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ईरान-इजराइल युद्ध और बढ़ा तो भारत में महंगी हो जाएंगी ये चीजें, सरकार से पहले आम आदमी पर पड़ेगा सीधा असर

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ईरान-इजराइल युद्ध और बढ़ा तो भारत में महंगी हो जाएंगी ये चीजें, सरकार से पहले आम आदमी पर पड़ेगा सीधा असर

Iran Israel War: ईरान-इजरायल संघर्ष के और बढ़ने की संभावना है. क्योंकि इजरायल का समर्थन करने वाला महाशक्ति अमेरिका अब युद्ध के मैदान में कूद पड़ा है. अब तक ईरान को हमलों की धमकी देने वाले अमेरिका ने ईरान पर जोरदार हमला बोला है. अमेरिका ने ईरान के 3 परमाणु केंद्रों पर हवाई हमले किए हैं. अमेरिका ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान के परमाणु केंद्रों को नष्ट कर दिया. अमेरिका ने उन्हीं जगहों को निशाना बनाया जहां परमाणु परियोजना चल रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति को फोन किया. ईरान-इजरायल युद्ध पर चिंता जताई. तनाव कम करने की अपील की. अगर ईरान-इजरायल युद्ध और भड़कता है तो भारतीयों पर महंगाई की मार पड़ सकती है. कई चीजें महंगी हो सकती हैं.

ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाले दिनों में अमेरिका भी इसमें शामिल हो सकता है। अगर युद्ध बढ़ता है तो इसका सीधा असर व्यापार पर पड़ेगा और भारत में भी कुछ चीजें महंगी हो सकती हैं। आइए जानें कि भारत ईरान से किन चीजों का सबसे ज्यादा आयात करता है और व्यापार बाधित होने पर किन चीजों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।

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अगर युद्ध बढ़ता है, तो ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध करना लगभग तय है। होर्मुज जलडमरूमध्य भारत के ऊर्जा आयात और दुनिया भर में तेल और गैस की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। होर्मुज जलडमरूमध्य में चोक पॉइंट ने शिपिंग कंपनियों के लिए जोखिम बढ़ा दिया है। इससे क्षेत्र में आने-जाने के परिवहन की लागत बढ़ सकती है।

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अगर भारत और ईरान के बीच व्यापार बंद हो जाता है या बाधित होता है, तो इसका सबसे बड़ा असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा। इससे परिवहन महंगा हो जाएगा और रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों के दाम भी बढ़ सकते हैं। सूखे मेवे, रसायन, प्लास्टिक और निर्माण सामग्री के दाम भी बढ़ सकते हैं। भारत अपने कच्चे तेल के आयात के लिए 80 प्रतिशत से अधिक फारस की खाड़ी पर निर्भर करता है।

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तेल और गैस के अलावा भारत ईरान से काजू, पिस्ता, बादाम और केसर जैसे सूखे मेवे और मेवे भी आयात करता है। अगर व्यापार बंद हो जाता है, तो ये आपूर्ति कम हो सकती है।

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पिछले कुछ सालों में अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान के साथ व्यापार में गिरावट आई है, लेकिन भारत अभी भी ईरान से बड़ी मात्रा में सूखे मेवे, उर्वरक और यूरिया जैसे सामान आयात करता है। अगर युद्ध छिड़ता है, तो इसका सीधा असर भारत के आम आदमी पर पड़ेगा।

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ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष का असर भारत के बासमती चावल के व्यापार पर भी पड़ रहा है। पंजाब और हरियाणा के निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ है। ईरान भारतीय बासमती का सबसे बड़ा खरीदार है। ईरान ने 2024-25 में भारत से 8.55 लाख मीट्रिक टन से अधिक बासमती चावल खरीदा, जिसकी कीमत करीब 6,374 करोड़ रुपये है।

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इस तनाव के कारण भुगतान में देरी हो रही है। कई निजी ईरानी आयातक अब भुगतान करने में छह से आठ महीने लगा रहे हैं। इससे भारतीय व्यापारियों पर वित्तीय दबाव बढ़ रहा है। ईरान की सरकार समर्थित एजेंसी, गवर्नमेंट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (GTC) ने भी भुगतान जारी करने में 180 दिन तक का समय लिया है। इसके कारण कुछ भारतीय निर्यातकों ने कम मुनाफे के बावजूद अपना चावल दूसरे देशों को भेजना शुरू कर दिया है।

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भारत ईरान से नमक, सल्फर, चूना और सीमेंट भी आयात करता है। अगर ये आयात बंद हो गए तो निर्माण कार्य और उससे जुड़े उद्योग प्रभावित हो सकते हैं। ईरान से बड़ी मात्रा में जैविक रसायन भी आते हैं। इनकी बढ़ती कीमतों से खाद की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका सीधा असर किसानों की जेब पर पड़ेगा।

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