– पाकिस्तान के साथ संघर्ष के बाद भारत रक्षा बजट बढ़ाकर 2047 तक दुनिया का तीसरा देश बनेगा
नई दिल्ली, 30 जून (Udaipur Kiran) । पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए हवाई संघर्ष के बाद भारत का रक्षा बजट अगले वित्त वर्ष में 60 हजार करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही भारत अगले पांच वर्षों में अपने रक्षा बजट का 10 फीसदी हिस्सा अनुसंधान एवं विकास के लिए आवंटित करेगा, जो मौजूदा समय में महज 5.1 फीसदी है। इसके साथ ही भारत 2047 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला देश बन जाएगा।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और वैश्विक परामर्शदात्री संस्था केपीएमजी की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत का रक्षा बजट 2024-25 में 6.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2047 तक 31.7 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इससे भारत के रक्षा उत्पादन में भी मजबूत वृद्धि होगी। रिपोर्ट के अनुसार 2024-25 में रक्षा उत्पादन 1.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2047 तक 8.8 लाख करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है। इसके साथ ही भारत का रक्षा निर्यात मौजूदा 30,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2.8 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है, जिससे देश को इस क्षेत्र में वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति बनाने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार रक्षा बजट के पूंजीगत व्यय में भी बड़ी वृद्धि का संकेत है। बुनियादी ढांचे और आधुनिक उपकरणों पर होने वाला खर्च 27 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी होने की संभावना है। इसके अलावा रक्षा में अनुसंधान और विकास पर खर्च भी दोगुना होने का अनुमान है, जो 5.1 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी हो जाएगा। इस बीच रक्षा को आवंटित जीडीपी का हिस्सा 2 फीसदी से बढ़कर 4-5 फीसदी हो सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में कई बाधाओं की ओर भी इशारा किया गया है, क्योंकि भारत महत्वपूर्ण सैन्य तकनीकों के लिए आयात पर निर्भर है, जो घरेलू आत्मनिर्भरता को कमजोर करता है।
इसके साथ ही भारत 2047 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला देश बन जाएगा, जो अभी तीसरे नंबर पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जटिल रक्षा प्रणालियों और नई प्रौद्योगिकियों को संभालने के लिए कुशल जनशक्ति की भी कमी है। रिपोर्ट में सरकार और निजी फर्मों के बीच मजबूत साझेदारी के महत्व पर जोर दिया गया है, लेकिन कहा गया है कि रक्षा विनिर्माण में निजी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन और नीति समर्थन महत्वपूर्ण होगा। विदेशी भागीदारों के साथ सहयोग में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और बौद्धिक संपदा अधिकार भी संवेदनशील और अनसुलझे मुद्दे बने हुए हैं। ———–
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
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