भारत की 113 किलोमीटर लंबी नहर परियोजना: सिंधु नदी का पानी मोड़ा जाएगा, पाकिस्तान बूंद-बूंद के लिए तरसेगा
भारत सरकार सिंधु जल संधि के तहत अपने हिस्से का पानी अधिकतम करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। इस योजना में 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाना शामिल है, जिसके माध्यम से सिंधु नदी प्रणाली के पानी को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के क्षेत्रों में भेजा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को रोकना और भारत के खेतों और शहरों को सिंचाई और पीने का पानी उपलब्ध कराना है।
सिंधु जल संधि और नई नहर परियोजना
1960 में विश्व बैंक द्वारा की गई सिंधु जल संधि सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों – सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास – के पानी को भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित करती है। इस संधि के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों (रावी, सतलुज, ब्यास) का पूरा उपयोग करने का अधिकार है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम, चिनाब का अधिकांश पानी मिलता है। अब भारत इन पश्चिमी नदियों के अप्रयुक्त पानी को नहरों के माध्यम से अपने राज्यों तक ले जाने की योजना बना रहा है।
113 किलोमीटर लंबी यह नहर चेनाब नदी को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों से जोड़ेगी। यह परियोजना अभी शुरुआती चरण में है और इसके लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, नहर का निर्माण अगले तीन साल में पूरा होने की संभावना है।
अमित शाह का बड़ा बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश में भाजपा के प्रशिक्षण सत्र के दौरान इस योजना के बारे में अहम बयान दिया। उन्होंने कहा, “अगले तीन सालों में सिंधु नदी का पानी नहरों के ज़रिए राजस्थान के गंगानगर तक पहुँचाया जाएगा। इससे पाकिस्तान को पानी की एक-एक बूँद के लिए प्यास लगेगी।” इस बयान से भारत की इस योजना का राजनीतिक और सामरिक महत्व साफ़ पता चलता है।
यमुना से गंगा में पानी बहता है
रिपोर्ट के अनुसार, इस नहर को यमुना नदी से जोड़ने की योजना से नहर की लंबाई 200 किलोमीटर बढ़ सकती है। योजना यमुना के माध्यम से गंगा तक पानी पहुंचाने की है, जिससे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों को कृषि, पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की सुविधा मिलेगी। यह परियोजना किसानों और स्थानीय आबादी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है।
पाकिस्तान के साथ तनाव और सिंधु जल संधि
यह योजना ऐसे समय में आई है जब भारत-पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। भारत ने कहा है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सिंधु जल संधि को तब तक निलंबित रखेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद बंद नहीं कर देता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।”
इस योजना का महत्व
इस नहर परियोजना से न केवल भारत की कृषि और जल संसाधन प्रबंधन में सुधार होगा, बल्कि यह राजनीतिक और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस परियोजना के माध्यम से भारत अपने जल अधिकारों का पूर्ण उपयोग कर सकेगा, जो वर्तमान में पाकिस्तान की ओर बहता है। यह परियोजना भारत के राष्ट्रीय हितों को मजबूत करेगी और विशेष रूप से राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल संकट को कम करेगी।
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