प्रयागराज, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुम्भ 2025 के मेला क्षेत्र में प्रशासन द्वारा छोड़ा गया कचरा हटाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए याचियों को एनजीटी में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी एवं न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायाधिकरण के पास एनजीटी अधिनियम की धारा 14 के तहत व्यापक अधिकार क्षेत्र है और वह याचियों के मामले को अधिक तेज़ी व प्रभावी ढंग से निपटा सकता है।
ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क के साथ विधि प्रशिक्षण ले रही अंशिका पांडेय व लॉ स्टूडेंट्स की जनहित याचिका में महाकुम्भ के 45 किमी क्षेत्र में गंगा यमुना के किनारे मेला प्रशासन द्वारा छोड़े गए मलबे से फैली गंदगी व बरसात में गंगा के प्रदूषित होने का खतरा बताया गया था। कहा गया था कि गत 26 फरवरी को महाकुम्भ के समापन पर मेला प्रशासन को तमाम दी गईं सुविधाएं हटाना था। लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा मेला क्षेत्र में ही छोड़ दिया गया है। इसमें काफी मात्रा में कचरा, मलबा, निर्माण सामग्री, लैट्रिन कमोड और ऐसी ही काफी वस्तुएं शामिल हैं। कहा गया था कि बारिश शुरू होने पर यह गंगा जल को दूषित और जहरीला बना देंगी। इस कचरे के कारण एक बड़े इलाके में कछार भूमि पर खीरा ककड़ी करेले आदि की सब्जियों की खेती रुक गई। झूंसी में नदी किनारे के मोहल्ले प्रदूषण, दुर्गंध से प्रभावित हैं। साथ ही इस कचरे से गंगा नदी के जल जीवों, वनस्पतियों को गंभीर खतरा है और समूचा पर्यावरण गंभीर संकट का सामना करने जा रहा है।जनहित याचिका में प्रशासन को क्षेत्र में छोड़ी गई गंदगी बरसात के पहले हटा लेने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी ताकि गंगा-यमुना के आसपास का सारा मलबा हटाया जा सके।
हाईकोर्ट ने मामले में सीधे हस्तक्षेप करने से मना कर दिया और याचियों से उनकी शिकायत निवारण के लिए एनजीटी में सम्पर्क करने को कहा। कोर्ट का मानना है कि पर्यावरणीय मामलों से निपटने के लिए एनजीटी विशेष निकाय है और वह इस मुद्दे पर उचित कार्रवाई करने में सक्षम है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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