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भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग को मिटाने में लगे मोहम्मद यूनुस, अब पार्टी का रजिस्ट्रेशन भी सस्पेंड

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ढाका: भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को पूरी तरह से मिटाने में लग गए हैं। पार्टी पर प्रतिबंध के बाद अब बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने अवामी लीग का राजनीतिक पार्टी के रूप में रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया है। बांग्लादेश चुनाव आयोग के वरिष्ठ सचिव अख्तर अहमद ने सोमवार रात करीब 9.15 बजे आयोग मुख्यालय में इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि आतंकवाद विरोधी (संशोधन) अध्यादेश और आतंकवाद विरोधी अधिनियम की धारा 18(1) के तहत जारी गृह मंत्रालय के राजपत्र का हवाला देते हुए अवामी लीग का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण निलंबित कर दिया गया है।अख्तर अहमद ने कहा, 'जैसा कि आपको पता है कि आज गृह मंत्रालय ने बांग्लादेश अवामी लीग और इसके संबंध और सहयोगी संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके मद्देनजर, चुनाव आयोग ने अवामी लीग के पंजीकरण को निलंबित करने का फैसला लिया है।' जब चुनाव आयोग के सचिव अख्तर अहमद से पूछा गया कि किस आधार पर पंजीकरण निलंबित किया गया, तो उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय से जारी अधिसूचना के क्रम में यह कदम उठाया है। यूनुस सरकार ने लगाया प्रतिबंधइसके पहले शनिवार को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने तीन दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद शनिवार रात को अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। सोमवार को जारी गैजेट अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने अवामी लीग और उसके सभी संबद्ध, सहयोगी और समान विचारधारा वाले संगठनों द्वारा प्रकाशन, मीडिया में उपस्थिति, ऑनलाइन और सोशल मीडिया अभियान, जुलूस, बैठकें, रैलियां और सम्मेलनों सहित सभी प्रकार की गतिविधियों पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की है। अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर खतराबांग्लादेश के चुनावों में भाग लेने के लिए पार्टी का पंजीकरण एक अनिवार्य शर्त है। 2008 से अब तक 50 राजनीतिक दल चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इस दौरान 5 दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। इनमें जमात-ए-इस्लामी प्रमुख है। हाई कोर्ट ने साल 2013 में एक राजनीतिक दल के रूप में जमात-ए-इस्लामी के रजिस्ट्रेशन को अवैध घोषित किया था। साल 2018 में चुनाव आयोग ने जमात का पंजीकरण रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ जमान की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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