नई दिल्ली, 03 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय
की जस्टिस तारा विस्तारा गंजू के कर्नाटक ट्रांसफर करने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अनुशंसा पर दोबारा विचार करने की मांग तेज पकड़ रही है। इस अनुशंसा पर पुनर्विचार करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) के करीब 66 महिला वकीलों और 94 दूसरे वकीलों ने उच्चतम न्यायालय
के चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई को पत्र लिखा है।
महिला वकीलों अरुंधति काटजू, गीता लूथरा, मालविका राजकोटिया, स्वाति सुकुमार, दिव्या कपूर, मालविका त्रिवेदी और कादंबरी सिंह ने जस्टिस तारा विस्तारा गंजू के कर्नाटक उच्च न्यायालय
ट्रांसफर करने की सिफारिश पर दोबारा विचार करने की मांग की है। इसके अलावा 94 वकीलों में कीर्ति उप्पल, गौरव सरीन और माणिक डोगरा शामिल हैं।
चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में जस्टिस तारा विस्तारा गंजू ने विभिन्न मामलों में फैसलों का उल्लेख किया गया है, भले ही वो कामर्शियल हों, रेंट, श्रम कानून या आर्बिट्रेशन से जुड़े हुए हों। पत्र में कहा गया है कि जस्टिस गंजू ने महिला और नये वकीलों को हमेशा ही आगे बढ़ाने का काम किया है। पत्र में कहा गया है कि जस्टिस गंजू के ट्रांसफर की अनुशंसा निश्चित रुप से न्यायपालिका के लिए खासा नुकसानदायक साबित होगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 25 और 26 अगस्त को हुई बैठक में जस्टिस तारा विस्तारा गंजू को कर्नाटक उच्च न्यायालय
में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी। इसके बाद एक सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में कहा था कि जजों की तुरंत-तुरंत नियुक्ति और ट्रांसफर के दौरान सलाह और पारदर्शिता की काफी कमी देखने को मिल रही है। जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर में बार एसोसिएशन की कोई सलाह नहीं ली जा रही है। ये उच्च न्यायालय
और वकीलों दोनों के लिए नुकसानदायक है।
दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा था कि उच्च न्यायालय
में पिछले दिनों हुई नियुक्तियों और ट्रांसफर से वकील हतप्रभ हैं। वकीलों को लगता है कि इन नियुक्तियों और ट्रांसफर में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी