तेहरान: यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने कहा है कि वे लाल सागर में इजरायल और समुद्री व्यापारिक जहाजों पर अपने हमले रोक देंगे। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर गाजा में युद्धविराम टूटता है तो वे फिर से हमले शुरू कर देंगे। इसे इजरायल के लिए बड़ी राहत की बात मानी जा रही है, क्योंकि हूतियों के कारण इजरायल ने इस समुद्री रास्ते से अपना व्यापार बंद कर दिया था। इस फैसले से भारत के लिए भी खुशखबरी माना जा रहा है।
इजरायल पर हमले कर रहे थे हूती
हूती विद्रोही ईरान और क्षेत्र में उसके सहयोगियों हिजबुल्लाह और हमास पर इजरायली हमलों के बाद सबसे मजबूत सहयोगी बनकर उभरे हैं। हूतियों ने न सिर्फ पश्चिमी देशों के व्यापारिक जहाजों पर हमले किए हैं, बल्कि इजरायल पर भी कई मिसाइलें दागी हैं। हालांकि, इन हमलों से इजरायल को मामूली नुकसान ही पहुंचा है। वहीं, इजरायल ने यमन में हूतियों के ठिकानों पर कई बार बमबारी की है। अमेरिका और ब्रिटेन ने भी इजरायल के समर्थन में हूतियों पर बमबारी की है।
हूती चीफ ने पत्र लिखकर दी जानकारी
लाल सागर में इजरायली और उसका समर्थन करने वाले देशों के व्यापारिक जहाजों पर हमले बंद करने का ऐलान हूतियों के नए सेना प्रमुख मेजर जनरल यूसुफ हसन अल-मदानी ने हमास की सशस्त्र शाखा अल-कस्साम ब्रिगेड को लिखे एक पत्र में आया है। अल-मदानी ने इजरायली हवाई हमले में मारे गए मेजर जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अल-गमारी की जगह ली थी।
हूतियों ने लाल सागर से नाकाबंदी हटाई
उसने इस पत्र के ज़रिए संकेत दिया कि हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर अपनी नौसैनिक नाकाबंदी हटा ली है। इजरायली सेना ने अल-गमारी पर इस्लामिक गणराज्य के साथ घनिष्ठ संबंध रखने का आरोप लगाया था। अगस्त में उनकी मृत्यु के समय एक बयान में कहा गया था कि उन्हें "हिजबुल्लाह और आईआरजीसी ने प्रशिक्षित" किया था, जिसमें ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प का ज़िक्र था।
हूती चीफ ने सेना को हमले रोकने को कहा
अल-मदानी ने लिखा, "आपकी वफादारी और ईमानदारी के शब्द हमारे लिए गर्व का विषय हैं... ज़ायोनी-अमेरिकी दुश्मन और उसकी आपराधिक योजनाओं का सामना करने में हमारी एकता आस्था और अत्याचार व आक्रामकता के विरुद्ध हमारे साझा रुख पर आधारित है।" हालांकि संदेश का अधिकांश भाग साझा विचारधारा पर केंद्रित था, लेकिन इसके अंतिम भाग ने एक स्पष्ट नीतिगत संकेत दिया।
हूती चीफ ने क्या धमकी दी
अल-मदानी ने लिखा, "हम घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और घोषणा करते हैं कि अगर दुश्मन गाजा पर अपना आक्रमण फिर से शुरू करता है, तो हम जायोनी इकाई के भीतर अपने सैन्य अभियान फिर से शुरू कर देंगे और लाल सागर तथा अरब सागर में इजरायली नौवहन पर प्रतिबंध फिर से लगा देंगे।" यह चेतावनी लाल सागर और अरब सागर में जहाजों पर हूती हमलों के दो साल बाद आई है, जिसे उन्होंने गाजा में युद्ध रोकने के लिए इज़राइल पर दबाव बनाने का प्रयास बताया था।
हूतियों ने लाल सागर को किया था 'लाल'
हूतियों के हमलों ने दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापारिक मार्ग में से एक को बाधित कर दिया था। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि इसके परिणामस्वरूप 2024 में मिस्र को स्वेज नहर से लगभग 6 अरब डॉलर का राजस्व नुकसान हुआ। लाल सागर के रास्ते हर साल हजारों जहाज स्वेज नहर के रास्ते यूरोप से एशिया में नौवहन करते हैं। हालांकि हूतियों के हमलों के बाद बड़ी संख्या में वैश्विक शिपिंग कंपनियों को रास्ता बदलने पर मजबूर होना पड़ा था। हूतियों के हमलों में कम से कम नौ नाविकों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन, अब ताजा ऐलान के बीच लाल सागर में शांति की उम्मीद जताई जा रही है।
लाल सागर से व्यापार खुलने से भारत को भी फायदा
हूतियों के हमलों के कारण लाल सागर के रास्ते व्यापार के बाधित होने का नुकसान भारत को भी उठाना पड़ा था। वैश्विक शिपिंग कंपनियां स्वेज नहर की जगह अफ्रीका का पूरा चक्कर लगाकर जाने लगी थीं, जिससे परिवहन की लागत कई गुना बढ़ गई थी। इसका असर सामानों की कीमतों पर भी देखा गया था। हालांकि, अब स्वेज नहर के रास्ते में शांति होने से लाल सागर के रास्ते समुद्री व्यापार तेजी से बढ़ेगा और परिवहन की लागत घटेगी।
इजरायल पर हमले कर रहे थे हूती
हूती विद्रोही ईरान और क्षेत्र में उसके सहयोगियों हिजबुल्लाह और हमास पर इजरायली हमलों के बाद सबसे मजबूत सहयोगी बनकर उभरे हैं। हूतियों ने न सिर्फ पश्चिमी देशों के व्यापारिक जहाजों पर हमले किए हैं, बल्कि इजरायल पर भी कई मिसाइलें दागी हैं। हालांकि, इन हमलों से इजरायल को मामूली नुकसान ही पहुंचा है। वहीं, इजरायल ने यमन में हूतियों के ठिकानों पर कई बार बमबारी की है। अमेरिका और ब्रिटेन ने भी इजरायल के समर्थन में हूतियों पर बमबारी की है।
हूती चीफ ने पत्र लिखकर दी जानकारी
लाल सागर में इजरायली और उसका समर्थन करने वाले देशों के व्यापारिक जहाजों पर हमले बंद करने का ऐलान हूतियों के नए सेना प्रमुख मेजर जनरल यूसुफ हसन अल-मदानी ने हमास की सशस्त्र शाखा अल-कस्साम ब्रिगेड को लिखे एक पत्र में आया है। अल-मदानी ने इजरायली हवाई हमले में मारे गए मेजर जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अल-गमारी की जगह ली थी।
हूतियों ने लाल सागर से नाकाबंदी हटाई
उसने इस पत्र के ज़रिए संकेत दिया कि हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर अपनी नौसैनिक नाकाबंदी हटा ली है। इजरायली सेना ने अल-गमारी पर इस्लामिक गणराज्य के साथ घनिष्ठ संबंध रखने का आरोप लगाया था। अगस्त में उनकी मृत्यु के समय एक बयान में कहा गया था कि उन्हें "हिजबुल्लाह और आईआरजीसी ने प्रशिक्षित" किया था, जिसमें ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प का ज़िक्र था।
हूती चीफ ने सेना को हमले रोकने को कहा
अल-मदानी ने लिखा, "आपकी वफादारी और ईमानदारी के शब्द हमारे लिए गर्व का विषय हैं... ज़ायोनी-अमेरिकी दुश्मन और उसकी आपराधिक योजनाओं का सामना करने में हमारी एकता आस्था और अत्याचार व आक्रामकता के विरुद्ध हमारे साझा रुख पर आधारित है।" हालांकि संदेश का अधिकांश भाग साझा विचारधारा पर केंद्रित था, लेकिन इसके अंतिम भाग ने एक स्पष्ट नीतिगत संकेत दिया।
हूती चीफ ने क्या धमकी दी
अल-मदानी ने लिखा, "हम घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और घोषणा करते हैं कि अगर दुश्मन गाजा पर अपना आक्रमण फिर से शुरू करता है, तो हम जायोनी इकाई के भीतर अपने सैन्य अभियान फिर से शुरू कर देंगे और लाल सागर तथा अरब सागर में इजरायली नौवहन पर प्रतिबंध फिर से लगा देंगे।" यह चेतावनी लाल सागर और अरब सागर में जहाजों पर हूती हमलों के दो साल बाद आई है, जिसे उन्होंने गाजा में युद्ध रोकने के लिए इज़राइल पर दबाव बनाने का प्रयास बताया था।
हूतियों ने लाल सागर को किया था 'लाल'
हूतियों के हमलों ने दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापारिक मार्ग में से एक को बाधित कर दिया था। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि इसके परिणामस्वरूप 2024 में मिस्र को स्वेज नहर से लगभग 6 अरब डॉलर का राजस्व नुकसान हुआ। लाल सागर के रास्ते हर साल हजारों जहाज स्वेज नहर के रास्ते यूरोप से एशिया में नौवहन करते हैं। हालांकि हूतियों के हमलों के बाद बड़ी संख्या में वैश्विक शिपिंग कंपनियों को रास्ता बदलने पर मजबूर होना पड़ा था। हूतियों के हमलों में कम से कम नौ नाविकों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन, अब ताजा ऐलान के बीच लाल सागर में शांति की उम्मीद जताई जा रही है।
लाल सागर से व्यापार खुलने से भारत को भी फायदा
हूतियों के हमलों के कारण लाल सागर के रास्ते व्यापार के बाधित होने का नुकसान भारत को भी उठाना पड़ा था। वैश्विक शिपिंग कंपनियां स्वेज नहर की जगह अफ्रीका का पूरा चक्कर लगाकर जाने लगी थीं, जिससे परिवहन की लागत कई गुना बढ़ गई थी। इसका असर सामानों की कीमतों पर भी देखा गया था। हालांकि, अब स्वेज नहर के रास्ते में शांति होने से लाल सागर के रास्ते समुद्री व्यापार तेजी से बढ़ेगा और परिवहन की लागत घटेगी।
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