लखनऊ,01 नवम्बर (Udaipur Kiran) . अस्थमा बच्चों में होने वाली सभी क्रानिक बीमारियों में सबसे प्रमुख कारण है. खाँसी, सांस फूलना, छाती में सीटी बजना, जकड़ा होना इत्यादि लक्षण अस्थमा के हो सकते हैं. वहीं एलर्जिक रायनाइटिस में रोगियों को जुकाम,खासी, नाक बंद होना, आंख से पानी आना, गले में खुजली इत्यादि लक्षण दिखते हैं. इसके अलावा किसी विशेष दवाओं के सेवन से भी एलर्जी हो सकती है. यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा.वेद प्रकाश ने दी.
डा.वेद प्रकाश ने केजीएमयू में एलर्जी पर आयोजित कार्यशाला में कहा कि एलर्जी करने वाला तत्व अगर ज्ञात हो सके तो उससे इलाज में आसानी होती है. डाक्टर की सलाह से एन्टी एलर्जी एवं स्टेराॅयड के सेवन से एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है. इन्हेलर के समुचित तरह से सेवन से अस्थमा को कारगर तरह से नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा एलर्जी के बारे मे जागरुकता फैलाकर एलर्जी को रोका जा सकता है. आज की तारीख में एलर्जी का सबसे एडवांस इलाज है परन्तु यह महंगा है और विषेष परिथितियों में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है.
हमारा पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग एलर्जी एवं अस्थमा के क्षेत्र में समुचित निदान एवं इलाज के लिये प्रतिबद्ध है एवं हमारे विभाग में इसके निदान एवं इलाज की परिपूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है. यहाॅ पर अत्याधिक कुशल चिकत्सको एवं स्टाफ की टीम है जो अस्थमा एवं एलर्जी के सम्पूर्ण इलाज के लिये प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध है. यहाॅ एडवान्स फेफड़े की जाॅच, Skin Prick Test (SPT), Immunotherapy, Biologics इत्यादि उपलब्ध है जो इस विभाग को एलर्जी एवं अस्थमा के समुचित इलाज के लिये स्टेट-आफ-आर्ट का दर्जा देती है.
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
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