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"मैं जिम्मेदार हूं": एलजी मनोज सिन्हा ने पहलगाम हमले को लेकर किया बड़ा खुलासा!

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22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की खूबसूरत बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई, जिसने न केवल स्थानीय लोगों बल्कि पूरे भारत को गहरी चोट पहुंचाई। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस घटना की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए इसे एक गंभीर सुरक्षा चूक बताया। उन्होंने कहा, "पहलगाम में जो हुआ, वह बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण था। हमने सोचा था कि आतंकवादी पर्यटकों को निशाना नहीं बनाते, लेकिन यह हमला खुली घाटी में हुआ, जहां सैन्य तैनाती की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।" सिन्हा की यह स्वीकारोक्ति न केवल उनकी पारदर्शिता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्रशासन इस चुनौती से निपटने के लिए गंभीर है।

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का चेहरा

उपराज्यपाल ने इस हमले को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित करार देते हुए कहा कि इसका मकसद भारत में सांप्रदायिक तनाव को भड़काना और जम्मू-कश्मीर को देश से अलग-थलग करना था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि हमले के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ था, हालांकि कुछ स्थानीय लोगों की संलिप्तता भी सामने आई। सिन्हा ने स्पष्ट किया, "यह हमला भारत की आत्मा पर प्रहार करने की कोशिश थी। पाकिस्तान की मंशा थी कि वह हमारे देश में सामाजिक और सांप्रदायिक एकता को तोड़ दे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों ने इसे नाकाम कर दिया।"

जम्मू-कश्मीर की आर्थिक प्रगति और पर्यटन

पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उपराज्यपाल के अनुसार, इस अवधि में राज्य की अर्थव्यवस्था दोगुनी हुई है, और पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। पहलगाम जैसी जगहें, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती हैं, पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र रही हैं। सिन्हा का मानना है कि इस आतंकी हमले का एक उद्देश्य क्षेत्र की आर्थिक स्थिरता को कमजोर करना भी था। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान नहीं चाहता कि जम्मू-कश्मीर में शांति और समृद्धि बनी रहे। यह हमला हमारी आर्थिक प्रगति को रोकने की साजिश थी।"

कश्मीरियों की एकजुटता और आतंकवाद के खिलाफ संदेश

इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों ने जिस तरह एकजुट होकर आतंकवाद का विरोध किया, वह प्रशंसनीय है। स्थानीय लोगों ने सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की और आतंकवाद के खिलाफ मजबूत संदेश दिया। उपराज्यपाल ने इस एकता की सराहना करते हुए कहा, "कश्मीर के लोगों ने साफ कर दिया है कि वे आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।" यह घटना न केवल जम्मू-कश्मीर की जनता की दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि वे भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

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