साधारण वाक्य नहीं, बल्कि एक बेटे की आंखों से छलकती पीड़ा और दिल से निकली वो आखिरी पुकार थी, जब उसके पिता अस्पताल के बेड पर मौत से जूझ रहे थे। यह दृश्य किसी मंदिर के गर्भगृह में नहीं, बल्कि अस्पताल के बाहर खड़े उस बेटे की आत्मा से निकला था, जो अपनी सारी उम्मीदें, अपने सारे विश्वास अब भोलेनाथ के चरणों में समर्पित कर चुका था।
मंदिर नहीं, दिल बना शिवालयशिवरात्रि की रात थी, जब पूरा शहर भक्ति में डूबा था। लेकिन एक युवक, जो हर वर्ष जल चढ़ाने शिवालय जाया करता था, इस बार अस्पताल के गेट पर खड़ा होकर भोलेनाथ से मिन्नतें कर रहा था। वह न तो आरती कर पा रहा था, न ही अभिषेक — पर उसका दर्द, उसकी सच्ची भक्ति, उसकी आंखों से बहती अश्रुधारा किसी जलाभिषेक से कम नहीं थी।
"पापा को कुछ न हो..."उसने न व्रत तोड़ा, न आस्था। सिर्फ एक बात दोहराता रहा — “भोलेनाथ, मेरे पापा को कुछ न हो। उनकी सांसें चलती रहें। आप चाहो तो मेरी उम्र ले लो।” उस बेटे ने अपने हाथों की सारी लकीरें मोड़कर शिव की ओर कर दीं, जैसे कह रहा हो — “अब भाग्य नहीं, सिर्फ आपकी कृपा चाहिए।”
डॉक्टर भी हो गए भावुककहते हैं, जब दुआ दिल से निकले, तो आसमान भी सुनता है। डॉक्टरों के लिए यह एक सामान्य आईसीयू केस था, लेकिन जब उन्हें बेटे की यह गहराई से भरी गुहार सुनाई दी, तो वे भी भावुक हो उठे। ICU के बाहर मौजूद कई लोगों की आंखें नम हो गईं।
आस्था ने दी ताकतयह घटना सिर्फ एक बेटे की गुहार नहीं थी, यह उस आस्था का प्रतीक थी जो शिव के नाम पर जीवन और मृत्यु के बीच भी उम्मीद की लौ जलाए रखती है। बेटे को विश्वास था कि भोलेनाथ सुनेंगे, और वही विश्वास उसके पापा की सांसों की डोर को थामे हुए था।
You may also like
जनाना अस्पताल में बच्चा बदलने का सनसनीखेज मामला! डायपर खोलते ही खुला राज़, अस्पताल में भिड़े दो परिवार
यूपी में बिजली कटौती की हो रही साजिश! ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की नजर में ये 'बबूल रूपी कर्मचारी' कौन हैं?
Tennis Player Radhika Yadav Murder Case : टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की आखिर उसके पिता ने क्यों कर दी हत्या? पुलिस पूछताछ में अब तक सामने आई क्या वजह?
भारतीय रेलवे ने ट्रेन सुरक्षा के लिए मशीन विजन आधारित निरीक्षण प्रणाली स्थापित की
100 में से 90 लोगों को नहीं पता होगा आलू स्टोर करने का सालों पुराना तरीका, 1 चीज रखने से महीनों तक नहीं होते खराब