तेहरान/तेल अवीव: ईरान और इजरायल के आकाश में अब शांति के बादल उड़ रहे हैं। मिसाइलों की बारिश और लड़ाकू विमानों की आवाजें अब नहीं आ रही हैं। लेकिन जमीन पर मलबा ही मलबा है। दोनों देशों को भारी नुकसान हुआ है। युद्ध में कौन जीता, कौन हारा, कौन जीतकर भी हार गया... ये सब बातें बहस की हैं, लेकिन आम नागरिकों को सिर्फ और सिर्फ नुकसान हुआ है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं, हजारों को अपने घर छोड़कर कहीं और भागना पड़ा है, सैकड़ों लोग मारे गये हैं, हजारों घायल हैं। ईरान खुद को विजेता बता रहा तो इजरायल ने अपने गले में जीत की माला पहन ली है। डोनाल्ड ट्रंप खुद को असली चौधरी बता रहे हैं, लेकिन आंकड़ों को देखने के बाद ही अंजाम पर पहुंचना चाहिए कि असल में कौन जीता है, कौन हारा है, किसे कितना नुकसान हुआ है और इस युद्ध का आगे जाकर क्या असर होने वाला है।
शनिवार की देर रात इजरायल के भारी दवाब के बाद अमेरिका ने इजरायल-ईरानी युद्ध में प्रवेश किया था। अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में परमाणु सुविधाओं पर हमला किया। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि तीनों परमाणु सुविधाओं को नष्ट कर दिया गया है, लेकिन अमेरिकी मीडिया ट्रंप के दावों पर सवाल उठा रही है। ईरान का 400 किलो यूरेनियम, जिससे 10 परमाणु बम बन सकते हैं, वो कहां हैं, किसी को पता नहीं है। अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस खुद मान रहे हैं कि 400 किलो यूरेनियम गायब है। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि ईरान ने अमेरिका के हमले से पहले ही 400 किलो यूरेनियम फोर्डो से निकालकर कहीं और छिपा दिए थे, तो फिर सवाल ये हैं कि 12 दिनों तक चले इस युद्ध से इजरायल को क्या हासिल हुआ?
12 दिनों की लड़ाई में इजरायल को कितना नुकसान?
ईरान में 12 दिनों तक इजरायल के खिलाफ जमकर बैलिस्टिक मिसाइलों की बारिश की। इस दौरान ईरान ने अपने सबसे एडवांस खुर्रमशहर-4 बैलिस्टिक मिसाइल का भी इस्तेमाल किया, जिसे रोकने में इजरायल नाकाम रहा था। लेकिन इजरायल, ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च होते ही पता लगा लेता था। इससे इजरायल को करीब 15 मिनट का वक्त मिल जाता था और इजरायली नागरिक सायरन की आवाज सुनते ही बंकरों में छिप जाते थे। फिर भी ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों की चपेट में आने से 28 इजरायली नागरिकों की मौत हुई। इसके अलावा ईरान के हमलों में करीब 3000 इजरायली नागरिक घायल हुए। इजराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि कुल 3,238 लोग अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें 23 गंभीर रूप से घायल हैं, 111 लोगों को मामूली चोटें हैं, 2,933 हल्के रूप से जख्मी हैं, जबकि 138 लोग अवसाद की वजह से अस्पतालों में भर्ती है। वहीं 30 लोंगों की स्थिति के बारे में अभी पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है। इजरायल डिफेंस फोर्स ने कहा है कि ईरान के मिसाइल हमलों में उसके 7 सैनिक घायल हुए हैं और एक सैनिक, जो ऑफ ड्यूटी पर था, उसकी मौत हुई है। इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि 9,000 से ज्यादा लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं। इसके अलावा दर्जनों इजरायली घर ईरानी हमलों में पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं।
ईरान की सैन्य ताकत को कितना नुकसान पहुंचा?
