जब डायबिटीज़ का जिक्र होता है, तो अक्सर इसे मोटापे से जोड़ा जाता है। यह आम धारणा है कि अधिक वजन वाले व्यक्तियों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है, लेकिन सच्चाई कुछ और है। कई बार, दुबले-पतले लोग भी इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं। तो, ऐसा क्यों होता है? आइए, डॉ. शालिनी सिंह सालुंके से जानते हैं इसके प्रमुख कारण।
आंत की चर्बी आंत की चर्बी
पतले दिखने वाले व्यक्तियों के शरीर में भी ऐसी चर्बी हो सकती है, जो नजर नहीं आती। इसे आंत की चर्बी कहा जाता है। यह चर्बी लिवर, पैंक्रियाज़ और आंतों के आस-पास जमा हो जाती है, जिससे इंसुलिन की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, डायबिटीज़ का खतरा बढ़ जाता है।
मांसपेशियों की कमी मांसपेशियों का कम होना
यदि आपके शरीर में मांसपेशियों की कमी है, तो ग्लूकोज़ को जमा करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होता। इससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे डायबिटीज़ का खतरा बढ़ता है। इसलिए, दुबले-पतले व्यक्तियों में भी मांसपेशियों की कमी एक चिंता का विषय है।
नींद और तनाव नींद और तनाव के प्रभाव
पर्याप्त नींद न लेना और लगातार तनाव में रहना शरीर के लिए हानिकारक है। तनाव के दौरान, शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो इंसुलिन प्रतिरोध पैदा करता है। इससे मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।
TOFI प्रभाव 'TOFI' प्रभाव
वैज्ञानिक रूप से इसे TOFI (बाहर से पतला, अंदर से मोटा) कहा जाता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति बाहर से पतला दिखता है, लेकिन अंदर वसा की मात्रा अधिक होती है। एमआरआई स्कैन से यह पता चलता है कि कई पतले लोग अंदर से वसा जमा कर लेते हैं, जिससे मधुमेह हो सकता है।
आनुवंशिक कारक आनुवंशिक कारण
दक्षिण एशियाई और भारतीय मूल के लोगों में स्वाभाविक रूप से बीटा-कोशिकाओं की क्षमता कम होती है। ये कोशिकाएँ इंसुलिन बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं। जब इनकी क्षमता कम होती है, तो शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता, जिससे मधुमेह का खतरा बढ़ता है।
स्वस्थ जीवनशैली का महत्व
डायबिटीज़ केवल मोटापे से संबंधित नहीं है। यह समस्या पतले लोगों को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए, चाहे आपका वजन कम हो या ज्यादा, एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव से बचना ही सही उपाय हैं।
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