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अमेरिका-चीन टैरिफ शांति: भारत के लिए अवसर या चुनौती?

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मुंबई: अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध के परिणामस्वरूप विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने और भारत से निर्यात बढ़ाने की संभावना फिलहाल कम हो गई है। अमेरिका और चीन द्वारा एक-दूसरे के सामान पर टैरिफ कम करने के फैसले से चीन से निर्यात फिर बढ़ने की संभावना बढ़ गई है।

ऐसा लगता है कि चीन में काम कर रही विदेशी कंपनियां, जो चीन में अपनी इकाइयां बंद कर भारत, मैक्सिको या वियतनाम की ओर देख रही थीं, अब वहां काम करना बंद कर देंगी और चीन में ही रहना पसंद करेंगी।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के सूत्रों ने बताया कि हालांकि टैरिफ अंतर कम हो गया है, लेकिन जो कंपनियां चीन से अन्यत्र जाने की तैयारी कर रही थीं, उन्हें फिलहाल रोक दिया जाएगा।

टैरिफ युद्ध के कारण चीन के अलावा अन्य देशों के लिए जो संभावनाएं पैदा हुई थीं, वे अब धीमी पड़ गई हैं, तथा वैश्विक कंपनियों के लिए चीन से आयात करना तथा चीन में विनिर्माण सुविधाएं जारी रखना उचित होगा।

इससे पहले, अमेरिका ने चीन को छोड़कर अन्य देशों के साथ अपने टैरिफ युद्ध को 90 दिनों के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया था, जिससे भारत को अमेरिका को निर्यात बढ़ाने की उम्मीद जगी थी। लेकिन अब जबकि चीन के साथ टैरिफ युद्ध स्थगित हो गया है, भारत की उम्मीदें ठंडी पड़ गई हैं। जब डोनाल्ड ट्रम्प 2017 से 2021 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ व्यापार का छठा सबसे बड़ा लाभार्थी बन रहा था।

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