इजरायल डिफेंस फोर्स के मुताबिक ईरान ने 12 दिनों की लड़ाई में इजरायल पर करीब 550 एडवांस बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। इसके अलावा ईरान ने 1000 ड्रोन भी इजरायल पर दागे। इजरायल ने करीब 90 प्रतिशत मिसाइलों और करीब करीब 100 प्रतिशत ड्रोनों को इंटरसेप्ट कर लिया। इजरायल डिफेंस फोर्स के मुताबिक ईरान की 31 मिसाइलें इजरायल के शहरों पर नागरिक आबादी वाले इलाकों में गिरीं। जिनमें दक्षिण इजरायल का पावर स्टेशन, हाइफा की रिफाइनरी और एक विश्वविद्यालय शामिल है। इसके अलावा ईरान की कई मिसाइलें खाली क्षेत्रों में गिरीं, जिन्हें इजरायल ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम के गोले बचाने के लिए गिरने दिया। इसके अलावा 1000 से ज्यादा ईरानी ड्रोनें, जो काफी धीमी रफ्तार से चलते हैं, वो इजरायली सीमा तक पहुंचने में भी नाकाम रहे। इजरायली सेना के मुताबिक इजरायल के लिए खतरा पैदा करने वाले लगभग 99% ड्रोनों को इजरायली वायु सेना ने लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और भूमि-आधारित एयर डिफेंस सिस्टम और इजरायली नौसेना ने अलग अलग तरीकों से मार गिराया। इजरायल होम फ्रंट कमांड ने कहा है कि उसने युद्ध के दौरान नागरिकों को 21,000 से ज्यादा अलर्ट जारी किए।
ईरान के पास कितनी सैन्य ताकत बची है?
इजरायल डिफेंस फोर्स के मुताबिक युद्ध शुरू होने से पहले ईरान के पास करीब 2,500 बैलिस्टिक मिसाइल थीं। इनमें से करीब 1,000 मिसाइल और 250 लॉन्चर इजरायली हमलों में नष्ट हो गए। इसके अलावा, इजरायल ने ईरान की 80 से ज्यादा एयर डिफेंस बैटरियों को भी तबाह कर दिया, जिसकी वजह से इजरायली एयरफोर्स के विमान ईरान के एयरस्पेस में लगातार घूम रहे थे। युद्ध के दौरान ईरान एक भी इजरायली फाइटर जेट को मार गिराने में नाकाम रहा। ईरान ने 12 दिनों की लड़ाई में इजरायल के दो ड्रोन मारे। इजरायल का कहना है कि ईरान के पास अब 1000 से 1500 के बीच बैलिस्टिक मिसाइलें होंगी, जबकि उसके पास उन मिसाइलों को लॉन्च करने वाले लॉन्चरों की संख्या अब महज 100 के करीब होंगी। कुल मिलाकर देखें तो 12 दिनों के युद्ध में ईरान की करीब 50 प्रतिशत युद्ध लड़ने की क्षमता खत्म हो चुकी है।
इजरायली हमलों में ईरान को कितने नुकसान?
इजरायल के 12 दिनों के हमलों में ईरान में भयानक तबाही मची है। ईरान ने विदेशी मीडिया रिपोर्टिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी, इसलिए ईरान से ज्यादा तस्वीरें और वीडियो बाहर नहीं आ पाईं। लेकिन 13 जून को युद्ध की शुरुआत में ही इजरायल ने ईरान की सैन्य कमान को बड़ी चोट पहुंचाई। प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी, IRGC प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और क़ुद्स फोर्स के शीर्ष अधिकारियों सहित कुल 30 से ज्यादा वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे गए। इसके अलावा, सैकड़ों IRGC सैनिक और बसीज मिलिशिया के सदस्य भी हवाई हमलों में मारे गए हैं। इजरायल ने ईरान की सैन्य संरचना को तहस नहस कर दिया है। इजरायली हमलों में ईरान के 15 से 20 परमाणु वैज्ञानिक मारे गये हैं। इसके अलावा ईरान का अराक रिएक्टर और SPND परियोजना मुख्यालय (न्यूक्लियर डिपार्टमेंट) पूरी तरह से नष्ट हो गया है। फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु स्थलों पर अमेरिका ने बम गिराए और फिलहाल पूरी तरह से साफ नहीं है कि इन स्थलों को कितना नुकसान पहुंचा है। इजरायल ने ईरान के 500 से ज्यादा सैन्य ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है।
ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि करीब सवा 600 ईरानी नागरिक मारे गये हैं। 4,746 घायल, इनमें 400 से ज्यादा गंभीर हालत में हैं। स्वतंत्र स्रोतों के मुताबिक करीब 800 से 900 नागरिकों के मारे जाने की आशंका है। इसके अलावा दर्जनों शहरों में बिजली संयंत्र, सड़कें, रेलवे हब नष्ट हो गये हैं। इजरायल के हमलों में IRGC की आंतरिक संरचना बिखर गई है। बसीज (Basij) जैसे सुरक्षा संगठनों के सैकड़ों सदस्य मारे गए हैं। कुद्स फोर्स के टॉप अफसर सईद इज़ादी (फिलिस्तीन कोर) और बेहनाम शहरीयारी (Unit 190, हथियार तस्करी) मारे गये हैं।
क्या नैरेटिव वॉर जीतने में कामयाब रहा ईरान?
ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चले भीषण संघर्ष के बाद हुए युद्धविराम के बाद अहम सवाल उठ खड़ा हुआ है, कि क्या ईरान ने नैरेटिव युद्ध जीत लिया है? मुस्लिम दुनिया और सोशल मीडिया पर देखा जाए तो ईरान ने खुद को "प्रतिरोध की प्रतीक ताकत" के रूप अपनी छवि को मजबूत कर लिया है। इजरायल को गाजा युद्ध की वजह से पहले ही दुनिया भर में पहले ही आलोचना झेलनी पड़ी हैं और ऐसे में ईरान पर हमले ने इजरायल की छवि को और नुकसान पहुंचाया है। ईरान अब इजरायल के खिलाफ मुस्लिम वर्ल्ड में मसीहा बनकर उभरा है। ईरानी मिसाइलें, इजरायल में तबाही मचाने में कामयाब रही हैं, जिससे इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम का भौकाल कम हुआ है। इसके अलावा ईरान ये साबित करने में कामयाब रहा है कि 'हम इजरायल से नहीं डरते।' अमेरिका ये साबित करने में नाकाम रहा है कि ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले के बाद भी ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म हुआ या नहीं। 400 किलो यूरेनियम का गायब होने इजरायल और अमेरिका के गले में लटका बड़ा पत्थर बन गया है।
लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी है। ईरान के ज्यादातर अहम परमाणु ठिकाने जैसे फोर्डो और नतांज गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सैकड़ों IRGC अधिकारी और सैनिक मारे गए हैं। ईरान के लिए फिर से बैलिस्टिक मिसाइलों का जखीरा बनाना और मिसाइल लॉन्चर बनाना अत्यंत मुश्किल होगा। देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही रसातल में है और युद्ध के नुकसान को झेलना आसान नहीं होता, जिससे आने वाले वक्त में नागरिक असंतोष भड़कने का खतरा बन गया है। ईरान को अरब देशों जैसे सऊदी अरब और UAE से 'कड़ी निंदा' के अलावा कोई समर्थन नहीं मिला। जॉर्डन, इजरायल के लिए ढाल बनकर सामने आया। ईरानी ड्रोन को जॉर्डन में ही मार गिराया गया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन और रूस से ईरान को मजबूत समर्थन नहीं मिल पाया। यानी नैरेटिव की जंग में ईरान ने भावनात्मक और क्षेत्रीय समर्थन जरूर हासिल किया, लेकिन कूटनीतिक, सैन्य और ग्लोबल नैरेटिव पर उसे निर्णायक बढ़त नहीं मिल पाई।
शनिवार की देर रात इजरायल के भारी दवाब के बाद अमेरिका ने इजरायल-ईरानी युद्ध में प्रवेश किया था। अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में परमाणु सुविधाओं पर हमला किया। डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि तीनों परमाणु सुविधाओं को नष्ट कर दिया गया है, लेकिन अमेरिकी मीडिया ट्रंप के दावों पर सवाल उठा रही है। ईरान का 400 किलो यूरेनियम, जिससे 10 परमाणु बम बन सकते हैं, वो कहां हैं, किसी को पता नहीं है। अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस खुद मान रहे हैं कि 400 किलो यूरेनियम गायब है। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि ईरान ने अमेरिका के हमले से पहले ही 400 किलो यूरेनियम फोर्डो से निकालकर कहीं और छिपा दिए थे, तो फिर सवाल ये हैं कि 12 दिनों तक चले इस युद्ध से इजरायल को क्या हासिल हुआ?
12 दिनों की लड़ाई में इजरायल को कितना नुकसान?
