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रामगोपाल यादव के बयान पर घमासान: विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर की गई टिप्पणी की चौतरफा निंदा, डिप्टी सीएम ने मांगा अखिलेश से जवाब

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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव द्वारा भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर की गई जातिसूचक टिप्पणी ने देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर दी हैं। अब यह विवाद राजनीतिक रंग भी ले चुका है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से इस पर सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण मांगा है।

उपमुख्यमंत्री का तीखा हमला

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "समाजवादी पार्टी जातिगत उन्माद फैलाना चाहती है। दलित समाज की बेटी को जातिसूचक शब्द से पुकारना कहां तक उचित है? अखिलेश यादव को इस पर स्पष्ट रूप से जवाब देना चाहिए। सपा को इस शर्मनाक टिप्पणी पर जनता से माफी मांगनी चाहिए।" बृजेश पाठक ने कहा कि यह मामला केवल व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि पूरे दल के विचारों का प्रतिबिंब है। उन्होंने सपा पर दलित विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया।

असीम अरुण ने सेना की गरिमा की बात की

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण ने भी रामगोपाल यादव के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, "यह बयान बेहद शर्मनाक है। हमारी सेना जाति और धर्म से ऊपर है। उसे किसी भी तरह की राजनीति में घसीटना गलत है। सेना को लेकर ऐसी बयानबाजी जवानों के मनोबल को कमजोर करती है।" असीम अरुण ने स्पष्ट कहा कि सेना का हर जवान केवल "भारतीय" होता है और कोई राजनीतिक दल उसे जातियों में बांटने की कोशिश न करे।

संजय निषाद बोले – यह सपा का असली चेहरा

सरकार में मंत्री संजय निषाद ने भी समाजवादी पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा, "समाजवादी पार्टी जब सत्ता में होती है तो दलितों पर अत्याचार करती है, और जब सत्ता से बाहर होती है तो उनकी हमदर्द बनने की कोशिश करती है। सेना राष्ट्र का प्रतीक है, वहां जाति की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।" उन्होंने इसे एक राष्ट्रविरोधी मानसिकता की अभिव्यक्ति बताया और कहा कि देश से ऊपर कुछ भी नहीं होता, जाति तो बहुत छोटी बात है।

क्या कहा था रामगोपाल यादव ने?

दरअसल, रामगोपाल यादव ने हाल ही में एक जनसभा के दौरान विंग कमांडर व्योमिका सिंह को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने उनका नाम बार-बार भूलने के साथ-साथ जातिसूचक संदर्भ भी इस्तेमाल किया। यही नहीं, उन्होंने अपने भाषण में अन्य अधिकारियों की भी जातियां सार्वजनिक रूप से बताई। हालांकि, विवाद बढ़ने पर रामगोपाल यादव ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी मंशा गलत नहीं थी और उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है।

निष्कर्ष

रामगोपाल यादव का यह बयान न केवल सेना की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि राजनीति में जातिवादी सोच को भी उजागर करता है। अब विपक्षी दलों से लेकर सत्ताधारी नेताओं तक इस पर जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। जनता की नजर अब अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया पर टिकी है कि वे इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं।

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