रांची, 30 जून (Udaipur Kiran) । राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार नगडी क्षेत्र में प्रस्तावित रिम्स-दो के लिए ग्रामीणों को उनके खेतों में धान लगाने से रोके जाने की घटना पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज़ ने आलोचना की है।
उन्होंने सोमवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार का अबुआ सरकार का नारा अब पूरी तरह से जनविरोधी और छलावा साबित हो चुका है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में रांची के नगडी क्षेत्र में प्रस्तावित रिम्स-दो को लेकर जो घटनाएं सामने आईं, उसने सरकार की असंवेदनशीलता को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
जब ग्रामीणों को प्रशासन की ओर से अपने ही खेतों में धान रोपने से रोका गया, तब वे विवश होकर सड़क पर मिट्टी बिछाकर धान लगाने को विवश हो गए। यह दृश्य न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि झारखंड की आदिवासी-कृषक संस्कृति पर सीधा आघात है।
राफिया ने कहा कि झारखंड की लगभग 76 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर है। इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय शामिल है। उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन इनकी पहचान ही नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। लेकिन वर्तमान सरकार विकास के नाम पर बिना किसी स्पष्ट योजना, पुनर्वास या सहमति के इनकी उपजाऊ ज़मीनें बलपूर्वक हड़प रही है।
हेमंत सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को 18वीं सदी में पहुंचा दिया है। यह सरकार सिर्फ वादों और विज्ञापनों में जनता का इलाज कर रही है, बल्कि ज़मीनी सच्चाई भयावह है। जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल हैं, हजारों पद खाली हैं और डॉक्टर और कर्मी नदारद हैं। 3497 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में 70 प्रतिशत बिना भवन के हैं, 5300 से अधिक चिकित्सा पदों में 4000 से ज़्यादा खाली हैं। मातृ मृत्युदर और शिशु मृत्युदर में वृद्धि राज्य में हर रोज़ इलाज के अभाव में हो रही मौतों को दर्शाती हैं।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
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