जब बात वजन घटाने की आती है, तो ज्यादातर लोग सबसे पहले जिम का रुख करते हैं. लेकिन जिम में कदम रखते ही एक बड़ा सवाल सामने खड़ा हो जाता है कार्डियो करें या वेट लिफ्टिंग? दोनों ही एक्सरसाइज के अपने-अपने फायदे हैं, लेकिन वजन घटाने के लिए किसको चुना जाए ये तय करना कई बार मुश्किल हो जाता है. कुछ लोग मानते हैं कि ट्रेडमिल पर घंटों दौड़ने या साइकलिंग करने से जल्दी वजन घटता है, वहीं कुछ फिटनेस ट्रेनर्स का कहना है कि वेट लिफ्टिंग से फैट तेजी से बर्न होता है और शरीर ज्यादा टोन होता है.
ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि दोनों में से किसे अपनी फिटनेस जर्नी में शामिल करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा. तो चलिए आज इस आर्टिकल में जानते हैं कि कार्डियो और वेट लिफ्टिंग के बीच का फर्क, दोनों के फायदे और यह कि वेट लॉस के लिए किसे चुनना ज्यादा बेहतर रहेगा.
कार्डियो क्या है और इसके फायदेकार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज जैसे दौड़ना, जॉगिंग, ब्रिस्क वॉक, साइकलिंग, स्विमिंग आदि दिल और फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं.
यह शरीर को ज्यादा कैलोरी बर्न करने में मदद करता है. वजन कम करने के शुरुआती दौर में कार्डियो तेजी से असर दिखाता है. साथ ही यह मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है और स्टेमिना बढ़ाता है.
वेट लिफ्टिंग यानी Strength Training में शरीर की मांसपेशियों को टोन करने और मजबूत बनाने पर ध्यान दिया जाता है. यह फैट को मसल्स में बदलने में मदद करता है, जिससे बॉडी शेप में आती है. वेट लिफ्टिंग के बाद भी शरीर लंबे समय तक कैलोरी बर्न करता रहता है . साथ ही यह बेसल मेटाबॉलिक रेट (BMR) को बढ़ाता है, जिससे बिना एक्सरसाइज किए भी फैट बर्न होता है.
आमतौर पर, वेट ट्रेनिंग की तुलना में कार्डियो एक्सरसाइज एक ही समय और प्रयास में ज्यादा कैलोरी बर्न करता है. हालांकि, वजन घटाने के लिए जरूरी है कि आप जितनी कैलोरी खाते हैं, उससे ज्यादा कैलोरी बर्न करें. के अनुसार, अगर आपका वजन लगभग 154 पाउंड (करीब 70 किलो) है, तो मीडियम रफ्तार से साइकिल चलाने पर आप 30 मिनट में लगभग 145 कैलोरी बर्न कर सकते हैं.
वेट ट्रेनिंग कितनी कैलोरी बर्न करती है ?हेल्थलाइन के मुताबिक, एक बार की वेट ट्रेनिंग सेशन में कार्डियो की तुलना में कम कैलोरी बर्न होती है, फिर भी लंबे समय में तक वेट ट्रेनिंग की जाए तो ज्यादा कैलोरी बर्न हो सकती है. रेजिस्टेंस (वेट) ट्रेनिंग, कार्डियो की तुलना में लीन मसल्स यानी दुबली-पतली मांसपेशियां बनाने में ज्यादा असरदार होती है. बता दें कि, वेट ट्रेनिंग से कैलोरी बर्न करने का फायदा सिर्फ एक्सरसाइज के दौरान ही नहीं होता, बल्कि इसके बाद भी जारी रहता है. वर्कआउट के बाद जब शरीर मांसपेशियों की मरम्मत और रिकवरी करता है, तो वह घंटों तक कैलोरी खर्च करता रहता है. ऐसे में सेशन के बाद आपकी बॉडी कितनी कैलोरी बर्न करेगी, यह आपकी एक्सरसाइज की इंटेंसिटी पर निर्भर करता है. ऐसे में वेट लिफ्टिंग से भले धीरे -धीरे कैलोरी बर्न हो लेकिन ये लंबे समय तक असरदार है.
हेल्थलाइन के मुताबिक, कम से कम 150 मिनट की मीडियम स्पीड वाली फिजिकल एक्टिविटी (जैसे वॉकिंग, डांसिंग, साइकलिंग)
या 75 मिनट की इंटेंस फिजिकल एक्टिविटी (जैसे रनिंग, स्विमिंग, HIIT वर्कआउट) के साथ 2 दिन की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (वेट ट्रेनिंग) जरूरी मानी जाती है.
हर तरह की फिजिकल एक्टिविटी वजन घटाने में मदद करती है. वेट लॉस के लिए केवल जिम जाना जरूरी नहीं है . घर का काम, गार्डनिंग, सीढ़ियां चढ़ना, वॉक करना, डांसिंग, सब कुछ मूवमेंट में गिना जाता है. ऐसे में आप जितना ज्यादा मूवमेंट करेंगे, उतनी ज्यादा कैलोरी बर्न होगी और वेट लॉस करने में मदद मिलेगी.
एक साथ करें कार्डियो और वेट ट्रेनिंगआप वेट लॉस के लिए कार्डियों और वेट ट्रेनिंग करें. ये ज्यादा फायदेमंद साबित होगी. क्योंकि, वेट ट्रेनिंग हड्डियों को मजबूत बनाती है और लंबे समय में फैट बर्निंग रेट बढ़ाती है. वहीं, कार्डियो एक्सरसाइज हार्ट हेल्थ, ब्लड प्रेशर और मूड सुधारने में मदद करती है. यह फैट बर्निंग में भी कारगर होती है.
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