हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है। जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा के साथ इस तीर्थ यात्रा को करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। चार धाम यात्रा में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा की जाती है। इनमें से केदारनाथ धाम भगवान शिव का बहुत पवित्र स्थान है और इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन के लिए आते हैं।
बाबा केदार के दर्शन से सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।
बाबा केदार के दर्शन से सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और भोलेनाथ की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले डोली यात्रा क्यों निकाली जाती है? आइये इसका धार्मिक महत्व जानें।
केदारनाथ मंदिर और डोली उत्सव की परंपरा
इस साल यानि 2025 में केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। कपाट खोलने से पहले कई परंपराओं का पालन किया जाता है। सबसे पहले बाबा भैरवनाथ की पूजा की जाती है, फिर बाबा केदारनाथ की पंचमुखी डोली को उखीमठ से केदारनाथ धाम ले जाया जाता है। इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं और भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता है।
पंचमुखी डोली की विशेष विशेषता क्या है?
हर साल शीतकाल में जब केदारनाथ के कपाट बंद होते हैं तो बाबा केदार की मूर्ति को पंचमुखी पुतले में रखकर उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में लाया जाता है। भगवान वहाँ छह महीने तक रहते हैं। पंचमुखी डोली का अर्थ यह है कि यह भगवान केदारनाथ के पांच मुखों का प्रतिनिधित्व करती है। इस पालकी में एक सुंदर चांदी की मूर्ति है जिसकी विशेष पूजा की जाती है। फिर जब केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का समय आता है तो बाबा की पालकी को वापस केदारनाथ मंदिर ले जाया जाता है।
चार धाम यात्रा 2025 कब शुरू होगी?
वर्ष 2025 में चार धाम यात्रा 30 अप्रैल को शुरू होगी। इसी दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट भी खोले जाएंगे। उसके बाद 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे और फिर 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। चार धाम यात्रा की परंपरा के अनुसार सबसे पहले यमुनोत्री, फिर गंगोत्री, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ धाम की यात्रा की जाती है। उत्तराखंड की खूबसूरत घाटियों में स्थित ये चार धाम हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इस पवित्र तीर्थ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
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