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बिहार के वो 20 नायाब रत्न जिन्होंने बनाई अनोखी पहचान

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बिहार, एक ऐसी धरती जिसने भारत को कई चमकते सितारे दिए। राजनीति से लेकर सिनेमा, संगीत से लेकर शिक्षा और समाज सेवा से लेकर पत्रकारिता तक, बिहार के इन लोगों ने न सिर्फ़ अपनी प्रतिभा से नाम कमाया बल्कि लाखों दिलों को प्रेरित भी किया। आइए, बिहार के उन 20 सबसे मशहूर लोगों की कहानी जानें, जिन्होंने अपने काम से इतिहास रचा।

स्वतंत्रता और सादगी का प्रतीक: डॉ. राजेंद्र प्रसाद

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार के गौरव हैं। सीवान में जन्मे इस महान व्यक्ति ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई। उनकी सादगी और बुद्धिमत्ता ने उन्हें हर किसी का प्रिय बनाया। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने सादा जीवन जिया और देश के विकास पर ध्यान दिया। भारत के संविधान निर्माण में उनकी भूमिका और भारत रत्न सम्मान उनकी महानता का सबूत है। सत्य और सेवा के प्रति उनका समर्पण आज भी बिहार को प्रेरित करता है।

शहनाई का जादू: उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

डुमरांव, बक्सर के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने शहनाई को विश्व मंच पर पहचान दिलाई। उनका संगीत लोगों के दिलों को जोड़ने की ताकत रखता था। प्रसिद्धि के बावजूद, वह अपनी जड़ों से जुड़े रहे और सादगी भरा जीवन जिया। भारत रत्न से सम्मानित इस महान कलाकार ने साबित किया कि संगीत की कोई सीमा नहीं होती।

क्रांति के नायक: जयप्रकाश नारायण

सारण (छपरा) के सिताबदियारा गांव में जन्मे जयप्रकाश नारायण, जिन्हें प्यार से ‘लोकनायक’ कहा जाता है, ने 1970 के दशक में ‘संपूर्ण क्रांति’ का आह्वान किया। उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट किया और आपातकाल के दौर में लोकतंत्र की रक्षा की। मरणोपरांत भारत रत्न और पटना हवाई अड्डे का उनके नाम पर होना उनकी विरासत को दर्शाता है।

राष्ट्रकवि की गूंज: रामधारी सिंह दिनकर

बेगूसराय के सिमरिया गांव में जन्मे रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिंदी साहित्य के चमकते सितारे थे। उनकी राष्ट्रवादी कविताओं ने आजादी के आंदोलन को नई ऊर्जा दी। तीन बार राज्यसभा सांसद रहे दिनकर को पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी कविताएं आज भी दिलों में जोश भरती हैं।

सशक्त अभिनय का चेहरा: मनोज बाजपेयी

पश्चिम चंपारण के छोटे से गांव बेलवा में जन्मे मनोज बाजपेयी ने अपनी मेहनत से बॉलीवुड में जगह बनाई। ‘सत्या’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘द फैमिली मैन’ जैसी कृतियों में उनके दमदार अभिनय ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया। रंगमंच से लेकर सिनेमा तक, उनकी सादगी और प्रतिभा हर किसी को प्रेरित करती है।

सहजता का जादू: पंकज त्रिपाठी

गोपालगंज के पंकज त्रिपाठी ने अपनी स्वाभाविक एक्टिंग से लाखों दिल जीते। ‘मिर्ज़ापुर’, ‘स्त्री’ और ‘न्यूटन’ जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने उन्हें घर-घर में मशहूर किया। एक किसान के बेटे से राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायक है। होटल में कुक से लेकर सिल्वर स्क्रीन तक, उनकी कहानी हर किसी को सपने देखने का हौसला देती है।

‘शॉटगन’ की दहाड़: शत्रुघ्न सिन्हा

पटना के ‘बिहारी बाबू’ शत्रुघ्न सिन्हा ने ‘कालीचरण’ और ‘दोस्ताना’ जैसी फिल्मों से 70 के दशक में तहलका मचाया। अपने दमदार डायलॉग्स के लिए ‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर सिन्हा बाद में राजनीति में आए और सांसद व केंद्रीय मंत्री बने। उनकी बेबाकी आज भी लोगों को प्रभावित करती है।

चमकता सितारा: सुशांत सिंह राजपूत

पटना के सुशांत सिंह राजपूत ने टीवी से बॉलीवुड तक का शानदार सफर तय किया। ‘एमएस धोनी’, ‘छिछोरे’ और ‘काई पो चे’ में उनके अभिनय ने उन्हें लाखों का चहेता बनाया। अंतरिक्ष और विज्ञान के प्रति उनका जुनून और इंजीनियरिंग से एक्टिंग तक का उनका सफर प्रेरणा देता है। भrect:सुशांत की कमी आज भी महसूस की जाती है।

