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हिमाचल में मानसून बना कहर : 15 दिनों में 72 मौतें, 37 लापता

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शिमला, 5 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन 2025 ने एक बार फिर तबाही की कहानी लिख दी है। 20 जून से 4 जुलाई तक केवल 15 दिनों में 72 लोगों की जान चली गई, 113 लोग घायल हुए और 37 पिछले कई दिनों से लापता हैं। इस अवधि में हुई बारिश, भूस्खलन, बादल फटने, फ्लैश फ्लड, सड़क दुर्घटनाओं और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अब तक 541 करोड़ से अधिक की संपत्ति और जनधन का नुकसान हो चुका है।

इस मानसून के दौरान सबसे ज्यादा तबाही मंडी जिल में हुई है। अकेले मंडी में 20 लोगों की मौत दर्ज की गई, जिनमें 14 मौतें बादल फटने से हुईं। वहीं कांगड़ा में कुल 13 की जान गई, जिनमें 7 मौतें भूस्खलन और 2 मौतें बादल फटने के चलते हुईं।

प्रदेश भर में बादल फटने से 14 और फ्लैश फ्लड व पानी के तेज बहाव में बहने से 8-8 मौतें हुई हैं। कई स्थानों पर मकान, पुल, सड़कें, गऊ सदन, पशुशालाएं, गोशालाएं, दुकानें और निजी वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। सबसे ज्यादा तबाही मंडी जिला में हुई, जहां 30 जून को एक ही रात बादल फटने की लगभग 12 घटनाएं सामने आईं। आंकड़ों के मुताबिक इस मानसून सीजन में 19 कच्चे-पक्के मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए जबकि 82 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 208 पशुशालाएं और 21 दुकानें भी ध्वस्त हुईं। इस मानसूनी कहर से सड़क, पुल, विद्युत ट्रांसफार्मर, पेयजल योजनाएं, सिंचाई व जन स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और अन्य विभागीय परिसंपत्तियों को 541 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार मानसून में अब तक प्रदेश में 10,000 पोल्ट्री पक्षियों और 251 अन्य पशुधन की मौत हुई है। इसके अलावा हादसों में भी 27 लोगों की जान गई। इसमें सबसे ज्यादा मौतें चंबा (6) में हुईं। मंडी, बिलासपुर और कुल्लू में 3-3 मौतें सड़क हादसों में हुईं। ये सड़क हादसे लगातार हो रही भारी बारिश और फिसलन भरी सड़कों के चलते और अधिक खतरनाक बन गए हैं।

मौसम विभाग ने अगले 24 घण्टे यानी 6 जुलाई को कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी कर रखा है। साथ ही विभाग ने चम्बा, मंडी, कांगड़ा और सिरमौर जिलों में फ्लैश फ्लड की आशंका भी जताई है। ऐसे में प्रशासन अलर्ट मोड पर है और लोगों से नदी-नालों के पास न जाने और पहाड़ी इलाकों में यात्रा से बचने की अपील की जा रही है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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