News India Live, Digital Desk: क्या आपको कभी इनकम टैक्स नोटिस मिला है? अगर हाँ, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। अक्सर लोग सोचते हैं कि नोटिस मिलने का मतलब कोई गड़बड़ है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता। हालांकि, यह ज़रूरी है कि आप इसे गंभीरता से लें और समझें कि यह क्यों आया है। एक अनुमान के मुताबिक, 90% लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें आयकर नोटिस क्यों मिल सकता है।
आयकर विभाग कई कारणों से नोटिस भेज सकता है। कुछ नोटिस सिर्फ जानकारी मांगने के लिए होते हैं, जबकि कुछ में कोई गलती या बेमेल होने का संकेत होता है। आइए, जानते हैं ऐसे 5 आम कारण जिनकी वजह से आपको आयकर विभाग से नोटिस आ सकता है:
जब आप बड़े लेन-देन करते हैं, जैसे बचत खाते में भारी नकदी जमा करना, क्रेडिट कार्ड से बड़ी खरीदारी करना, या कोई संपत्ति (घर, ज़मीन) खरीदना या बेचना, तो बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान इसकी जानकारी सीधे आयकर विभाग को देते हैं। इसे ‘वित्तीय लेनदेन का विवरण’ (Statement of Financial Transaction – SFT) कहते हैं। अगर आपके ITR में ये लेन-देन ठीक से नहीं दिखाए गए हैं, तो आपको नोटिस आ सकता है।
2. आयकर रिटर्न (ITR) में बेमेल (Mismatch in ITR):
कई बार आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय आप जो जानकारी देते हैं, और जो जानकारी आयकर विभाग के पास पहले से मौजूद है (जैसे आपका TDS या TCS डेटा), उनमें अंतर आ जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपके Form 26AS या AIS में आय या TDS की जानकारी आपके ITR से मेल नहीं खाती, तो यह बेमेल होने पर विभाग आपसे स्पष्टीकरण मांग सकता है।
3. आयकर रिटर्न दाखिल न करना या देर से करना (Non-filing/Late Filing of ITR):
यह सबसे सीधा कारण है। यदि आप निर्धारित समय सीमा (ड्यू डेट) के भीतर अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं करते हैं, या बहुत देर से करते हैं, तो आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। कई बार, अगर विभाग को लगता है कि आपकी आय कर योग्य है लेकिन आपने ITR नहीं भरा है, तब भी नोटिस आ सकता है।
4. सभी आय स्रोतों का खुलासा न करना (Not Disclosing All Income Sources):
यदि आप अपनी सभी आय के स्रोतों का खुलासा नहीं करते हैं, जैसे किराये से होने वाली आय, बैंक जमा पर मिला ब्याज, शेयर बेचने से हुआ लाभ (पूंजीगत लाभ), या कोई और अतिरिक्त आय, तो भी आपको नोटिस मिल सकता है। विभाग को कई माध्यमों से आपकी आय की जानकारी मिलती है, और अगर यह जानकारी आपके ITR से मेल नहीं खाती, तो स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है।
5. ज़्यादा कटौती या छूट का दावा (Claiming Excessive Deductions/Exemptions):
आयकर अधिनियम आपको कुछ कटौतियों (डिडक्शन) और छूट (एग्ज़ेम्प्शन) का लाभ उठाने की अनुमति देता है (जैसे धारा 80C के तहत निवेश, HRA आदि)। लेकिन, यदि आप बिना उचित प्रमाण के या तय सीमा से ज़्यादा कटौती का दावा करते हैं, तो आयकर विभाग आपसे उसका सत्यापन मांग सकता है।
अगर आपको आयकर नोटिस मिले तो क्या करें?
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घबराएं नहीं: सबसे पहले शांत रहें।
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नोटिस को ध्यान से पढ़ें: समझें कि नोटिस किस बारे में है और किस जानकारी का अनुरोध किया गया है।
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आवश्यक दस्तावेज़ जुटाएं: नोटिस में मांगी गई जानकारी और प्रमाण से संबंधित सभी दस्तावेज़ तैयार करें।
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समय पर जवाब दें: नोटिस में दी गई समय सीमा के भीतर जवाब देना बहुत ज़रूरी है।
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विशेषज्ञ की मदद लें: यदि आपको नोटिस समझ नहीं आ रहा है या आप अनिश्चित हैं कि कैसे जवाब दें, तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) या कर सलाहकार की मदद लेना सबसे अच्छा है।
याद रखें, आयकर नियमों का पालन करना और अपनी वित्तीय जानकारी सही ढंग से प्रस्तुत करना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपको कोई नोटिस मिलता है, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें और सही समय पर उचित कार्रवाई करें।
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