ईरान में 12 दिनों तक इजरायल के खिलाफ जमकर बैलिस्टिक मिसाइलों की बारिश की। इस दौरान ईरान ने अपने सबसे एडवांस खुर्रमशहर-4 बैलिस्टिक मिसाइल का भी इस्तेमाल किया, जिसे रोकने में इजरायल नाकाम रहा था। लेकिन इजरायल, ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च होते ही पता लगा लेता था। इससे इजरायल को करीब 15 मिनट का वक्त मिल जाता था और इजरायली नागरिक सायरन की आवाज सुनते ही बंकरों में छिप जाते थे। फिर भी ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों की चपेट में आने से 28 इजरायली नागरिकों की मौत हुई। इसके अलावा ईरान के हमलों में करीब 3000 इजरायली नागरिक घायल हुए। इजराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि कुल 3,238 लोग अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें 23 गंभीर रूप से घायल हैं, 111 लोगों को मामूली चोटें हैं, 2,933 हल्के रूप से जख्मी हैं, जबकि 138 लोग अवसाद की वजह से अस्पतालों में भर्ती है। वहीं 30 लोंगों की स्थिति के बारे में अभी पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है। इजरायल डिफेंस फोर्स ने कहा है कि ईरान के मिसाइल हमलों में उसके 7 सैनिक घायल हुए हैं और एक सैनिक, जो ऑफ ड्यूटी पर था, उसकी मौत हुई है। इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि 9,000 से ज्यादा लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं। इसके अलावा दर्जनों इजरायली घर ईरानी हमलों में पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं।

ईरान की सैन्य ताकत को कितना नुकसान पहुंचा?
इजरायल डिफेंस फोर्स के मुताबिक ईरान ने 12 दिनों की लड़ाई में इजरायल पर करीब 550 एडवांस बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। इसके अलावा ईरान ने 1000 ड्रोन भी इजरायल पर दागे। इजरायल ने करीब 90 प्रतिशत मिसाइलों और करीब करीब 100 प्रतिशत ड्रोनों को इंटरसेप्ट कर लिया। इजरायल डिफेंस फोर्स के मुताबिक ईरान की 31 मिसाइलें इजरायल के शहरों पर नागरिक आबादी वाले इलाकों में गिरीं। जिनमें दक्षिण इजरायल का पावर स्टेशन, हाइफा की रिफाइनरी और एक विश्वविद्यालय शामिल है। इसके अलावा ईरान की कई मिसाइलें खाली क्षेत्रों में गिरीं, जिन्हें इजरायल ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम के गोले बचाने के लिए गिरने दिया। इसके अलावा 1000 से ज्यादा ईरानी ड्रोनें, जो काफी धीमी रफ्तार से चलते हैं, वो इजरायली सीमा तक पहुंचने में भी नाकाम रहे। इजरायली सेना के मुताबिक इजरायल के लिए खतरा पैदा करने वाले लगभग 99% ड्रोनों को इजरायली वायु सेना ने लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और भूमि-आधारित एयर डिफेंस सिस्टम और इजरायली नौसेना ने अलग अलग तरीकों से मार गिराया। इजरायल होम फ्रंट कमांड ने कहा है कि उसने युद्ध के दौरान नागरिकों को 21,000 से ज्यादा अलर्ट जारी किए।
ईरान के पास कितनी सैन्य ताकत बची है?
इजरायल डिफेंस फोर्स के मुताबिक युद्ध शुरू होने से पहले ईरान के पास करीब 2,500 बैलिस्टिक मिसाइल थीं। इनमें से करीब 1,000 मिसाइल और 250 लॉन्चर इजरायली हमलों में नष्ट हो गए। इसके अलावा, इजरायल ने ईरान की 80 से ज्यादा एयर डिफेंस बैटरियों को भी तबाह कर दिया, जिसकी वजह से इजरायली एयरफोर्स के विमान ईरान के एयरस्पेस में लगातार घूम रहे थे। युद्ध के दौरान ईरान एक भी इजरायली फाइटर जेट को मार गिराने में नाकाम रहा। ईरान ने 12 दिनों की लड़ाई में इजरायल के दो ड्रोन मारे। इजरायल का कहना है कि ईरान के पास अब 1000 से 1500 के बीच बैलिस्टिक मिसाइलें होंगी, जबकि उसके पास उन मिसाइलों को लॉन्च करने वाले लॉन्चरों की संख्या अब महज 100 के करीब होंगी। कुल मिलाकर देखें तो 12 दिनों के युद्ध में ईरान की करीब 50 प्रतिशत युद्ध लड़ने की क्षमता खत्म हो चुकी है।
इजरायली हमलों में ईरान को कितने नुकसान?
