जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला देश के लिए एक गहरा आघात साबित हुआ। इस हमले में 26 लोग अपनी जान गंवा बैठे, जिनमें ज्यादातर हिंदू थे। आतंकियों ने धर्म पूछकर और कलमा पढ़वाकर अपनी क्रूरता का परिचय दिया। इस जघन्य घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, और अब इसकी गूंज धार्मिक और सामाजिक मंचों पर भी सुनाई दे रही है। इस बीच, प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और आतंकियों को "जानवर" तक करार दे दिया। आखिर क्या कहा दारुल उलूम ने, और यह बयान क्यों महत्वपूर्ण है? आइए, इस मुद्दे को करीब से जानते हैं।
दारुल उलूम का सख्त बयान
दारुल उलूम देवबंद, जो इस्लामी शिक्षा और विचारधारा का एक प्रमुख केंद्र है, ने पहलगाम हमले को "मानवता के खिलाफ अपराध" बताया। संस्थान के प्रबंधक मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा, "वे इंसान नहीं, बल्कि जानवर हैं जो इस तरह की हरकत करते हैं। यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।" उन्होंने आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और इस हमले को इस्लाम की शिक्षाओं का अपमान करार दिया। यह बयान न केवल आतंकवाद के खिलाफ दारुल उलूम की स्पष्ट राय को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धार्मिक संस्थान इस मुद्दे पर कितने संवेदनशील हैं। दारुल उलूम का यह रुख समाज में एकता और शांति का संदेश देता है।
पहलगाम हमला: क्रूरता की नई मिसाल
पहलगाम, जो अपनी खूबसूरती और शांति के लिए जाना जाता है, इस बार आतंक की भेंट चढ़ गया। बैसरन वैली के पास हुए इस हमले में आतंकियों ने निर्दोष लोगों को निशाना बनाया। जांच से पता चला कि हमलावरों ने धार्मिक आधार पर लोगों को चुना, जो इस घटना को और भी भयावह बनाता है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा हो सकता है, जिसने भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में दहशत पैदा की, बल्कि पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ा दी।
जनता की आवाज: सोशल मीडिया पर गुस्सा
दारुल उलूम के इस बयान ने सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन हासिल किया। कई यूजर्स ने इसकी तारीफ की और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई। एक यूजर ने लिखा, "दारुल उलूम ने सही कहा, आतंक का कोई धर्म नहीं।" वहीं, कुछ ने इस बयान को धार्मिक एकता का प्रतीक बताया। #PahalgamTerrorAttack और #DarulUloomDeoband जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाते हैं। हालांकि, कुछ लोगों ने इस बयान को देर से आई प्रतिक्रिया करार दिया, लेकिन कुल मिलाकर जनता ने दारुल उलूम के रुख को सराहा। यह बयान समाज में शांति और भाईचारे का संदेश देने में कामयाब रहा।
आतंकवाद का जवाब: एकता और कार्रवाई
दारुल उलूम का यह बयान हमें आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की प्रेरणा देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवाद से निपटने के लिए सैन्य और कूटनीतिक कदमों के साथ-साथ सामाजिक और धार्मिक स्तर पर भी जागरूकता जरूरी है। दारुल उलूम जैसे संस्थानों की यह पहल न केवल आतंकवाद को धार्मिक आधार पर गलत ठहराती है, बल्कि समाज में एकता को भी बढ़ावा देती है। सरकार से भी उम्मीद की जा रही है कि वह इस हमले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
निष्कर्ष: शांति और न्याय की पुकार
पहलगाम हमला एक दुखद अनुस्मारक है कि आतंकवाद आज भी हमारे समाज के लिए एक बड़ा खतरा है। दारुल उलूम देवबंद का बयान इस मुश्किल घड़ी में एकजुटता और शांति का संदेश देता है। आतंकियों को "जानवर" कहकर निंदा करना न केवल इस हमले की क्रूरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि आतंक का कोई धर्म नहीं। यह बयान हमें याद दिलाता है कि हमें नफरत और हिंसा के खिलाफ एक साथ खड़ा होना होगा। अब यह देखना बाकी है कि इस घटना के बाद सरकार और समाज इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
You may also like
2047 तक भारत बनेगा 'प्रोडक्ट नेशन, स्टार्टअप नेशन': आईआईटी मद्रास के निदेशक
दवा जरूरतों के लिए भारत पर अधिक निर्भर होने पर व्यापार संबंधों के निलंबन से पाकिस्तान परेशान
रविवार के बाद बन रहे कई शुभ योग इन राशियों की लग जाएगी लॉटरी नहीं होगी धन की कमी
हार्ट अटैक के जोखिम: कौन से ब्लड ग्रुप वाले हैं सबसे अधिक प्रभावित?
ऊन अपशिष्टों से तैयार खाद से गोबर खाद की तुलना में 72 प्रतिशत तक बढ़ी प्याज की पैदावार