Bathroom Vastu Tips : अक्सर हम घर बनवाते समय ड्रॉइंग रूम, बेडरूम या किचन की दिशा पर तो बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन बाथरूम की दिशा को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का हर कोना किसी न किसी तत्व से जुड़ा होता है और बाथरूम पानी तथा अपशिष्ट तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इसका स्थान और डिजाइन दोनों ही बहुत सोच-समझकर तय किए जाने चाहिए।
सही दिशा का महत्व
वास्तु के मुताबिक, टॉयलेट या बाथरूम को दक्षिण-पश्चिम (South of South-West) या पश्चिम दिशा के भाग में बनाना सबसे उचित माना गया है। यह स्थान अपशिष्ट निकासी के लिए आदर्श होता है और इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती रहती है।
ध्यान रखें कि बाथरूम का दरवाज़ा कभी भी किचन या पूजा-घर की ओर न खुलें, क्योंकि इन दोनों स्थानों की ऊर्जा अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
दरवाज़ा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो तो बेहतर है, ताकि ताजी हवा और प्राकृतिक प्रकाश अंदर आ सके।
पानी और ऊर्जा का सही प्रवाह
वास्तु में पानी को धन और जीवन का प्रतीक कहा गया है। इसलिए बाथरूम में पानी की निकासी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। इससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है और घर में आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
अगर नल टपक रहे हों या पाइप लीक कर रहे हों, तो तुरंत मरम्मत करवाएं। यह न केवल पानी की बर्बादी है, बल्कि वास्तु के अनुसार यह घर में धन हानि का संकेत भी देता है।
रंगों का प्रभाव और सही चुनाव
रंग हमारे मूड और मानसिक ऊर्जा को गहराई से प्रभावित करते हैं। बाथरूम के लिए हल्के और शांत रंग जैसे सफेद, बेज, हल्का नीला या हल्का हरा बेहद शुभ माने जाते हैं।
ये रंग स्वच्छता, शांति और ताजगी का अहसास कराते हैं। बहुत गहरे या चमकदार रंग ऊर्जा के प्रवाह में बाधा डाल सकते हैं और जगह को संकुचित दिखाते हैं।
साफ-सफाई और रखरखाव का वास्तु से गहरा रिश्ता
बाथरूम घर का वह कोना है, जो हर दिन सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है, इसलिए इसे हमेशा साफ और सूखा रखना ज़रूरी है। गंदगी, फफूंदी या अव्यवस्था नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
बाथरूम में शीशे (मिरर) की भी खास भूमिका होती है। टूटा या धुंधला शीशा न केवल बदसूरत दिखता है बल्कि वास्तु दोष भी उत्पन्न करता है। कोशिश करें कि शीशा उत्तर या पूर्व दीवार पर लगाया जाए और वह किसी साफ, खुली जगह का प्रतिबिंब दिखाए, न कि टॉयलेट सीट का।
अगर दिशा सही न हो तो क्या करें?
कई बार पुराने घरों या फ्लैट्स में बाथरूम की दिशा बदलना संभव नहीं होता। ऐसे में कुछ आसान उपाय करके ऊर्जा को संतुलित किया जा सकता है —
दीवारों पर हल्के रंग का पेंट करें। बाथरूम में मनी प्लांट, बांस या पीस लिली जैसे पौधे रखें। सुगंधित अगरबत्ती या एसेंशियल ऑयल डिफ्यूज़र का इस्तेमाल करें।
ये छोटे-छोटे बदलाव नकारात्मकता को कम करते हैं और वातावरण को ताजगी से भर देते हैं।
वास्तु-अनुकूल बाथरूम के फायदे
जब बाथरूम वास्तु के अनुसार बनाया जाता है, तो यह न केवल स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ाता है, बल्कि परिवार में समृद्धि और मानसिक शांति भी लाता है।
सही दिशा, रंग और रखरखाव के साथ यह स्थान केवल उपयोग की जगह नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन जाता है।
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