इजरायल के 12 दिनों के हमलों में ईरान में भयानक तबाही मची है। ईरान ने विदेशी मीडिया रिपोर्टिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी, इसलिए ईरान से ज्यादा तस्वीरें और वीडियो बाहर नहीं आ पाईं। लेकिन 13 जून को युद्ध की शुरुआत में ही इजरायल ने ईरान की सैन्य कमान को बड़ी चोट पहुंचाई। प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी, IRGC प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और क़ुद्स फोर्स के शीर्ष अधिकारियों सहित कुल 30 से ज्यादा वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे गए। इसके अलावा, सैकड़ों IRGC सैनिक और बसीज मिलिशिया के सदस्य भी हवाई हमलों में मारे गए हैं। इजरायल ने ईरान की सैन्य संरचना को तहस नहस कर दिया है। इजरायली हमलों में ईरान के 15 से 20 परमाणु वैज्ञानिक मारे गये हैं। इसके अलावा ईरान का अराक रिएक्टर और SPND परियोजना मुख्यालय (न्यूक्लियर डिपार्टमेंट) पूरी तरह से नष्ट हो गया है। फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु स्थलों पर अमेरिका ने बम गिराए और फिलहाल पूरी तरह से साफ नहीं है कि इन स्थलों को कितना नुकसान पहुंचा है। इजरायल ने ईरान के 500 से ज्यादा सैन्य ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है।
ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि करीब सवा 600 ईरानी नागरिक मारे गये हैं। 4,746 घायल, इनमें 400 से ज्यादा गंभीर हालत में हैं। स्वतंत्र स्रोतों के मुताबिक करीब 800 से 900 नागरिकों के मारे जाने की आशंका है। इसके अलावा दर्जनों शहरों में बिजली संयंत्र, सड़कें, रेलवे हब नष्ट हो गये हैं। इजरायल के हमलों में IRGC की आंतरिक संरचना बिखर गई है। बसीज (Basij) जैसे सुरक्षा संगठनों के सैकड़ों सदस्य मारे गए हैं। कुद्स फोर्स के टॉप अफसर सईद इज़ादी (फिलिस्तीन कोर) और बेहनाम शहरीयारी (Unit 190, हथियार तस्करी) मारे गये हैं।
क्या नैरेटिव वॉर जीतने में कामयाब रहा ईरान?
ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चले भीषण संघर्ष के बाद हुए युद्धविराम के बाद अहम सवाल उठ खड़ा हुआ है, कि क्या ईरान ने नैरेटिव युद्ध जीत लिया है? मुस्लिम दुनिया और सोशल मीडिया पर देखा जाए तो ईरान ने खुद को "प्रतिरोध की प्रतीक ताकत" के रूप अपनी छवि को मजबूत कर लिया है। इजरायल को गाजा युद्ध की वजह से पहले ही दुनिया भर में पहले ही आलोचना झेलनी पड़ी हैं और ऐसे में ईरान पर हमले ने इजरायल की छवि को और नुकसान पहुंचाया है। ईरान अब इजरायल के खिलाफ मुस्लिम वर्ल्ड में मसीहा बनकर उभरा है। ईरानी मिसाइलें, इजरायल में तबाही मचाने में कामयाब रही हैं, जिससे इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम का भौकाल कम हुआ है। इसके अलावा ईरान ये साबित करने में कामयाब रहा है कि 'हम इजरायल से नहीं डरते।' अमेरिका ये साबित करने में नाकाम रहा है कि ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले के बाद भी ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह खत्म हुआ या नहीं। 400 किलो यूरेनियम का गायब होने इजरायल और अमेरिका के गले में लटका बड़ा पत्थर बन गया है।
लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी है। ईरान के ज्यादातर अहम परमाणु ठिकाने जैसे फोर्डो और नतांज गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सैकड़ों IRGC अधिकारी और सैनिक मारे गए हैं। ईरान के लिए फिर से बैलिस्टिक मिसाइलों का जखीरा बनाना और मिसाइल लॉन्चर बनाना अत्यंत मुश्किल होगा। देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही रसातल में है और युद्ध के नुकसान को झेलना आसान नहीं होता, जिससे आने वाले वक्त में नागरिक असंतोष भड़कने का खतरा बन गया है। ईरान को अरब देशों जैसे सऊदी अरब और UAE से 'कड़ी निंदा' के अलावा कोई समर्थन नहीं मिला। जॉर्डन, इजरायल के लिए ढाल बनकर सामने आया। ईरानी ड्रोन को जॉर्डन में ही मार गिराया गया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन और रूस से ईरान को मजबूत समर्थन नहीं मिल पाया। यानी नैरेटिव की जंग में ईरान ने भावनात्मक और क्षेत्रीय समर्थन जरूर हासिल किया, लेकिन कूटनीतिक, सैन्य और ग्लोबल नैरेटिव पर उसे निर्णायक बढ़त नहीं मिल पाई।
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