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पत्नी के गिरवी रखे गहने करवा चौथ पर वापस नहीं ला पाया, तो जान दे दी

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Ajmer . करवा चौथ के दिन जब महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र की दुआ मांग रही थीं, तब एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 28 वर्षीय रोहित इंदौरा, जो कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था, ने Sunday की सुबह फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. यह हादसा Ajmer के Police लाइन इलाके में हुआ, जहां रोहित ने कर्ज से तंग आकर आत्महत्या कर ली.

Sunday की सुबह तक सब कुछ सामान्य लग रहा था. रोहित की पत्नी करवा चौथ की तैयारी में जुटी थी, और उनके बच्चे घर में खेल रहे थे. लेकिन इस शांत माहौल के पीछे छिपी थी रोहित की अंदरूनी तड़प और आर्थिक परेशानियों का बोझ, जो धीरे-धीरे उसे तोड़ रहा था.

परिवारवालों के अनुसार, रोहित ने कुछ समय पहले अपनी पत्नी और अन्य परिजनों के गहने गिरवी रखकर कर्ज लिया था. उसे उम्मीद थी कि वह करवा चौथ तक यह कर्ज चुका देगा और गहने वापस ला पाएगा. लेकिन जब समय आया, तो वह कर्ज चुकाने में असमर्थ रहा. उसने कर्जदाता से निवेदन किया कि करवा चौथ के दिन गहने लौटाने की कृपा करें, लेकिन कर्जदाता ने साफ इनकार कर दिया. यह सुनकर रोहित पूरी तरह टूट गया.

परिवारवालों का कहना है कि रोहित एक छोटी पेंट की दुकान चलाता था, लेकिन आर्थिक तंगी और कर्ज के बढ़ते दबाव ने उसे इस कदर घेर लिया था कि वह कई दिनों से अपनी दुकान पर भी नहीं जा रहा था. इसके साथ ही, वह किसी गंभीर बीमारी से भी जूझ रहा था, जिसने उसकी परेशानियों को और बढ़ा दिया था.

करवा चौथ का दिन, जो उसकी पत्नी के लिए खास होना चाहिए था, अब उनके जीवन में सबसे दर्दनाक याद बन गया है. करीब नौ बजे जब परिवारवालों ने उसे कमरे में फंदे से लटका देखा, तो पूरा घर शोक और स्तब्धता में डूब गया. उनकी दुनिया बिखर गई थी.

रोहित की मौत ने उसके परिवार को गहरे दुख में डाल दिया. उसकी पत्नी, जिसने करवा चौथ पर अपने पति की लंबी उम्र की दुआ की थी, अब उसके बगैर एक अधूरी जिंदगी जीने को मजबूर है. बच्चे, जो खेलते हुए अपने पिता की हंसी का इंतजार कर रहे थे, अब उनके बिना बड़े होंगे.

यह घटना न सिर्फ रोहित के परिवार के लिए, बल्कि उन सभी के लिए एक चेतावनी है, जो आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. दुखद है कि एक पति, जो अपने परिवार को खुश रखने के लिए सब कुछ कर रहा था, अंत में इस तंगहाली और निराशा के कारण अपनी जान दे बैठा.

रोहित के इस कदम ने एक गहरी खामोशी और अनगिनत सवाल छोड़ दिए हैं. आखिर कर्ज और जिम्मेदारियों का बोझ कितना बड़ा हो सकता है कि एक इंसान को अपनी जान तक देनी पड़े?

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