अंबिकापुर, 9 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . युवाओं की सक्रिय भागीदारी, महिला सशक्तिकरण और गरीबी उन्मूलन से ही विकसित भारत का सपना साकार हो सकता है. व्यक्ति और परिवार की आय में वृद्धि से देश की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा. यह विचार राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के अधिष्ठाता डॉ. संतोष सिन्हा ने गुरुवार काे साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अंबिकापुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के समापन सत्र में व्यक्त किए.
उन्होंने कहा कि कला केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि उसमें जीवन, सौंदर्य और आध्यात्म का समावेश है. Indian सभ्यता विश्व कल्याण की बात करती है, और हमारे वैदिक ज्ञान, गणित, खगोल और नैतिक मूल्य आज भी मानवता के लिए मार्गदर्शक हैं. कृषि और बागवानी के अनुसंधान तभी सार्थक हैं जब वे किसानों तक पहुंचें और उनके जीवन में सुधार लाएँ.
सेमिनार का आयोजन “विकसित भारत के परिप्रेक्ष्य में कला, विज्ञान और प्रबंधन में Indian ज्ञान परंपरा” विषय पर किया गया था, जिसका संयुक्त संचालन कला एवं मानविकी संकाय, आईक्यूएसी और Chhattisgarh सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और साईनाथ के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुई.
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा प्राचीन काल से ही समृद्ध रही है. उन्होंने श्रीराम और हनुमान को उत्कृष्ट प्रबंधन के उदाहरण बताते हुए कहा कि आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने तक, वर्ष 2047 तक, विकसित भारत का लक्ष्य पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
सेमिनार के संयोजक डॉ. आर.एन. शर्मा ने बताया कि दो दिनों में 250 से अधिक शोध पत्रों का वाचन हुआ, जिसमें देशभर से ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. उन्होंने Indian चिकित्सा, वनस्पति विज्ञान और तंत्र साधना से जुड़े प्राचीन ग्रंथों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि Indian ज्ञान परंपरा विश्व शांति का संदेश देती है.
तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.एन. खरे और Chhattisgarh सोशियोलॉजिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. प्रीति शर्मा ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए. समापन अवसर पर अतिथियों का सम्मान अंगवस्त्र और श्रीफल भेंट कर किया गया तथा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए.
कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक देवेन्द्र दास सोनवानी और पल्लवी मुखर्जी ने किया. इस अवसर पर डॉ. विवेक कुमार गुप्ता, डॉ. दिनेश कुमार शाक्य, अरविन्द तिवारी, शैलेष देवांगन और दीपक तिवारी सहित कई प्राध्यापक उपस्थित रहे.
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(Udaipur Kiran) / पारस नाथ सिंह
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