– ‘स्पिरिचुअल सर्किट टूरिज्म’ और ‘रामायण सर्किट’ की अवधारणा को मिलेगी गति – तीर्थयात्रियों की बढ़ेगी संख्या, खुलेंगे रोजगार के द्वार, आर्थिकी भरेगी उड़ान मीरजापुर, 27 जून (Udaipur Kiran) । कल्पना कीजिए! सुबह जगविख्यात विंध्यधाम में मां विंध्यवासिनी के दर्शन और दोपहर होते-होते श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला के चरणों में हाजिरी। ये सपना जल्द हकीकत बनने वाला है। वंदे भारत ट्रेन आस्था, संस्कृति और तीर्थयात्रा को जोड़ने वाली आस्था एक्सप्रेस बनने जा रही है। यह ट्रेन न सिर्फ दो तीर्थ स्थलों को जोड़ेगी, बल्कि उत्तर भारत के धार्मिक पर्यटन को भी नई दिशा देगी। ‘रामायण सर्किट’ की अवधारणा को गति मिलेगी। मां विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ विंध्यधाम और श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या दोनों ही भारत के प्रमुख धार्मिक केंद्र हैं। दोनों स्थानों को एक तेज, आधुनिक और सुविधाजनक रेल सेवा से जोड़ना न सिर्फ तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाएगा, बल्कि ‘स्पिरिचुअल सर्किट टूरिज्म’ की नई अवधारणा को भी सशक्त करेगा। हर साल विंध्यधाम में शारदीय, चैत्र और गुप्त नवरात्र के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के बाद दर्शनार्थियों की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी जा रही है। वंदे भारत जैसी हाईस्पीड ट्रेन धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय आर्थिकी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। दरअसल, राज्यसभा सदस्य सीमा द्विवेदी ने प्रयागराज में हाल ही में हुई उत्तर मध्य रेलवे की क्षेत्रीय उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (जेडआरयूसीसी) की बैठक में वंदे भारत से विंध्यधाम को अयोध्या से जोड़ने का प्रस्ताव रखा था। इस पर उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक उपेंद्र चंद्र जोशी ने फाइनल संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा है कि रेलवे बोर्ड की ओर से रेल की उपलब्धता के आधार पर इसका विस्तार किया जाएगा। रेलवे बोर्ड से स्वीकृति मिलते ही यह प्रस्ताव श्रद्धा की पटरी पर रफ्तार पकड़ लेगा। यह सिर्फ दो शहरों को नहीं, दो तीर्थों को जोड़ने वाली सबसे खास कड़ी होगी। इस प्रस्ताव से धार्मिक पर्यटन में बड़ा उछाल आने की संभावना है। देशभर से अयोध्या आने वाले श्रद्धालु अब विंध्यधाम दर्शन के लिए भी प्रेरित होंगे। दोनों शहरों में मौजूद ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों को देखने का अवसर बढ़ेगा, जिससे स्थानीय व्यवसाय, होटल, टूर ऑपरेटर और दुकानदारों को आर्थिक लाभ होगा।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगी रफ्तारविंध्यधाम में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन को आते हैं तो वहीं अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के बाद से रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन दो शक्तिपीठों और आस्था केंद्रों को जोड़ने के लिए अगर वंदे भारत जैसी हाईस्पीड ट्रेन की सुविधा मिलती है तो श्रद्धालुओं को घंटों का सफर मिनटों में तय करने की राहत मिलेगी। मीरजापुर के स्थानीय निवासी और मां विंध्यवासिनी के उपासक समीर दुबे का कहना है कि अगर अयोध्या के लिए सीधी वंदे भारत ट्रेन मिलती है तो हमारी आस्था को नई रफ्तार मिलेगी। यह सिर्फ यात्रा नहीं, आस्था का सफर होगा।
महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक होंगे सबसे बड़े लाभार्थी वंदे भारत ट्रेन की सुविधाएं विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और दिव्यांग यात्रियों के लिए बेहद अनुकूल हैं। इससे तीर्थ यात्रा अब अधिक सहज, सुरक्षित और सुविधाजनक हो जाएगी। मीरजापुर की प्रतिमा मिश्रा कहती हैं कि विंध्यधाम से अयोध्या के लिए वंदे भारत ट्रेन शुरू हुई तो भीड़ और असुविधा से राहत मिलेगी। वंदे भारत से सफर आरामदायक और जल्दी होगा। मां के दरबार से राम दरबार तक जाना किसी चमत्कार से कम नहीं लगेगा।
रामायणकालीन इतिहास समेटे है विंध्यधाम, शक्ति और भक्ति का संगमभगवान श्रीराम का विंध्यधाम से गहरा धार्मिक और पौराणिक नाता है। विंध्याचल की पावन धरती वह स्थान है जहां भगवान राम के चरण पड़े थे। शिवपुर में आज भी इसके प्रमाण हैं। मान्यता है कि वनवास काल में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण सहित विंध्याचल क्षेत्र से होकर गुजरे थे। उन्होंने यहां स्थित मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन किया था। मां विंध्यवासिनी को आदिशक्ति का स्वरूप माना जाता है और यह स्थल त्रिदेवी दर्शन (काली, अष्टभुजा और विंध्यवासिनी) के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि श्रीराम ने यहां शक्ति से रावण पर विजय के लिए आशीर्वाद मांगा था। इसी कारण विंध्यधाम रामायणकाल से ही श्रद्धालुओं का एक प्रमुख तीर्थ बना हुआ है।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
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