हंसी-ठिठोली का बादशाह: लालू प्रसाद यादव

गोपालगंज के लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में से एक हैं। उनकी अनोखी भाषण शैली और हास्य ने उन्हें जन-जन का प्यारा बनाया। बिहार के मुख्यमंत्री और रेल मंत्री के रूप में उन्होंने पिछड़े वर्गों के मुद्दों को राष्ट्रीय मंच पर लाया। विवादों के बावजूद उनकी लोकप्रियता और प्रभाव आज भी कायम है।

सुशासन के मसीहा: नीतीश कुमार

बख्तियारपुर के नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कई बार सेवा की। सड़कों, बिजली, शिक्षा और महिला सुरक्षा में सुधार के लिए उन्हें ‘सुशासन बाबू’ कहा जाता है। स्कूली छात्राओं के लिए मुफ्त साइकिल जैसी योजनाएं उनकी दूरदर्शिता का परिचय देती हैं।

रणनीति का जादूगर: प्रशांत किशोर

रोहतास के प्रशांत किशोर ने अपनी स्मार्ट रणनीतियों से कई नेताओं को चुनाव जिताया। ‘जन सुराज’ आंदोलन के जरिए वह बिहार में स्वच्छ और कुशल नेतृत्व लाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी सोच और मेहनत युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करती है।

व्यवसाय का शहंशाह: रवीन्द्र किशोर सिन्हा

भोजपुर के आर.के. सिन्हा एक पत्रकार से अरबपति व्यवसायी बने। सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (एसआईएस) के संस्थापक सिन्हा की संपत्ति 10,000 करोड़ से अधिक है। उनकी मेहनत और लगन की कहानी हर किसी को प्रेरित करती है।

समाज का आईना: प्रकाश झा

पश्चिम चंपारण के प्रकाश झा ने ‘गंगाजल’, ‘राजनीति’ और ‘अपहरण’ जैसी फिल्मों से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर किया। उनकी फिल्में समाज की सच्चाई को बयां करती हैं और बिहार में उनके सामाजिक कार्यों को भी सराहा जाता है।

बेबाक पत्रकार: रवीश कुमार

मोतिहारी के रवीश कुमार ने बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों पर बेबाकी से आवाज उठाई। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता रवीश की ईमानदार पत्रकारिता ने उन्हें जनता का चहेता बनाया।

गणित का जादू: वशिष्ठ नारायण सिंह

भोजपुर के वशिष्ठ नारायण सिंह ने गणित की दुनिया में बिहार का नाम रोशन किया। नासा में काम करने वाले और आइंस्टीन के फॉर्मूले को चुनौती देने वाले इस पद्मश्री विजेता की प्रतिभा बेमिसाल है।

शिक्षा का दीपक: आनंद कुमार

पटना के आनंद कुमार ने ‘सुपर 30’ के जरिए गरीब छात्रों को आईआईटी तक पहुंचाया। उनकी कहानी पर बनी फिल्म ‘सुपर 30’ उनकी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।

भौतिकी का गुरु: एचसी वर्मा

दरभंगा के एचसी वर्मा की किताब ‘कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स’ इंजीनियरिंग छात्रों की बाइबल है। पद्मशස:श्री से सम्मानित, उनकी शिक्षण शैली ने लाखों को प्रेरित किया।

एक रुपये का जादू: आर.के. श्रीवास्तव

रोहतास के आर.के. श्रीवास्तव ने ‘1 रुपये गुरु दक्षिणा’ के जरिए 950 से अधिक गरीब छात्रों को आईआईटीयन बनाया। पाइथागोरस प्रमेय को 50 से अधिक तरीकों से सिद्ध करने वाले इस शिक्षक का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।

भोजपुरी का सितारा: मनोज तिवारी

कैमूर के मनोज तिवारी ने भोजपुरी सिनेमा और गायकी से नाम कमाया। अब वह बीजेपी नेता और सांसद के रूप में ग्रामीण और शहरी दोनों दर्शकों से जुड़े हैं।

गरीबी से शिखर तक: अनिल अग्रवाल

पटना के अनिल अग्रवाल ने स्क्रैप डीलर से वेदांता रिसोर्सेज के संस्थापक बनने तक का लंबा सफर तय किया। 3 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ वह बिहार के सबसे अमीर व्यक्ति हैं।

अंतिम शब्द

बिहार के ये 20 सितारे साबित करते हैं कि मेहनत और लगन से कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। चाहे वह राजनीति हो, सिनेमा हो, शिक्षा हो या पत्रकारिता, इन लोगों ने बिहार का नाम रोशन किया और दुनिया को दिखाया कि प्रतिभा की कोई सीमा नहीं होती।

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