रांची, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । डॉ श्याम प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू), और संस्कृत भारती के संयुक्त तत्त्वावधान में संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह का आयोजन बुधवार को किया गया।
उल्लेगखनीय है कि संस्कृत सप्ताह आठ से 14 अगस्त तक विभिन्न स्थानों में आयोजित किया गया और इसके अंतर्गत किरातार्जुनीयम श्लोकपाठ प्रतियोगिता, रघुवंशम श्लोकपाठ प्रतियोगिता, गीता श्लोक पाठ प्रतियोगिता, संस्कृत एकलगीत तथा समूहगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रांची विश्वविद्यालय की मानविकी की संकायाध्यक्ष और संस्कृत विभाग की अध्यक्ष डॉ अर्चना दुबे ने कहा कि संस्कृत को देववाणी कहा गया है, क्योंकि इसमें निहित ध्वनियों शब्दों और वाक्यों में ऐसी अनूठी सामंजस्य शक्ति है कि जो चेतना के उच्चतम स्तर तक पहुंचने में सहायक है।
वहीं मुख्य वक्ता डॉ शैलेश कुमार मिश्रा ने कहा कि युद्धोन्मत्त विश्व को संस्कृत की संस्कृति अपनाने की जरूरत है। उपनिषदों में निहित ज्ञान जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रासंगिक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डीएसपीएमयू के कुलसचिव और संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। विशिष्ट अतिथि डॉ चंदन कुमार पंकज ने कहा कि आधुनिक विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, भाषा विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी के अनेक क्षेत्रों में संस्कृत के ज्ञान स्रोत अमूल्य हैं।
संस्कृत भारती झारखंड प्रांत के उपाध्यक्ष डॉ दीप चंद्राराम कश्यप ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं अपितु संपूर्ण भारतीय ज्ञान संस्कृति का मूल आधार है। यह दिवस केवल एक उत्सव नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना बौद्धिक परंपरा तथा आध्यात्मिक आध्यात्मिक धरोहर का स्मरण करने वाला पर्व है।
इस अवसर पर आचार्य कौटिल्य, सोनी, पूजा पांडेय, जया, संचिता, अंशु सहित कई छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
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