदेश वापसी और सीमा पार हमलों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप ने काबुल को परेशान कर दिया।" तालिबान-पाकिस्तान में किन मुद्दों पर तनावतालिबान और पाकिस्तान में सिर्फ टीटीपी ही तनाव का मुद्दा नहीं है। इसके अलावा डूरंड लाइन पर बाड़बंदी, पाकिस्तानी सेना के सीमापार हमले, पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा चौकियों को बंद करना, अफगान शरणार्थियों को जबरन पाकिस्तान से निर्वासित करना और तालिबान के खिलाफ आईसआईएस की मदद करना भी प्रमुख मुद्दे हैं। पाकिस्तान और तालिबान के बीच विश्वास की भी कमी है, इस कारण दोनों ही देश एक दूसरे पर भरोसा नहीं करते हैं। पाकिस्तान का अलग ही है दावारिपोर्ट्स के अनुसार, हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि डार कूटनीतिक मोर्चे पर सफल रहे, क्योंकि मुद्दों को सुलझाने के उद्देश्य से उच्च स्तरीय बैठक के माध्यम से देशों के बीच बर्फ पिघली। एक विश्लेषक ने कहा, "अर्थव्यवस्था के अपने क्षेत्र में, डार को पता था कि कैसे जीतना है, और उन्होंने अपना कौशल दिखाया, और अपने पत्ते अच्छी तरह से खेले।" आर्थिक और व्यापार क्षेत्र में, एक अफगान वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पेशावर कार्यालय को बताया कि पाकिस्तान अफगान पारगमन वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क की 14-16 श्रेणियों को समाप्त कर देगा।
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