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कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय का बड़ा खुलासा, सुप्रीम कोर्ट को दी नई जानकारी

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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने अपने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कुलभूषण जाधव को अपील करने का कोई अधिकार नहीं था। ‘डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा कि उन्हें केवल राजनयिक पहुंच की सुविधा थी। यह पहले के उन दावों के जवाब में आया है कि भारतीय नागरिक को अपील का अधिकार दिया गया है। 9 मई 2023 की हिंसा में कथित भूमिका के लिए सैन्य अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी नागरिकों को समान अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। कुलभूषण जाधव भारतीय जासूस होने के आरोपों के चलते पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। पाकिस्तान ने काउंसलर एक्सेस से किया था इनकार2019 में हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के सामने यह तर्क दिया गया था कि पाकिस्तान ने जासूसी के आरोपी विदेशी नागरिकों को काउंसलर एक्सेस देने से इनकार करके 1963 के विएना कन्वेंशन के अनुच्छेद 36 का उल्लंघन किया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अनुसार नियम लागू किया गया। पूर्व नौसेना अधिकारी जाधव ने समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली थी। ईरान के चाबहार में अपना बिजनेस चला रहे थे। कथित तौर पर मनगढ़ंत आरोपों के तहत पाकिस्तान में अगवा कर लिया गया और हिरासत में रखा गया। अप्रैल 2017 में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। पाकिस्तान ने जाधव के केस का क्यों किया जिक्रपाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने बुधवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ के समक्ष जाधव के मामले का उल्लेख किया, जो उन पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कार्यवाही के दौरान था, जिन्हें मई 2023 में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन में कथित रूप से शामिल होने के लिए सैन्य अदालतों द्वारा दोषी ठहराया गया था। पाकिस्तानी सरकार ने 9 मई, 2023 को हुए दंगों की श्रृंखला को "काला दिवस" कहा है। इमरान खान के समर्थकों पर सुनवाई जारीअहमद ने कहा कि अपील का अधिकार जो कुलभूषण जाधव को उपलब्ध था, वह पाकिस्तान के अपने नागरिकों को नहीं दिया गया था, जिन्हें मई 2023 के दंगों के मामलों में दोषी ठहराया गया था। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान 9 मई की घटनाओं के दोषियों को उच्च न्यायालयों के समक्ष अपील का अधिकार प्रदान करने के सवाल पर विचार-विमर्श में व्यस्त थे, जिसके लिए उन्हें कुछ दिनों की आवश्यकता थी।
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